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22 करोड़ की लागत से पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना, 6 साल से पड़ी थी लंबित

सदर चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा ने दावा किया है कि शहर और आसपास के इलाकों में 6 साल से लंबित पड़ी शहरी जलापूर्ति योजना को 4 माह में पूरा कर लिया जाएगा. शहर और आसपास में नई पाइप लाइन बिछाकर घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने की महत्वाकांक्षी योजना एक सपना बनकर रह गई थी.

22 करोड़ की लागत से पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना
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Published : Feb 19, 2019, 10:53 PM IST

चाईबासाः सदर चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा ने दावा किया है कि शहर और आसपास के इलाकों में 6 साल से लंबित पड़ी शहरी जलापूर्ति योजना को 4 माह में पूरा कर लिया जाएगा. शहर और आसपास में नई पाइप लाइन बिछाकर घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने की महत्वाकांक्षी योजना एक सपना बनकर रह गई थी.

22 करोड़ की लागत से पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना

विधायक दीपक बिरूवा ने बताया कि पिछले जेएमएम सरकार के कार्यकाल में इसकी शुरुआत किया गया था लेकिन संवेदक एसएमएस पर्यावरण लिमिटेड इस काम को पूरा नहीं कर सका और अधूरा छोड़कर चला गया. शहरी जलापूर्ति योजना कई दिनों से अधर पर लटकी हुई थी. इसे लेकर विधानसभा में आवाज उठाई गई. जिसके बाद जिले के उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया कि शहर के जलापूर्ति योजना का कार्य जल्द से जल्द डीएमएफटी से शुरू कराया जाए.

साथ ही उपायुक्त आरवा राजकमल के डीएमएफटी की बैठक शहरी जलापूर्ति योजना के स्टीमेट को रिवाज करते हुए अतिरिक्त 22 करोड रुपए देकर योजना को पूरा करने का निर्णय लिया गया. बाकी के काम को 4 महीने में पूरा करने का प्रस्ताव पारित किया गया.

ये भी पढ़ें-जामताड़ा: भू-माफिया की मनमानी, फर्जी पेपर बना कर दिया जमीन की रजिस्ट्री

बता दें कि 2014 में 28 करोड़ की लागत से योजना की नींव रखी गई थी, जिसका काम 2016 तक किया जाना था. एसएमएस प्राइवेट लिमिटेड को काम पूरा करने की जिम्मेवारी दी गई थी. लेकिन काम की एवज में लगभग 27 करोड रुपए संवेदक को भुगतान कर दिए गए लेकिन काम अधूरा ही किया गया. संवेदक को काली सूची में डाल दिया गया है.
शहर में आजादी के बाद बिछाई गई पुरानी पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति किया जा रहा है. जिसके चलते शहर के नागरिकों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हो रही है. खासकर बारिश के दिनों में गंदे पानी का प्रयोग लोग करने के लिए मजबूर हैं.

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चाईबासाः सदर चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा ने दावा किया है कि शहर और आसपास के इलाकों में 6 साल से लंबित पड़ी शहरी जलापूर्ति योजना को 4 माह में पूरा कर लिया जाएगा. शहर और आसपास में नई पाइप लाइन बिछाकर घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने की महत्वाकांक्षी योजना एक सपना बनकर रह गई थी.

22 करोड़ की लागत से पूरी होगी शहरी जलापूर्ति योजना

विधायक दीपक बिरूवा ने बताया कि पिछले जेएमएम सरकार के कार्यकाल में इसकी शुरुआत किया गया था लेकिन संवेदक एसएमएस पर्यावरण लिमिटेड इस काम को पूरा नहीं कर सका और अधूरा छोड़कर चला गया. शहरी जलापूर्ति योजना कई दिनों से अधर पर लटकी हुई थी. इसे लेकर विधानसभा में आवाज उठाई गई. जिसके बाद जिले के उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया कि शहर के जलापूर्ति योजना का कार्य जल्द से जल्द डीएमएफटी से शुरू कराया जाए.

साथ ही उपायुक्त आरवा राजकमल के डीएमएफटी की बैठक शहरी जलापूर्ति योजना के स्टीमेट को रिवाज करते हुए अतिरिक्त 22 करोड रुपए देकर योजना को पूरा करने का निर्णय लिया गया. बाकी के काम को 4 महीने में पूरा करने का प्रस्ताव पारित किया गया.

