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कोरोना इफेक्ट : हरियाणा सरकार ने बढ़ाई कैदियों की पैरोल अवधि

हरियाणा सरकार ने जेल में बंद कैदियों और उन कैदियों की, जो पहले से ही पैरोल या फर्लो पर हैं, पैरोल को चार सप्ताह की बढ़ा दिया है.

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Published : Mar 26, 2020, 10:38 AM IST

Updated : Mar 26, 2020, 5:04 PM IST

चंडीगढ़ : कोविड-19 की महामारी में संक्रमण की संभावनाओं और जेलों में कैदियों के दबाव को कम करने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा सरकार ने पैरोल पर भेजने का फैसला किया है.

राज्य सरकार ने जेल में कैदियों और उन कैदियों को, जो पहले से ही पैरोल या फर्लो पर है उनकी पैरोल को चार सप्ताह की बढ़ा दिया है. जबकि जो कैदी पैरोल लेने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से समय पर जेल लौट आए, उनको छह सप्ताह की विशेष पैरोल दिए जाने का निर्णय किया है.

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बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के 23 मार्च को दिए एक निर्देश की अनुपालना पर विचार विमर्श के लिए 24 मार्च को जस्टिस राजीव शर्मा, माननीय न्यायधीश पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एवं कार्यकारी चेयरमैन, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन और महानिदेशक कारागार हरियाणा, के. सेलवारज ने हिस्सा लिया था.

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बैठक में विचार विमर्श कर फैसला लिया गया है कि, जो कैदी पहले से ही पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर है उनकी चार सप्ताह की विशेष पैरोल बढ़ाई जाएगी.
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इसके अलावा कैदियों ने पैरोल या फरलो शांतिपूर्ण व्यतीत करके समय पर जेल में वापसी की थी उन्हें भी छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी. साथ ही जिन कैदियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है, एक से अधिक केसों में संलिप्त नहीं है और अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के केस या धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार, एसिड अटैक जैसे मामले में सजायाफ्ता नहीं है, उन्हें भी अच्छे आचरण के आधार पर छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी.

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वहीं, ऐसे कैदी जिनकी सजा सात वर्ष से अधिक नहीं है तथा कोई भी अन्य केस माननीय न्यायालय में लंबित नहीं है या फिर कोई जुर्माना भी बकाया नहीं है उनके लिए भी जेल में अच्छा आचरण होने पर छह से आठ सप्ताह तक की विशेष पैरोल का प्रावधान रखा गया है. साथ ही इस पैरोल के प्रावधान में उन कैदियों को भी शामिल किया गया है जिनकी अधिकतम सजा सात वर्ष तक की है तथा उन पर कोई केस लंबित नहीं है और वह जमानत पर हैं, लेकिन इसमें एक शर्त रखी गई है कि ऐसे कैदी ने इससे पहले ली हुई पैरोल शांतिपूर्ण व्यतीत की हो तथा अधिक मात्रा में मादक पदार्थ, धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार और एसिड अटैक जैसे मामलों में सजायाफ्ता ना हो.
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पढ़ें- कोरोना से जंग में ईटीवी भारत ने निभाई अपनी जिम्मेदारी, डॉक्टर बोले-धन्यवाद

रणजीत सिंह ने कहा कि जिन कैदियों के पैरोल या फरलो के मामले पहले से ही जिलाधीश या मंडलाधीश के पास लंबित है उनके केसों को भी सहानुभूति पूर्ण नरम रुख अख्तियार करते हुए शीघ्र निपटान के कदम उठाए जाएंगे. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे लंबित केसों में तीन से छह दिन में निर्णय आवश्यक रूप से लिया जाए.

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चंडीगढ़ : कोविड-19 की महामारी में संक्रमण की संभावनाओं और जेलों में कैदियों के दबाव को कम करने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा सरकार ने पैरोल पर भेजने का फैसला किया है.

राज्य सरकार ने जेल में कैदियों और उन कैदियों को, जो पहले से ही पैरोल या फर्लो पर है उनकी पैरोल को चार सप्ताह की बढ़ा दिया है. जबकि जो कैदी पैरोल लेने के बाद शांतिपूर्ण तरीके से समय पर जेल लौट आए, उनको छह सप्ताह की विशेष पैरोल दिए जाने का निर्णय किया है.

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बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के 23 मार्च को दिए एक निर्देश की अनुपालना पर विचार विमर्श के लिए 24 मार्च को जस्टिस राजीव शर्मा, माननीय न्यायधीश पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एवं कार्यकारी चेयरमैन, हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें जेल विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन और महानिदेशक कारागार हरियाणा, के. सेलवारज ने हिस्सा लिया था.

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बैठक में विचार विमर्श कर फैसला लिया गया है कि, जो कैदी पहले से ही पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर है उनकी चार सप्ताह की विशेष पैरोल बढ़ाई जाएगी.
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इसके अलावा कैदियों ने पैरोल या फरलो शांतिपूर्ण व्यतीत करके समय पर जेल में वापसी की थी उन्हें भी छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी. साथ ही जिन कैदियों की आयु 65 वर्ष से अधिक है, एक से अधिक केसों में संलिप्त नहीं है और अधिक मात्रा में मादक पदार्थ के केस या धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार, एसिड अटैक जैसे मामले में सजायाफ्ता नहीं है, उन्हें भी अच्छे आचरण के आधार पर छह सप्ताह की विशेष पैरोल दी जाएगी.

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वहीं, ऐसे कैदी जिनकी सजा सात वर्ष से अधिक नहीं है तथा कोई भी अन्य केस माननीय न्यायालय में लंबित नहीं है या फिर कोई जुर्माना भी बकाया नहीं है उनके लिए भी जेल में अच्छा आचरण होने पर छह से आठ सप्ताह तक की विशेष पैरोल का प्रावधान रखा गया है. साथ ही इस पैरोल के प्रावधान में उन कैदियों को भी शामिल किया गया है जिनकी अधिकतम सजा सात वर्ष तक की है तथा उन पर कोई केस लंबित नहीं है और वह जमानत पर हैं, लेकिन इसमें एक शर्त रखी गई है कि ऐसे कैदी ने इससे पहले ली हुई पैरोल शांतिपूर्ण व्यतीत की हो तथा अधिक मात्रा में मादक पदार्थ, धारा 379 बी, पोस्को एक्ट, बलात्कार और एसिड अटैक जैसे मामलों में सजायाफ्ता ना हो.
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रणजीत सिंह ने कहा कि जिन कैदियों के पैरोल या फरलो के मामले पहले से ही जिलाधीश या मंडलाधीश के पास लंबित है उनके केसों को भी सहानुभूति पूर्ण नरम रुख अख्तियार करते हुए शीघ्र निपटान के कदम उठाए जाएंगे. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे लंबित केसों में तीन से छह दिन में निर्णय आवश्यक रूप से लिया जाए.

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Last Updated : Mar 26, 2020, 5:04 PM IST
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