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कस्तूरबा विद्यालयों में परियोजनाकर्मी ही सप्लायर, रिश्तेदारों के नाम पर बनाए फर्म - चाईबासा के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में अनियमितता

प. सिंहभूम जिले के कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षा विभाग के कर्मचारी ही विभिन्न नाम से फर्म बनाकर सामानों की सप्लाई कर रहे हैं. आपसी साठगांठ से सामानों की गुणवत्ता की भी अनदेखी की जा रही है, लेकिन कोई जांच नहीं करता.

supply of materials by project workers of kasturba gandhi schools in chaibasa
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
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Published : Mar 23, 2021, 5:33 PM IST

चाईबासा: प. सिंहभूम जिला शिक्षा विभाग नए-नए कारनामे को लेकर सुर्खियों में रहती है. अब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के लिए सामानों की आपूर्ति को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यहां कस्तूरबा विद्यालय में परियोजनाकर्मी ही रिश्तेदारों के नाम पर फर्म बनाकर सामग्रियों की सप्लाई कर रहे हैं और कमाई कर रहे हैं. एक संविदाकर्मी तो खुद के नाम पर ही यहां कारोबार कर रहा है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- कस्तूरबा स्कूल के अंशकालिक शिक्षक कर रहे वेतन बढ़ाने की मांग, तेज करेंगे आंदोलन

कोई पत्नी तो कोई भाई के नाम पर कर रहा कारोबार
दरअसल अब विभाग में विभिन्न पदों पर काम करने वाले परियोजनाकर्मी ही सप्लायर बनकर विभिन्न कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में सामग्रियों की सप्लाई कर रहे हैं. स्थिति यह है कि अपनी पहुंच और प्रभाव से दबाव बनाकर यह कर्मी अपने सगे-संबंधियों के नाम पर बनाए गए फर्म को आगे कर सप्लायर बने हुए हैं. कोई अपनी पत्नी तो कोई अपने भाई के नाम पर फर्म तैयार कर सप्लायर बना हुआ हैं.

फर्म बनाकर सामानों आपूर्ति
एक संविदाकर्मी तो अपने नाम पर ही फर्म बनाकर आपूर्ति कर रहा है. कोई दूध-सब्जी की आपूर्ति कर रहा है, तो कोई स्टेशनरी से लेकर स्कूल ड्रेस तक की आपूर्ति कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कर रहा है. किसी के पास न तो फूड लाइसेंस है और न ही नाप-तौल का लाइसेंस, इसके बावजूद सब्जी से लेकर अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति कर दी गई है. उसी विभाग में काम करने के कारण इन्हें आसानी से भुगतान भी कर दिया जाता है और कोई सवाल भी खड़ा नहीं करता.

इसे भी पढ़ें- रांची: केजीबीवी नामकुम में लगी डीसी की पाठशाला, मैट्रिक और इंटर की परीक्षा के लिए छात्राओं को दिए टिप्स

किस फर्म से कौन-कौन कर रहे हैं काम
शिक्षा परियोजना के कंप्यूटर ऑपरेटर सह लेखापाल संदीप कुमार सिंह भी अपना दो-दो फर्म चलाते हैं. जिसमें एक का नाम समृद्धि इंटरप्राइजेज और दूसरे फर्म का नाम प्रीति सेल्स है. इनमें से सहूलियत के हिसाब से फर्म को इस्तेमाल कर फल, सब्जी, दूध अंडे और स्टेशनरी आदि की आपूर्ति तांतनगर और अन्य प्रखंड स्थित कस्तूरबा विद्यालयों में की जा रही है. अब तक लाखों रुपये के सामानों की आपूर्ति इनकी ओर से की जा चुकी है.


मनोहरपुर और आनंदपुर कस्तूरबा में सप्लाई
इसी तरह नोवामुंडी कस्तूरबा विद्यालय में पदस्थाति लेखा पदाधिकारी रंजन जायसवाल, जो वर्तमान में बीआरसी मझगांव, कस्तूरबा गांधी विद्यालय चक्रधरपुर का भी काम देख रही हैं, उनके भी एक रिश्तेदार की फर्म 'ए आर इंटरप्राइजेज' है, जो बाकायदा एक साल से मनोहरपुर और आनंदपुर कस्तूरबा में सप्लाई कर रही है. इसी तरह बीआरसी कुमारडुंगी के लेखपाल दीपक कुमार का भी एक फर्म समर्थ टेडर्स के नाम पर है. जो टोंटो, कुमारडुंगी और तांतनगर स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में विभिन्न सामग्री की आपूर्ति करता है.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुर: कस्तूरबा गांधी विद्यालय की अंशकालिक टीचर JMM विधायक से मिले, मानदेय बढ़वाने की उठाई मांग



परियोजनाकर्मियों के प्रभाव से कोई नहीं करता जांच
इन सभी फर्म की जांच की जाए तो कई तरह की अनियमितता सामने आएगी. लेकिन परियोजनाकर्मियों का अपने विभाग में पकड़ और प्रभाव इतना है कि कोई जांच करने की आवश्यकता ही नहीं समझता.

