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चाईबासा: ग्रामीण डॉक्टरों ने निकाली रैली, सरकार पर लगाया अत्याचार करने का आरोप

मंगलवार को चाईबासा में ग्रामीण चिकित्सकों ने सरकारी मान्यता देने को लेकर एक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान उन्होंने सरकार पर झोला-छाप डॉक्टर कह कर मानसिक शोषण करने का भी आरोप लगाया.

सरकार के समक्ष अपनी मांग रखते ग्रामीण डॉक्टर
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Published : Sep 4, 2019, 5:48 PM IST

चाईबासा: वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सुविधा प्रदान कर रहे चिकित्सकों ने मंगलवार को सरकारी मान्यता देने और अपनी दूसरी मांगों को लेकर चाईबासा में रोटी और प्रतिष्ठा की लड़ाई के तहत एक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.

चाईबासा में ग्रामीण चिकित्सकों ने निकाली रैली

कोल्हान प्रमंडल से 600 से अधिक की संख्या में जुटे चिकित्सकों ने लगभग 3.50 किलोमीटर की रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने सरकार के सामने बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के तर्ज पर आरएमपी बोर्ड का गठन करते हुए एनआईओएस के तहत विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें सरकारी चिकित्सक सहायक की मान्यता देने की मांग रखी.

ये भी पढ़ें - भूख हड़ताल पर बैठे युवकों से मिले बलमुचू, कहा- आदिवासी विरोधी है रघुवर सरकार

डॉक्टरों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुविधा प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, सरकारें उन्हें झोला-छाप डॉक्टर कह कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनपर अत्याचार कराने की कोशिश करती रही है. यह रूकना चाहिए.

चिकित्सकों ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि जिले के कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पिछले 30-40 वर्षों से कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं गया. लेकिन, ग्रामीण चिकित्सकों की वजह से लोगों को सेवाएं मिलती रही.

झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष जेजे षाड़ंगी ने कहा कि ग्रामीणों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल नहीं पाती है. सरकार सहिया और आंगनबाड़ी सेविकाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में दवा का वितरण करवा रही है. जबकि, फार्मासिस्ट को ही दवा देने का अधिकार प्राप्त है. ग्रामीण चिकित्सक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद सरकार सहयोग एवं प्रशिक्षण देने के बजाए मानसिक शोषण कर रही है.

झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ की मांगों का समर्थन कांग्रेस और जेएमएम ने भी किया. रैली के दौरान जेएमएम के केंद्रीय सदस्य सुखराम उरांव और कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के प्रतिनिधि त्रिशानु राय उपस्थित रहे.

चाईबासा: वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सुविधा प्रदान कर रहे चिकित्सकों ने मंगलवार को सरकारी मान्यता देने और अपनी दूसरी मांगों को लेकर चाईबासा में रोटी और प्रतिष्ठा की लड़ाई के तहत एक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.

चाईबासा में ग्रामीण चिकित्सकों ने निकाली रैली

कोल्हान प्रमंडल से 600 से अधिक की संख्या में जुटे चिकित्सकों ने लगभग 3.50 किलोमीटर की रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने सरकार के सामने बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के तर्ज पर आरएमपी बोर्ड का गठन करते हुए एनआईओएस के तहत विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें सरकारी चिकित्सक सहायक की मान्यता देने की मांग रखी.

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डॉक्टरों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुविधा प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, सरकारें उन्हें झोला-छाप डॉक्टर कह कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनपर अत्याचार कराने की कोशिश करती रही है. यह रूकना चाहिए.

चिकित्सकों ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि जिले के कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पिछले 30-40 वर्षों से कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं गया. लेकिन, ग्रामीण चिकित्सकों की वजह से लोगों को सेवाएं मिलती रही.

झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष जेजे षाड़ंगी ने कहा कि ग्रामीणों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल नहीं पाती है. सरकार सहिया और आंगनबाड़ी सेविकाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में दवा का वितरण करवा रही है. जबकि, फार्मासिस्ट को ही दवा देने का अधिकार प्राप्त है. ग्रामीण चिकित्सक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद सरकार सहयोग एवं प्रशिक्षण देने के बजाए मानसिक शोषण कर रही है.

झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ की मांगों का समर्थन कांग्रेस और जेएमएम ने भी किया. रैली के दौरान जेएमएम के केंद्रीय सदस्य सुखराम उरांव और कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के प्रतिनिधि त्रिशानु राय उपस्थित रहे.

