चाईबासा: वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सुविधा प्रदान कर रहे चिकित्सकों ने मंगलवार को सरकारी मान्यता देने और अपनी दूसरी मांगों को लेकर चाईबासा में रोटी और प्रतिष्ठा की लड़ाई के तहत एक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा.
कोल्हान प्रमंडल से 600 से अधिक की संख्या में जुटे चिकित्सकों ने लगभग 3.50 किलोमीटर की रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने सरकार के सामने बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के तर्ज पर आरएमपी बोर्ड का गठन करते हुए एनआईओएस के तहत विशेष प्रशिक्षण देकर उन्हें सरकारी चिकित्सक सहायक की मान्यता देने की मांग रखी.
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डॉक्टरों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वे वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सुविधा प्रदान कर रहे हैं. लेकिन, सरकारें उन्हें झोला-छाप डॉक्टर कह कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनपर अत्याचार कराने की कोशिश करती रही है. यह रूकना चाहिए.
चिकित्सकों ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि जिले के कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पिछले 30-40 वर्षों से कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं गया. लेकिन, ग्रामीण चिकित्सकों की वजह से लोगों को सेवाएं मिलती रही.
झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष जेजे षाड़ंगी ने कहा कि ग्रामीणों को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल नहीं पाती है. सरकार सहिया और आंगनबाड़ी सेविकाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में दवा का वितरण करवा रही है. जबकि, फार्मासिस्ट को ही दवा देने का अधिकार प्राप्त है. ग्रामीण चिकित्सक सुदूरवर्ती क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं. इसके बावजूद सरकार सहयोग एवं प्रशिक्षण देने के बजाए मानसिक शोषण कर रही है.
झारखंड ग्रामीण चिकित्सक संघ की मांगों का समर्थन कांग्रेस और जेएमएम ने भी किया. रैली के दौरान जेएमएम के केंद्रीय सदस्य सुखराम उरांव और कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के प्रतिनिधि त्रिशानु राय उपस्थित रहे.