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बता दें कि 2014 में 28 करोड़ की लागत से योजना की नींव रखी गई थी, जिसका काम 2016 तक किया जाना था. एसएमएस प्राइवेट लिमिटेड को काम पूरा करने की जिम्मेवारी दी गई थी. लेकिन काम की एवज में लगभग 27 करोड रुपए संवेदक को भुगतान कर दिए गए लेकिन काम अधूरा ही किया गया. संवेदक को काली सूची में डाल दिया गया है.
शहर में आजादी के बाद बिछाई गई पुरानी पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति किया जा रहा है. जिसके चलते शहर के नागरिकों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हो रही है. खासकर बारिश के दिनों में गंदे पानी का प्रयोग लोग करने के लिए मजबूर हैं.

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Intro:चाईबासा। चुनाव नजदीक आते ही चाईबासा शहर की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को लेकर अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए बयान बाजी शुरू हो गई है। मामला शहर एवं आसपास में नई पाइप लाइन बिछाकर घर-घर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने की महत्वाकांक्षी योजना एक सपना बनकर रह गई है। वर्षो से लंबित पड़ी शहरी जलापूर्ति योजना का लाभ अब चाईबासा की जनता को मिलता नजर आ रहा है। सदर चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा का दावा है कि चाईबासा में 6 साल से अधूरी पड़ी शहरी जलापूर्ति योजना को 4 माह में पूर्ण कर दिया जाएगा।


Body:सदर चाईबासा विधायक दीपक बिरूवा परिसदन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पिछले जेएमएम सरकार के कार्यकाल में हमने शुरुआत किया था । लेकिन संवेदक एसएमएस पर्यावरण लिमिटेड इस काम को पूरा नहीं कर सका और अधूरा छोड़कर चला गया। शहरी जलापूर्ति योजना जो कई दिनों से आधार में लटकी हुई थी।
इसी कड़ी में दीपक बिरूवा ने विधानसभा में आवाज उठाई। जिसके बाद जिले के उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया की शहर के जलापूर्ति योजना का कार्य जल्द से जल्द डीएमएफटी से इस योजना का कार्य जल्द से जल्द प्रारंभ करें।

18 फरवरी को जिले के उपायुक्त आरवा राजकमल ने डीएमएफटी की बैठक में निर्णय लिया कि शहरी जलापूर्ति योजना के स्टीमेट को रिवाज करते हुए इसमें अतिरिक्त 22 करोड रुपए देकर इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए।

डीएमएफटी की बैठक में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट से इस योजना को पूर्ण करने की मांग उठाई। बैठक में निर्णय लिया गया है कि अब खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट से 22 करोड़ रुपये अतिरिक्त शहरी जलापूर्ति योजना के लिए दिया जाएगा। इस फण्ड से बाकी कार्यों को 4 माह में पूर्ण करने का प्रस्ताव पारित किया गया है।

बता दें कि चाईबासा शहर में आजादी के बाद बिछाई गई पुरानी पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति किया जा रहा है। जिसके चलते शहर के नागरिकों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हो रही है। खासकर बारिश के दिनों में गंदे पानी सेवन करने के कारण लोग बीमारी का शिकार होते रहे हैं बदलते वक्त के साथ शहर की आबादी एवं दायरा भी बढ़ता जा रहा है जिसकी तुलना में पेयजल आपूर्ति व्यवस्था पूरा नहीं पड़ रहा है।





Conclusion:2014 में इस योजना की नींव रखी गई थी और इसकी लागत राशि लगभग 28 करोड़ के तहत 2016 तक चाईबासा शहर के वासियों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कराने का लक्ष्य रखा गया था। इसके तहत नगर विकास विभाग ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को राशि आपूर्ति करते हुए निविदा निर्गत करने का आदेश दिया था । जिसके तहत एसएमएस प्राइवेट लिमिटेड को कार्य पूर्ण करने की जिम्मेवारी दी गई थी। लेकिन कार्य की एवज में लगभग 27 करोड रुपए संवेदक को भुगतान कर दिए गए । जबकि शहरी पेयजल आपूर्ति योजना भुगतान की गई राशि की तुलना में कार्य प्रगति मात्र 80 फीसदी है। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि आखिर किस आधार पर संवेदक को इतनी बड़ी राशि भुगतान कर दी गई और मात्र दिखावे के लिए उसे काली सूची में डाल दिया गया।

शहर के 26 वार्डों में इस योजना के तहत स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा गया था। पिछले नगर परिषद के कार्यकाल में इस योजना के भुगतान को लेकर नगर परिषद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के बीच ठन गई थी मामला झारखंड उच्च न्यायालय तक पहुंचा जो कि आज भी लंबित है। जानकारी के मुताबिक इस योजना किस पूरी संचिका विभाग से गायब हो चुकी है जिससे एक बड़े घोटाले की बू आती है।

बाहर हाल आने वाले 4 माह में या योजना पूरी हो जाती है तो शहरवासियों के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा।
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