ETV Bharat / state

ग्रामीणों ने सरना विधि विधान से हो रहे शव के अंतिम संस्कार से रोका, पांच साल पहले कर चुका था धर्म परिवर्तन - Jharkhand news

चाईबासा के मझगांव प्रखंड में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया. ग्रामीण उसका अंतिम संस्कार सरना विधि विधान से नहीं होने देना चाहते थे. ग्रामीणों का कहना था कि उस व्यक्ति ने पांच साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था इसलिए उसका अंतिम संस्कार भी उसी के धर्म के हिसाब से होना चाहिए. Villagers prevented last rites of dead body

Villagers prevented last rites of dead body
Villagers prevented last rites of dead body
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 19, 2023, 7:03 PM IST

ग्रामीणों ने सरना विधि विधान से हो रहे शव के अंतिम संस्कार से रोका

चाईबासा: मझगांव प्रखंड के ईचाकुटी गांव में एक व्यक्ति के शव को हो समाज के लोगों ने ससन दिरी (श्मशान) में दफनाने पर रोक लगा दी. लोगों को कहना था कि 75 वर्षीय रमेश चंद्र पिंगुवा अपना धर्म परिवर्तन कर चुके थे. इसलिए उन्हें ईसाई धर्म के अनुसार ही उनके कब्रिस्तान में दफन किया जाना चाहिए. इस दौरान लोगों ने शव को दफनाने के लिए खोदे गए कब्र को भी मिट्टी भरवा कर समतल करवा दिया गया.

ये भी पढ़ें: धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी को ग्रामीणों ने बनाया बंधक, पुलिस कर रही मामले की पड़ताल

जानकारी के अनुसार रमेश चंद्र पिंगुवा की बुधवार को सामान्य मौत हुई थी. ग्रामीणों का कहना है कि पहले वे 'हो' समाज के पर्व त्योहार, धार्मिक कार्यक्रम एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रमुख अगुवा थे. लेकिन पांच वर्ष पहले बीमार पड़ने के बाद उन्हें ईसाई धर्म में आने का प्रलोभन दिया गया था. जिसके बाद जब वे बीमारी से ठीक हुए तो प्रलोभन में फंसकर सरना धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था.

ईसाई धर्म अपनाने के बाद वे अपने बेटे-बेटी को भी धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन देते रहे. लेकिन उसका बड़ा बेटा पिता से अलग हो गया और 'हो' समाज की रिति-रिवाज के अनुसार प्राकृतिक आस्था के साथ सरना धर्म में ही रह गया. गांव के दियुरी के रूप में आजतक कार्यभार संभाले हुए हैं.

जब रमेश चंद्र पिंगुवा की मौत होने की खबर गांव में फैली तो सभी इस मामले में एकजुट हुए. इसकी सूचना ग्रामीण चंद्रकांत पिंगुवा को दी गयी और गांव में 'हो' समाज के अनुसार ससन दिरी स्थल (श्मशान) में शव दफनाने को लेकर ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. उनका शव दफनाने के लिए गांव के लोग मदद करने के लिए आगे नहीं आए और इसकी सूचना आदिवासी 'हो' समाज युवा महासभा मझगांव प्रखंड कमेटी और जगन्नाथपुर अनुमंडल कमेटी को दी गई उन्होंने भी ग्रामीणों के फैसले का समर्थन किया. यही नहीं शव को दफनाने के लिए खोदे गए गड्डे को भी ग्रामीणों ने मिट्टी भरकर समतल करवाया.

ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए मृतक के परिजनों ने विचार विमर्श कर दूसरी जगह अपनी ही जमीन में शव को दफनाने के लिए सामाजिक दबाव डाला गया. अन्ततः ग्रामीणों के विरोध तेवर और सामाजिक एकता को देखकर ईसाई धर्म मानने वालों ने ईसाई रीति-रिवाज से शव दफना दिया.

ग्रामीणों ने सरना विधि विधान से हो रहे शव के अंतिम संस्कार से रोका

चाईबासा: मझगांव प्रखंड के ईचाकुटी गांव में एक व्यक्ति के शव को हो समाज के लोगों ने ससन दिरी (श्मशान) में दफनाने पर रोक लगा दी. लोगों को कहना था कि 75 वर्षीय रमेश चंद्र पिंगुवा अपना धर्म परिवर्तन कर चुके थे. इसलिए उन्हें ईसाई धर्म के अनुसार ही उनके कब्रिस्तान में दफन किया जाना चाहिए. इस दौरान लोगों ने शव को दफनाने के लिए खोदे गए कब्र को भी मिट्टी भरवा कर समतल करवा दिया गया.

ये भी पढ़ें: धर्म परिवर्तन कराने के आरोपी को ग्रामीणों ने बनाया बंधक, पुलिस कर रही मामले की पड़ताल

जानकारी के अनुसार रमेश चंद्र पिंगुवा की बुधवार को सामान्य मौत हुई थी. ग्रामीणों का कहना है कि पहले वे 'हो' समाज के पर्व त्योहार, धार्मिक कार्यक्रम एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रमुख अगुवा थे. लेकिन पांच वर्ष पहले बीमार पड़ने के बाद उन्हें ईसाई धर्म में आने का प्रलोभन दिया गया था. जिसके बाद जब वे बीमारी से ठीक हुए तो प्रलोभन में फंसकर सरना धर्म को छोड़कर ईसाई धर्म अपना लिया था.

ईसाई धर्म अपनाने के बाद वे अपने बेटे-बेटी को भी धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन देते रहे. लेकिन उसका बड़ा बेटा पिता से अलग हो गया और 'हो' समाज की रिति-रिवाज के अनुसार प्राकृतिक आस्था के साथ सरना धर्म में ही रह गया. गांव के दियुरी के रूप में आजतक कार्यभार संभाले हुए हैं.

जब रमेश चंद्र पिंगुवा की मौत होने की खबर गांव में फैली तो सभी इस मामले में एकजुट हुए. इसकी सूचना ग्रामीण चंद्रकांत पिंगुवा को दी गयी और गांव में 'हो' समाज के अनुसार ससन दिरी स्थल (श्मशान) में शव दफनाने को लेकर ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. उनका शव दफनाने के लिए गांव के लोग मदद करने के लिए आगे नहीं आए और इसकी सूचना आदिवासी 'हो' समाज युवा महासभा मझगांव प्रखंड कमेटी और जगन्नाथपुर अनुमंडल कमेटी को दी गई उन्होंने भी ग्रामीणों के फैसले का समर्थन किया. यही नहीं शव को दफनाने के लिए खोदे गए गड्डे को भी ग्रामीणों ने मिट्टी भरकर समतल करवाया.

ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए मृतक के परिजनों ने विचार विमर्श कर दूसरी जगह अपनी ही जमीन में शव को दफनाने के लिए सामाजिक दबाव डाला गया. अन्ततः ग्रामीणों के विरोध तेवर और सामाजिक एकता को देखकर ईसाई धर्म मानने वालों ने ईसाई रीति-रिवाज से शव दफना दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.