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पूर्व चुनाव आयुक्त कुरैशी ने कहा, आदर्श आचार संहिता में संशोधन करे चुनाव आयोग

पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी (Former Election Commissioner Dr SY Qureshi) का कहना है कि समय आ गया है, जब आदर्श आचार संहिता में संशोधन (Amendment in model code of conduct) किया जाना चाहिए. 48 घंटे के मौन की अवधि में सभी को टेलीविजन पर प्रचार (permission to advertise on television) करने की अनुमति मिलनी चाहिए. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

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Published : Feb 13, 2022, 3:27 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी (Former Election Commissioner Dr SY Qureshi) का कहना है कि समय आ गया है, जब आदर्श आचार संहिता में संशोधन किया जाना चाहिए. उनका यह बयान 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार के कुछ दिनों बाद आया है. जिसके लिए आलोचक पीएम मोदी को आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए दोषी ठहरा रहे हैं.

दरअसल, पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण से ठीक एक दिन पहले टीवी पर लंबा इंटरव्यू दिया लेकिन भारत के चुनाव आयोग ने अभी तक इस पर एक शब्द भी नहीं कहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी ने कहा, जब चुनाव कई चरणों में कराए जाते हैं तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में आदर्श आचार संहिता को लागू करना असंभव है. उन्होंने कहा, यदि कोई भाषण चुनाव क्षेत्र के बाहर किया जाता है, तो कानूनी तौर पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को दोष नहीं दिया जा सकता.

कुरैशी ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (representation of people act) की धारा 126 में संशोधन किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि संशोधन किए जाने के बाद 48 घंटे की अवधि, जब प्रचार नहीं किया जाता, उस समय में सभी को टेलीविजन पर प्रचार करने की अनुमति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया को पहले से ही अनुमति मिली हुई है.

पूर्व चुनाव आयुक्त की आलोचनात्मक राय इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि चुनावों के दौरान, सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों गुटों के राजनीतिक नेता शायद ही चुनावी प्रोटोकॉल का पालन करते हैं. बता दें कि आदर्श आचार संहिता (model code of conduct) लोकतांत्रिक मानकों को सुरक्षित, संरक्षित और बनाए रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बनाए गए हैं.

विगत 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार से आदर्श आचार संहिता की भावना का उल्लंघन होने के सवाल पर कुरैशी ने कहा, देखने में ऐसा लग सकता है कि आदर्श आचार संहिता (model code of conduct) का उल्लंघन हुआ है, लेकिन तकनीक के कारण ऐसा नहीं माना जा सकता. उन्होंने, चूंकि साक्षात्कार नई दिल्ली में आयोजित किया गया था और चुनाव उत्तर प्रदेश में हैं.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी दुबे कहते हैं कि जहां तक वैधता की बात है तो पीएम का साक्षात्कार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (धारा 126) के उल्लंघन के तहत नहीं आता है. क्योंकि यह एक स्थानीय चुनाव है न कि लोकसभा चुनाव. जिसने अंततः इस साक्षात्कार को चुनाव आयोग की नजरों से बचने में मदद की. इसी सवाल पर पूर्व सीईसी सुनील अरोड़ा ने कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया.

यह भी पढ़ें- assembly election 2022 : कल गोवा-उत्तराखंड में वोटिंग, यूपी में भी दूसरे चरण का मतदान

यहां यह ध्यान रखना उचित है कि 2017 में ईसीआई ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की पूर्व संध्या पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साक्षात्कार को प्रसारित करने के लिए विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ धारा 126 लागू की थी. जबकि पोल-वॉचडॉग ने बाद में नोटिस वापस ले लिया क्योंकि यह कहा गया कि यह उम्मीदवारों और उनके समर्थकों पर लागू होता है न कि मीडिया पर. इसलिए इस संदर्भ में 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार की प्रासंगिकता और वैधता को समझा जा सकता है.

नई दिल्ली : पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी (Former Election Commissioner Dr SY Qureshi) का कहना है कि समय आ गया है, जब आदर्श आचार संहिता में संशोधन किया जाना चाहिए. उनका यह बयान 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार के कुछ दिनों बाद आया है. जिसके लिए आलोचक पीएम मोदी को आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए दोषी ठहरा रहे हैं.

दरअसल, पीएम मोदी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के पहले चरण से ठीक एक दिन पहले टीवी पर लंबा इंटरव्यू दिया लेकिन भारत के चुनाव आयोग ने अभी तक इस पर एक शब्द भी नहीं कहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ एसवाई कुरैशी ने कहा, जब चुनाव कई चरणों में कराए जाते हैं तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के युग में आदर्श आचार संहिता को लागू करना असंभव है. उन्होंने कहा, यदि कोई भाषण चुनाव क्षेत्र के बाहर किया जाता है, तो कानूनी तौर पर मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को दोष नहीं दिया जा सकता.

कुरैशी ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (representation of people act) की धारा 126 में संशोधन किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि संशोधन किए जाने के बाद 48 घंटे की अवधि, जब प्रचार नहीं किया जाता, उस समय में सभी को टेलीविजन पर प्रचार करने की अनुमति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया को पहले से ही अनुमति मिली हुई है.

पूर्व चुनाव आयुक्त की आलोचनात्मक राय इस तथ्य की ओर इशारा करती है कि चुनावों के दौरान, सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों गुटों के राजनीतिक नेता शायद ही चुनावी प्रोटोकॉल का पालन करते हैं. बता दें कि आदर्श आचार संहिता (model code of conduct) लोकतांत्रिक मानकों को सुरक्षित, संरक्षित और बनाए रखने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए बनाए गए हैं.

विगत 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार से आदर्श आचार संहिता की भावना का उल्लंघन होने के सवाल पर कुरैशी ने कहा, देखने में ऐसा लग सकता है कि आदर्श आचार संहिता (model code of conduct) का उल्लंघन हुआ है, लेकिन तकनीक के कारण ऐसा नहीं माना जा सकता. उन्होंने, चूंकि साक्षात्कार नई दिल्ली में आयोजित किया गया था और चुनाव उत्तर प्रदेश में हैं.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी दुबे कहते हैं कि जहां तक वैधता की बात है तो पीएम का साक्षात्कार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (धारा 126) के उल्लंघन के तहत नहीं आता है. क्योंकि यह एक स्थानीय चुनाव है न कि लोकसभा चुनाव. जिसने अंततः इस साक्षात्कार को चुनाव आयोग की नजरों से बचने में मदद की. इसी सवाल पर पूर्व सीईसी सुनील अरोड़ा ने कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया.

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यहां यह ध्यान रखना उचित है कि 2017 में ईसीआई ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की पूर्व संध्या पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साक्षात्कार को प्रसारित करने के लिए विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ धारा 126 लागू की थी. जबकि पोल-वॉचडॉग ने बाद में नोटिस वापस ले लिया क्योंकि यह कहा गया कि यह उम्मीदवारों और उनके समर्थकों पर लागू होता है न कि मीडिया पर. इसलिए इस संदर्भ में 9 फरवरी को पीएम मोदी के साक्षात्कार की प्रासंगिकता और वैधता को समझा जा सकता है.

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