Intro:चाईबासा। वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहे ग्रामीण चिकित्सकों ने सरकारी मान्यता देने एवं अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मंगलवार को चाईबासा में रोटी और प्रतिष्ठा की लड़ाई के तहत झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ ने रैली निकाली है एवं मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा।


Body:झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ पश्चिम सिंहभूम के बैनर तले कोल्हान प्रमंडल से लगभग 600 की संख्या में आए ग्रामीण चिकित्सकों ने लगभग 3:30 किलोमीटर की रैली निकाली एवं सरकार से चिकित्सा मित्र के तौर पर सरकारी मान्यता देने की मांग की। इसके साथ ही ग्रामीण चिकित्सक कौन है सरकार से मांग करते हुए कहा कि बिहार पश्चिम बंगाल एवं राजस्थान के तर्ज पर आर एम पी बोर्ड का गठन करते हुए एनआईओएस के तहत विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें सरकारी चिकित्सक सहायक की मान्यता दी जाए।

ग्रामीण चिकित्सकों ने सरकार पर आरोप भी लगाया कि वे वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहे हैं। परंतु समय-समय पर सरकार झोलाछाप कह कर उन पर अत्याचार करने की कोशिश स्वास्थ्य विभाग के द्वारा करवा रही है। जिसे अभिलंब बंद किया जाए सरकारी स्वास्थ्य विभाग की वर्तमान व्यवस्था को चुनौती देते हुए ग्रामीण चिकित्सकों ने कहा कि कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पिछले 30 40 वर्षों से कोई भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं जाता है परंतु उस क्षेत्र में ग्रामीण चिकित्सकों के द्वारा लोगों को चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाती रही है।

बाइट 1 - जेजे षाड़ंगी , झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ जिलाध्यक्ष ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों को नहीं मिल पाती है। पहले कुछ लोग जड़ी बूटी की चिकित्सा में लगे हुए थे परंतु आज की तारीख में कई लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर आरोपी बने चुके हैं। वालों चिकित्सा सेवा में लगे हुए हैं परंतु सरकार बीच-बीच में दबाव बनाती रहती है कि इसको बंद किया जाए यह हमारे क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि सरकार सहिया एवं आंगनबाड़ी सेविका से ग्रामीण क्षेत्रों में दवा का वितरण करवा रही है जबकि फार्मासिस्ट को ही दवा देने का अधिकार प्राप्त है। ग्रामीण चिकित्सक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं उसके बावजूद भी सरकार के द्वारा सहयोग एवं प्रशिक्षण देने के बजाएं सरकारों ने मानसिक शोषण कर रही है। हमारी मांग है कि ग्रामीण चिकित्सक गांव के प्राथमिक चिकित्सा सेवा में सम्मिलित है उन्हें सरकारी व्यवस्था के तहत शामिल करें ताकि ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ हो सके।

बाईट 2 - रंजीत पति, जिला संयोजक झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ ने कहा कि सरकार बिहार के तर्ज पर झारखंड में भी एनआईओएस एवं राज्य स्वास्थ्य समिति मिलकर एक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दे बिहार सरकार ने यह लागू किया है वही यहां भी लागू करते हुए ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए साथ ही जितने भी ग्रामीण चिकित्सक हैं उनको भी चिकित्सक की मान्यता दी जाए।

बाइट 3- जमशेदपुर ग्रामीण चिकित्सक कहते हैं कि हम लोग ग्रामीण सुदूर इलाके में सिर्फ ग्रामीण चिकित्सक ही ऐसे लोग हैं जो शहर से दूरदराज इलाके में मौजूद रहते हैं झारखंड में कई ऐसे दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र हैं जहां ग्रामीण चिकित्सक छोड़कर अन्य कोई भी डॉक्टर अब तक नहीं पहुंच सका है हम सभी चाहते हैं कि सरकार हमें भी मान्यता दें साथ ही हमें झोलाछाप डॉक्टर कहकर संबोधन करना बंद करें और चिकित्सा मित्र का कर संबोधन करें।

बाईट 4 - आर दास, जिला कोषाध्यक्ष ने कहा कि सरकार कई तरह के दावे करती है परंतु गरीब मजदूरों को चिकित्सा सुविधा प्रदान नहीं कर सकी है आज सरकार आयुष्मान भारत का कार्ड गरीबों के लिए बना दिया है उसके बावजूद भी अब तक गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं आ सका है। गरीबों की स्थिति जस की तस है उसके बावजूद भी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण चिकित्सक ही अपनी सेवा दे रहे हैं। सरकार हमें भी प्रशिक्षण दे और आरएमपी बोर्ड का गठन करें। पश्चिम बंगाल और राजस्थान में भी इसी तरह से ग्रामीण चिकित्सकों को मान्यता दी गई है इस मुद्दे को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास से हमने बात की थी उन्होंने हमें आश्वासन दिया था कि इस मामले की स्टडी करके आपको बता दूंगा लेकिन अब तक इस केस की स्टडी मुख्यमंत्री जी नहीं कर सके हैं।






Conclusion:झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ की ओर से निकाली गई इस रैली एवं सरकार से की जा रही मांग को कांग्रेसी एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा का समर्थन दिया गया। इस दौरान ग्रामीण चिकित्सकों के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य सुखराम उरांव एवं कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के प्रतिनिधि त्रिशानु राय उपस्थित रहे।
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