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हेमंत मंत्रिमंडल में पश्चिमी सिंहभूम को नहीं मिला प्रतिनिधित्व, लोगों में नाराजगी - Hemant Soren

हेमंत कैबिनेट के पहले विस्तार में सात मंत्रियों ने शपथ ली है, जिसमें कोल्हान के किसी विधायक का मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने से नाराज समाज के लोग मुख्यमंत्री का बहिष्कार करने की बात कह रहे हैं.

ple of the society angry over not being included in the cabinet
महासचिव मुकेश बिरूवा
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Published : Jan 29, 2020, 8:48 PM IST

चाईबासा: झारखंड में सरकार के गठन के एक माह बाद मंगलवार को हेमंत सोरेन कैबिनेट का विस्तार हो गया. हेमंत कैबिनेट के पहले विस्तार में सात मंत्रियों ने शपथ ली है. झामुमो कोटे से पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. इनमें चंपई सोरेन, हाजी हुसैन अंसारी, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी और मिथिलेश ठाकुर शामिल हैं. इस कम में झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मंत्रिमंडल में कोल्हान के किसी भी विधयाक को शामिल नहीं किये जाने से आहत, हो समाज के लोगों ने अपने किसी भी आयोजन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आमंत्रित नही करके बहिष्कार करने का मन बनाया है.

देखें पूरी खबर

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क्या है आदिवासी महासभा के महासचिव का कहना
इस संबंध में आदिवासी महासभा के महासचिव मुकेश बिरूवा ने कहा कि मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में मुश्किल से 8 से 10 हजार संथाल लोग हैं बाकी सभी हो समाज के हैं. उसके बावजूद भी हम लोगों ने जोबा मांझी को विधायक बनाया. चक्रधरपुर में मुश्किल से 5-7 हजार लोग ही उरांव है.उसके बावजूद भी हम लोगों ने सुखराम उरांव को विधायक बनाया, यह क्षेत्र पूरी तरह से हो बाहुल्य क्षेत्र है और हो समाज के लोगों के वोट से सभी विधायक ने चुनाव जीता है.लोकसभा चुनाव में भी एक ही सीट मिली थी उसके बावजूद भी यहां से पूरा समर्थन देकर जीत दिलाई गई.अगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती तो हम लोग अपने सामाजिक कार्यक्रमों में इस सरकार को आमंत्रित नहीं करेंगे बल्कि बहिष्कार करेंगे.हमारे वोट से ही विधायक जीते हैं. उसके बावजूद भी हमारा ही प्रतिनिधित्व करने वालों को नजरअंदाज किया जा रहा है और समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो समाज आहत होगा.

चाईबासा: झारखंड में सरकार के गठन के एक माह बाद मंगलवार को हेमंत सोरेन कैबिनेट का विस्तार हो गया. हेमंत कैबिनेट के पहले विस्तार में सात मंत्रियों ने शपथ ली है. झामुमो कोटे से पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. इनमें चंपई सोरेन, हाजी हुसैन अंसारी, जगरनाथ महतो, जोबा मांझी और मिथिलेश ठाकुर शामिल हैं. इस कम में झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मंत्रिमंडल में कोल्हान के किसी भी विधयाक को शामिल नहीं किये जाने से आहत, हो समाज के लोगों ने अपने किसी भी आयोजन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आमंत्रित नही करके बहिष्कार करने का मन बनाया है.

