चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर नगर परिषद कार्यालय में घर-घर कूड़ा उठाव अभियान के लिए गाड़ियों को एसडीएम प्रदीप प्रसाद, नप अध्यक्ष कृष्णदेव साह और कार्यपालक पदाधिकारी अभय झा ने सयुंक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
कचरा उठाव नहीं होने से परेशान हैं लोग
चक्रधरपुर शहर के घरों से कचरा का उठाव नगर परिषद की ओर से कराई जाती रही है. नगर परिषद का वाहन प्रतिदिन अलग-अलग वार्डो में जाकर घरों से कूड़ा-कचरा का उठाव करता है, जिसके एवज में नगर परिषद को प्रत्येक घर से 40 रुपए प्रति महीने का शुल्क भी मिलता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कचरा उठाव बंद है. बता दें कि सही तरीके से कचरा उठाव नहीं होने के कारण शहरवासी काफी परेशान थे. प्रतिदिन शहरवासियों की ओर से नगर परिषद कार्यालय पहुंचकर शिकायत की जाती थी. वहीं, समयानुसार कचरा उठाव नहीं होने पर गल्ली-मुहल्ले में कचरों का अंबार लगा रहता था. प्रतिदिन शिकायत से परेशान नगर परिषद के पदाधिकारियों ने बैठक कर निजी कंपनी को कूड़ा-कचरा उठाव का कार्य देने का निर्णय लिया है.
24 वार्ड से 12 वाहन उठाएगी कूड़ा-कचरा
चक्रधरपुर नगर परिषद ने एचीभर एन्भायरो केयर प्राईवेट लिमिटेड के साथ 3 साल के लिए अनुबंध किया गया है. जिसके लिए चक्रधरपुर नप के कुल 24 वार्डों के लिए 12 छोटी-बड़ी गाड़ियों से सुखा और गिले कूड़े कचरों का प्रतिदिन उठाव करेगी. नीजि कंपनी के कचरा उठाव से निश्चित तौर पर शहर की साफ-सफाई व्यवस्था अच्छी रहेगी. नगर परिषद के पदाधिकारियों ने विचार-विमर्श के बाद यह कार्य निजी कंपनी को दिया है.
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शहर में कायम रहेगी साफ-सफाई की व्यवस्था
नप अध्यक्ष कृष्णदेव साह ने बताया कि आए दिन कूड़ा-कचरा प्रबंधन को लेकर शिकायत मिलती रहती थी. वहीं, अब नीजि कंपनी के हाथों में कूड़ा उठाव का जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. जिससे आने वाले दिनों में शहर की दशा और दिशा में बदलाव देखने को मिलेगा. इसके साथ ही आनेवाले समय में कचरा प्रबंधन के माध्यम से कचरों से कंपोस्ट खाद्य भी बनाने की योजनाएं है. जिसके लिए शहर के एक क्षेत्र में प्लांट के लिए जगह भी देखा जा रहा है. सही स्थान मिलने पर जल्द ही वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का प्लांट लगाया जा सकता है.
नगर पर्षद के पास नहीं है सुरक्षित डिस्पोजल डंपिंग एरिया
चक्रधरपुर शहर से रोजाना पांच टन से अधिक कचरा का उठाव होता है, जिसे श्मसान घाट परिसर भलियाकुदर में ही डंप किया जाता है. इससे आसपास के क्षेत्रों के लोगों के अलावा अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों को भी कचरे के दुर्गंध से काफी परेशानी होती है.