VIDEO: रांची में सरहुल के जुलूस में झांकियां, कहीं प्रकृति संरक्षण का संदेश तो सरना धर्म कोड की मांग
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रांची: प्रकृति पर्व सरहुल का समापन शुक्रवार शाम भव्य शोभा यात्रा के साथ समापन हो गया. इस मौके पर आदिवासी समाज के द्वारा शहर में जुलूस निकाले गए. इसके माध्यम से उन लोगों ने यह संदेश दिया कि पर्यावरण के संरक्षण में आदिवासी समुदाय के लोग सबसे ज्यादा और अहम भूमिका निभाते हैं. वहीं अरगोड़ा आदिवासी समिति के द्वारा निकाली गयी झांसी में यह बताया गया कि आदिवासी समुदाय पर्यावरण के संरक्षक होते हैं. उन्होंने अपने झांसी के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की कि पूरे भारत में आदिवासी ही एक ऐसा समुदाय है जो नदी पहाड़ और जंगल की सुरक्षा आदिकाल से करते आ रहा है. अरगोड़ा आदिवासी समिति के द्वारा निकाली गई झांकी में यह दिखाया गया कि कैसे सरना धर्म के लोग दूसरों से अलग होते हैं उनकी परंपरा दूसरों से कितनी अलग होती है. वो प्रकृति के कितने पास हैं और उसके कितने उपासक हैं. इसके अलावा झांकी में कई तरह की बातें लिखी हुई थी जैसे आदिवासी समुदाय पर्यावरण के पूजा करते हैं जबकि हिंदू समुदाय वेद पुराण के पूजक होते हैं. वहीं एक झांकी में सरना धर्म कोर्ट की भी मांग की गई, झांकी के माध्यम से आदिवासी समुदाय के लोग ने अपने धर्म की पहचान के लिए सरना धर्म कोड की मांग की. इस जुलूस का जायजा लिया ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने.