भोपाल। एमपी के गठन से 67 साल बाद तक कभी सरकार ने यह घोषित नहीं किया कि नवाब दोस्त मोहम्मद खां लुटेरा था और नवाब भोपाल हमीदुल्लाह खां आतंकी थे. फिर भी आपने ऐसा कहा, आप अपने कहे गए स्टेटमेंट के एवीडेंस हमको दें. इस तरह की इबारत लिखा हुए एक नोटिस एक दिन पहले मशहूर संगीतकार और लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को भोपाल फोरम हिस्ट्री ने भेजा है. ETV Bharat के पास मौजूद नोटिस की इस कॉपी में मनोज मुंतशिर के लिए साफ-साफ लिखा है कि आपको इतिहास से अनभिज्ञ किसी व्यक्ति द्वारा झूठी जानकारी दी गई हैं और उसी को आधार बनाकर आपने भाषण दे दिया. मनोज शुक्ला को यह नोटिस उनके अंधेरी वेस्ट स्थित निवास पर भेजा गया है.
इतिहासकारों का दावा: इस मामले में नोटिस भेजने वाले एडवाेकेट शाहनवाज खान से बात की बाेले कि नोटिस तो हम पहले ही भेजते, बस इनको सही तथ्यों से अवगत कराने के लिए प्रमाण एकत्रित कर रहे थे. नोटिस के साथ हमने उनकी बात के जवाब भी भेजे हैं. जब उनसे पूछा कि भोपाल हिस्ट्री फोरम में कितने लोग काम करते हैं तो जवाब मिली कि सभी पुराने लोग इसमें शामिल हैं. गौरतलब है कि भोपाल हिस्ट्री फोरम भोपाल के इतिहासकारों की एक संस्था बताया जाता है और यह फाेरम दावा करती है कि इसे भोपाल के संपूर्ण इतिहास का प्रमाणिक ज्ञान है. दावा यह भी है कि इस फोरम के सदस्यों द्वारा भोपाल की इतिहास पर अनेक प्रमाणिक पुस्तकें लिखी गई हैं.
नोटिस क्यों भेजा गया?: 1 जून 2023 को भोपाल गौरव दिवस पर मोती लाल नेहरू स्टेडियम में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में मनोज मुंतशिर उपस्थित थे. उनके द्वारा कार्यक्रम में भोपाल से संबंधित इतिहास के संदर्भों का उल्लेख किया गया था. इस बात को लेकर एक भाषण का वीडियो भी जारी हुआ है. इसी वीडियो को आधार बनाते हुए भोपाल हिस्ट्री फोरम की तरफ से नोटिस भेजा गया है.
इस बात पर है आपत्ति!: इसमें कहा गया कि आपके द्वारा राजा भोज को भोपाल का संस्थापक घोषित करते हुए कहा गया है कि भोपाल का नाम भोपाल कर दिया जाए. इस संबंध में आपको सूचित किया जाता है कि राजा भोज का काल सन 1000 ईस्वी से सन् 1050 ईस्वी तक का ही प्रमाणित है तथा भोपाल की स्थापना सन् 1723 में हुई है, लेकिन वर्ष 1050 से 1723 तक भोपाल का अस्तित्व ही नहीं था. यह भी रिकॉर्ड से प्रमाणित है कि रानी कमलापति अपने पति की हत्या का बदला लेना चाहती थी इसलिए रानी ने नवाब दोस्त मोहम्मद खान को अपनी मदद के लिए बुलाया था. नवाब दोस्त मोहम्मद ने उनका काम किया भी था और अपनी बहन बनाया था. नोटिस में लिखा है कि आपके द्वारा भोपाल के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान को लुटेरा कहा तथा भोपाल नवाब हमीदुल्लाह खान को आतंकी घोषित किया गया है. आपने अपने भाषण में नवाब दोस्त मोहम्मद खान के लुटेरा होने का कोई प्रमाण नहीं दिया है और नवाब हमीदुल्लाह खान को आतंकी होने का भी कोई प्रमाण नहीं दिया है.
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भोपाल का विलय हुआ था, न कि आजादी मिली: भाषण में यह भी उल्लेख किया है कि भोपाल 1949 में आजाद हुआ था भोपाल के लोभी नवाब ने भोपाल की आजादी को कैद करके रखा था. यह भी कहा कि भोपाल नवाब भोपाल पर पाकिस्तान का परचम लहराना चाहते थे. आपके यह प्रमाणिक उद्बोधन भोपाल के सभी पुराने अभिलेखों के विपरीत तथ्य रखते हैं. नोटिस के अनुसार 15 अगस्त 1947 को भोपाल में तिरंगे के साथ प्रभात फेरी निकाली गई थी, यह प्रमाणित है कि 15 अगस्त 1947 के पूर्व भी नवाब गोपाल ने सभी 562 देसी रियासतों के साथ खुद को शामिल कर लिया था. भोपाल भारतीय संघ में शामिल हो चुका था. भोपाल में 6 से लेकर 30 जनवरी तक 24 दिन चलाया गया विलीनीकरण आंदोलन भोपाल को मध्य भारत में विलीन करने का आंदोलन था, न कि भारत में विलय करने का. 30 अप्रैल 1949 को मर्जर एग्रीमेंट भोपाल का प्रशासन भारत शासन द्वारा टेकओवर का मर्जर एग्रीमेंट था. उक्त एग्रीमेंट का प्रारंभिक कथन निम्नानुसार है. इसमें भोपाल को आजाद करने का कहीं उल्लेख नहीं है, बल्कि प्रशासन भारत सरकार द्वारा किए जाने का उल्लेख है.
बोरास कांड पर भी उठाए सवाल: नोटिस में बोरास कांड का भी जिक्र किया गया है और लिखा है कि बोरास गोलीकांड में तिरंगा उठाने का कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है. यह दुखद घटना आंदोलनकारियों द्वारा थाने सिपाहियों से हथियार छीनने के बाद हुई थी. जिनके हाथ में झंडे नहीं थे. यह भी उल्लेखनीय है कि उस समय भोपाल के प्रधानमंत्री चतुर नारायण मालवीय थे. आपने भोपाल रियासत में हुई एक बड़ी कुर्बानी का उल्लेख नहीं किया. नोटिस में लिखा है कि मध्यप्रदेश शासन की ओर से मध्य प्रदेश के गठन से अब तक 67 साल में कभी भी यह नहीं घोषित किया गया कि भोपाल की स्थापना राजा भोज द्वारा की गई थी तथा नवाब दोस्त मोहम्मद का लुटेरे थे वह हमीदुल्लाह का आतंकवादी थे भोपाल की गजट ईयर में भी इसका उल्लेख नहीं है.