मामले की होगी जांच
इस मामले को लेकर जिले के शिक्षा पदाधिकारी नीरजा कुजूर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. लेकिन बड़ा सवाल है कि सरकारी कर्मियों को दोहरा लाभ किस सरकारी प्रावधान के तहत दिया जा रहा हैं. कोल्हान के क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक नारायण प्रसाद विश्वास से पूछताछ की गई तो उन्होंने इसे नियम के विरुद्ध बताया और मामले की जांच करने की बात कही है.

चाईबासा: प. सिंहभूम जिला शिक्षा विभाग नए-नए कारनामे को लेकर सुर्खियों में रहती है. अब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के लिए सामानों की आपूर्ति को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. यहां कस्तूरबा विद्यालय में परियोजनाकर्मी ही रिश्तेदारों के नाम पर फर्म बनाकर सामग्रियों की सप्लाई कर रहे हैं और कमाई कर रहे हैं. एक संविदाकर्मी तो खुद के नाम पर ही यहां कारोबार कर रहा है.

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कोई पत्नी तो कोई भाई के नाम पर कर रहा कारोबार
दरअसल अब विभाग में विभिन्न पदों पर काम करने वाले परियोजनाकर्मी ही सप्लायर बनकर विभिन्न कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में सामग्रियों की सप्लाई कर रहे हैं. स्थिति यह है कि अपनी पहुंच और प्रभाव से दबाव बनाकर यह कर्मी अपने सगे-संबंधियों के नाम पर बनाए गए फर्म को आगे कर सप्लायर बने हुए हैं. कोई अपनी पत्नी तो कोई अपने भाई के नाम पर फर्म तैयार कर सप्लायर बना हुआ हैं.

फर्म बनाकर सामानों आपूर्ति
एक संविदाकर्मी तो अपने नाम पर ही फर्म बनाकर आपूर्ति कर रहा है. कोई दूध-सब्जी की आपूर्ति कर रहा है, तो कोई स्टेशनरी से लेकर स्कूल ड्रेस तक की आपूर्ति कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कर रहा है. किसी के पास न तो फूड लाइसेंस है और न ही नाप-तौल का लाइसेंस, इसके बावजूद सब्जी से लेकर अन्य खाद्य सामग्री की आपूर्ति कर दी गई है. उसी विभाग में काम करने के कारण इन्हें आसानी से भुगतान भी कर दिया जाता है और कोई सवाल भी खड़ा नहीं करता.

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किस फर्म से कौन-कौन कर रहे हैं काम
शिक्षा परियोजना के कंप्यूटर ऑपरेटर सह लेखापाल संदीप कुमार सिंह भी अपना दो-दो फर्म चलाते हैं. जिसमें एक का नाम समृद्धि इंटरप्राइजेज और दूसरे फर्म का नाम प्रीति सेल्स है. इनमें से सहूलियत के हिसाब से फर्म को इस्तेमाल कर फल, सब्जी, दूध अंडे और स्टेशनरी आदि की आपूर्ति तांतनगर और अन्य प्रखंड स्थित कस्तूरबा विद्यालयों में की जा रही है. अब तक लाखों रुपये के सामानों की आपूर्ति इनकी ओर से की जा चुकी है.


मनोहरपुर और आनंदपुर कस्तूरबा में सप्लाई
इसी तरह नोवामुंडी कस्तूरबा विद्यालय में पदस्थाति लेखा पदाधिकारी रंजन जायसवाल, जो वर्तमान में बीआरसी मझगांव, कस्तूरबा गांधी विद्यालय चक्रधरपुर का भी काम देख रही हैं, उनके भी एक रिश्तेदार की फर्म 'ए आर इंटरप्राइजेज' है, जो बाकायदा एक साल से मनोहरपुर और आनंदपुर कस्तूरबा में सप्लाई कर रही है. इसी तरह बीआरसी कुमारडुंगी के लेखपाल दीपक कुमार का भी एक फर्म समर्थ टेडर्स के नाम पर है. जो टोंटो, कुमारडुंगी और तांतनगर स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में विभिन्न सामग्री की आपूर्ति करता है.

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परियोजनाकर्मियों के प्रभाव से कोई नहीं करता जांच
इन सभी फर्म की जांच की जाए तो कई तरह की अनियमितता सामने आएगी. लेकिन परियोजनाकर्मियों का अपने विभाग में पकड़ और प्रभाव इतना है कि कोई जांच करने की आवश्यकता ही नहीं समझता.

मामले की होगी जांच
इस मामले को लेकर जिले के शिक्षा पदाधिकारी नीरजा कुजूर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. लेकिन बड़ा सवाल है कि सरकारी कर्मियों को दोहरा लाभ किस सरकारी प्रावधान के तहत दिया जा रहा हैं. कोल्हान के क्षेत्रीय उप शिक्षा निदेशक नारायण प्रसाद विश्वास से पूछताछ की गई तो उन्होंने इसे नियम के विरुद्ध बताया और मामले की जांच करने की बात कही है.

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