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खुले में फेंका जा रहा इस्तेमाल किया गया पीपीई किट, बढ़ सकता है संक्रमण का खतरा

चाईबासा में सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. अस्पताल के कर्मचारी का इस्तेमाल किया गया पीपीई किट, मास्क और ग्लब्स अस्पताल परिसर में खुले में कचरे की पेटी में फेंका जा रहा है. अस्पताल कर्मचारियों की ऐसी लापरवाही से लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

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अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही
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Published : Sep 8, 2020, 4:45 PM IST

चाईबासा: बढ़ते संक्रमण को देखते आईसीएमआर और राज्य स्वास्थ्य विभाग के ओर से कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किया गया है, पर पश्चिम सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित चाईबासा सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिला में कोरोना संक्रमितों व्यक्तियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है, पर अस्पताल के कर्मचारी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं. अस्पताल के कर्मचारी उपयोग में लाए गए पीपीई किट, मास्क और ग्लब्स अस्पताल परिसर में खुले में रखी गई कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं. अस्पताल कर्मचारियों की ऐसी लापरवाही से लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

देखें पूरी खबर


सदर अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को संक्रमण से बचाव के लिए रोजाना पीपीई किट दी जाती है. एक बार किट का उपयोग करने के बाद जलाने का प्रावधान है, ताकि इसके संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके. लेकिन विभागीय लापरवाही की वजह से स्वास्थ्यकर्मी इसे जलाने के बजाय खुले कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं, जिसके कारण संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. इतना ही नहीं कुछ दूरी पर ही कोविड-19 सैंपल ली जाती है. रोजाना लोग जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में विभाग की लापरवाही से जांच कराने आने वाले लोग और पोस्टमार्टम कराने आने वाले लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.


कोरोना के संक्रमण को देखते हुए आईसीएमआर की गाइडलाइंस को पूरी तरह से ताक पर रखकर चाईबासा सदर अस्पताल में कार्य किए जा रहे हैं. गाइडलाइंस के अनुसार सख्त निर्देश दिया गया है कि कोरोना वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, ओपीडी से निकलने वाले पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क और डिस्पोजल बेडशीट्स को खुले में नहीं फेंकना है. इन सभी को इंसीनरेटर में जलाकर नष्ट करना है. इस आदेश के बाद भी अस्पताल के कर्मचारी उपयोग में लाए गए पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स आदि खुले में ही कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं.

इसे भी पढे़ं:- 20 IED बम बरामद, पुलिस जवानों को उड़ाने की साजिश नाकाम

सिविल सर्जन ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की बड़ी समस्या है, अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की जिम्मेदारी अस्पताल मैनेजर की है, अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल के लिए जमशेदपुर की आउटसोर्सिंग कंपनी के साथ करार किया गया है. लेकिन आउटसोर्सिंग कंपनी के लोग प्रतिदिन बायो मेडिकल वेस्ट नहीं ले जाते हैं, उनके लोग 3-4 दिन में एक बार आकर बायो मेडिकल वेस्ट ले जाया करते हैं. उपयोग में लाई गई पीपीई किट खुले में फेंकने के सवाल पर सिविल सर्जन ने बताया कि अस्पताल के प्रत्येक कर्मचारी को पीपीई किट कैसे और कहां डिस्पोज करनी है इसकी जानकारी दी गई है, पर कूड़ेदान में फेंकने वाले कर्मचारी दूसरे कर्मचारी की जगह पर ड्यूटी पर आया था, जिसके कारण ऐसी गलती हो गई. सदर अस्पताल का कैंपस काफी बड़ा है और इस तरह की गलतियां नोटिस की जा रही है और उन्हें सख्त निर्देश भी दिया जा रहा है.

चाईबासा: बढ़ते संक्रमण को देखते आईसीएमआर और राज्य स्वास्थ्य विभाग के ओर से कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किया गया है, पर पश्चिम सिंहभूम जिला मुख्यालय स्थित चाईबासा सदर अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिला में कोरोना संक्रमितों व्यक्तियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है, पर अस्पताल के कर्मचारी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं. अस्पताल के कर्मचारी उपयोग में लाए गए पीपीई किट, मास्क और ग्लब्स अस्पताल परिसर में खुले में रखी गई कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं. अस्पताल कर्मचारियों की ऐसी लापरवाही से लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.

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सदर अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों को संक्रमण से बचाव के लिए रोजाना पीपीई किट दी जाती है. एक बार किट का उपयोग करने के बाद जलाने का प्रावधान है, ताकि इसके संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके. लेकिन विभागीय लापरवाही की वजह से स्वास्थ्यकर्मी इसे जलाने के बजाय खुले कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं, जिसके कारण संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. इतना ही नहीं कुछ दूरी पर ही कोविड-19 सैंपल ली जाती है. रोजाना लोग जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं. ऐसे में विभाग की लापरवाही से जांच कराने आने वाले लोग और पोस्टमार्टम कराने आने वाले लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.


कोरोना के संक्रमण को देखते हुए आईसीएमआर की गाइडलाइंस को पूरी तरह से ताक पर रखकर चाईबासा सदर अस्पताल में कार्य किए जा रहे हैं. गाइडलाइंस के अनुसार सख्त निर्देश दिया गया है कि कोरोना वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, ओपीडी से निकलने वाले पीपीई किट, ग्लब्स, मास्क और डिस्पोजल बेडशीट्स को खुले में नहीं फेंकना है. इन सभी को इंसीनरेटर में जलाकर नष्ट करना है. इस आदेश के बाद भी अस्पताल के कर्मचारी उपयोग में लाए गए पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स आदि खुले में ही कचरे की पेटी में फेंक रहे हैं.

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सिविल सर्जन ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया कि बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की बड़ी समस्या है, अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की जिम्मेदारी अस्पताल मैनेजर की है, अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल के लिए जमशेदपुर की आउटसोर्सिंग कंपनी के साथ करार किया गया है. लेकिन आउटसोर्सिंग कंपनी के लोग प्रतिदिन बायो मेडिकल वेस्ट नहीं ले जाते हैं, उनके लोग 3-4 दिन में एक बार आकर बायो मेडिकल वेस्ट ले जाया करते हैं. उपयोग में लाई गई पीपीई किट खुले में फेंकने के सवाल पर सिविल सर्जन ने बताया कि अस्पताल के प्रत्येक कर्मचारी को पीपीई किट कैसे और कहां डिस्पोज करनी है इसकी जानकारी दी गई है, पर कूड़ेदान में फेंकने वाले कर्मचारी दूसरे कर्मचारी की जगह पर ड्यूटी पर आया था, जिसके कारण ऐसी गलती हो गई. सदर अस्पताल का कैंपस काफी बड़ा है और इस तरह की गलतियां नोटिस की जा रही है और उन्हें सख्त निर्देश भी दिया जा रहा है.

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