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क्या है आदिवासी महासभा के महासचिव का कहना
इस संबंध में आदिवासी महासभा के महासचिव मुकेश बिरूवा ने कहा कि मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में मुश्किल से 8 से 10 हजार संथाल लोग हैं बाकी सभी हो समाज के हैं. उसके बावजूद भी हम लोगों ने जोबा मांझी को विधायक बनाया. चक्रधरपुर में मुश्किल से 5-7 हजार लोग ही उरांव है.उसके बावजूद भी हम लोगों ने सुखराम उरांव को विधायक बनाया, यह क्षेत्र पूरी तरह से हो बाहुल्य क्षेत्र है और हो समाज के लोगों के वोट से सभी विधायक ने चुनाव जीता है.लोकसभा चुनाव में भी एक ही सीट मिली थी उसके बावजूद भी यहां से पूरा समर्थन देकर जीत दिलाई गई.अगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती तो हम लोग अपने सामाजिक कार्यक्रमों में इस सरकार को आमंत्रित नहीं करेंगे बल्कि बहिष्कार करेंगे.हमारे वोट से ही विधायक जीते हैं. उसके बावजूद भी हमारा ही प्रतिनिधित्व करने वालों को नजरअंदाज किया जा रहा है और समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो समाज आहत होगा.

Intro:चाईबासा। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार की मंत्रिमंडल में कोल्हान के किसी भी विधयाक को शामिल नही किये जाने से आहत, हो समाज के लोगों ने अपने किसी भी आयोजन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आमंत्रित नही करके बहिष्कार करने का मन बनाया है। इस संबंध में आदिवासी महासभा के महासचिव मुकेश बिरूवा ने कहा कि कोल्हान पूरी तरह से हो बहुल क्षेत्र है। 2014 कि विधानसभा चुनाव में मोदी लहर को हम हो समाज के लोगों ने आईना दिखाते हुए यंहा से जेएमएम को समर्थन देते हुए जीत दिलायी। उसके बाद 2019 में भी पूरे राज्य में कांग्रेस कंही कुछ कर नही कर पाई। ऐसी स्थिति में हम लोगों ने ही जगन्नाथपुर से जीत दिलाई। उसके बावजूद भी यहां के विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा को 7 सीटों में से 6 सीट दी गई चुनाव भी जीते गए उसके बावजूद हो समाज के लोगों के चुने गए विधायक को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना हम को समाज के लोग अपनी तौहीन मानते हैं और मुख्यमंत्री के इस फैसले से काफी आहत है।


Body:मुकेश बिरूवा ने कहा कि मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र में मुश्किल से 8 से 10 हजार संथाल लोग हैं बाकी सभी हो समाज के हैं। उसके बावजूद भी हम लोगों ने जोबा मांझी को विधायक बनाया। चक्रधरपुर में मुश्किल से 5-7 हजार लोग ही उरांव है । उसके बावजूद भी हम लोगों ने सुखराम उरांव को विधायक बनाया यह क्षेत्र पूरी तरह से हो बहुल क्षेत्र है और हो समाज के लोगों के वोट से सभी विधायक ने चुनाव जीता है। लोकसभा चुनाव में भी एक ही सीट मिली थी उसके बावजूद भी यहां से पूरा समर्थन देकर जीत दिलाई गई। अगर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती तो हम लोग अपने सामाजिक कार्यक्रमों में इस सरकार को आमंत्रित नहीं करेंगे बल्कि बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने राजनीतिक विषम परिस्थितियों में भी समाजिक गोलबंद होकर एकता दिखाई। 28 सीटों में से 22 सीट जारखंड मुक्ति मोर्चा को आदिवासियों ने दिया उसके बावजूद भी इस सरकार ने आदिवासियों के मूल लोगों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारे वोट से ही विधायक जीते हैं उसके बावजूद भी हमारा ही प्रतिनिधित्व करने वालों को नजरअंदाज किया जा रहा है और समाज का प्रतिनिधित्व नहीं होगा तो समाज आहत होगा। इसके साथ ही उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हो समाज के कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं करने की बात कही। साथ ही दबी जुबान से कहा कि आमंत्रित नहीं करने का मतलब बहिष्कार करना होता है यह सभी जानते हैं ।


Conclusion:आदिवासी हो समाज के लोग चाईबासा के विधायक दीपक बीरूवा को मंत्री पद नहीं मिलने से खासे नाराज हैं हेमंत सोरेन के द्वारा अपने मंत्रिमंडल में दीपक बीरूवा को स्थान नहीं मिलने के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बहिष्कार करने का मन बनाया है।
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