चाईबासा: अपने दो दिवसीय दौरे पर कोल्हान आए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने चाईबासा के परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है. दीपक प्रकाश ने कहा है कि यह सरकार असफलताओं का भंडार लेकर बैठी हुई है. हम सभी जानते हैं कि ट्राइबल झारखंड की संस्कृति की पहचान है. ट्राइबल के हित की बात करने वाली यह सरकार ट्राइबल का अहित ही कर रही है.
देश का सबसे बड़ा खदान घोटाला
दीपक प्रकाश ने कहा कि पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदरी प्रखंड में नरसंहार हुआ. उसके बाद राज्य सरकार का कोई मंत्री या मुख्यमंत्री परिवार की सुध लेने भी नहीं गया और उसका मास्टरमाइंड आज भी बेखौफ घूम रहा है. सांसद ने कहा कि आज राज्य में 1,300 बहनों के साथ दुष्कर्म हुआ और उनकी हत्या हुई, जिसमें से सबसे अधिक मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही हुआ है. पश्चिम सिंहभूम में चल रही लौह अयस्क खदानों को लेकर प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने चाईबासा में बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि देश का सबसे बड़ा खदान घोटाला इस लौह खदान क्षेत्र में हो रहा है. इस मामले में सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि शाह ब्रदर्स और दक्षिण की एक कंपनी को सरकार लौह अयस्क खदान पर आधिपत्य देने का काम कर रही है. भाजपा इसका विरोध करती है.
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आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
पश्चिमी सिंहभूम जिले के लौह अयस्क खनन करने वाली शाह ब्रदर्स के माइंस की लीज अवधि समाप्ति के बाद बचे हुए 5 लाख 70 हजार टन लौह अयस्क को राज्य के सचिव की ओर से बेचने की अनुमति देने के बाद कई सवाल खड़े होने लगे. इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भी आया है, लेकिन नेताओं की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. सांसद ने कहा कि शाह ब्रदर्स की माइंस में 5 लाख 70 हजार टन लौह अयस्क मौजूद नहीं है. दुर्भाग्य से जो बंद पड़े खदान में ऐसे नीतिगत फैसले लिए गए.
5 लाख 70 हजार टन लौह अयस्क की बिक्री की अनुमति
सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार के खनन सचिव की ओर से आदेश पारित किया गया है. उस आदेश पर 5 लाख 70 हजार टन लौह अयस्क की बिक्री की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा कि वह चुनौती देते हैं कि राज्य सरकार उनके साथ चले और दिखाएं कि शाह ब्रदर्स के पास 5 लाख 70 हजार टन लौह अयस्क है या नहीं. यह एक तरह से इलीगल माइनिंग को छूट देने का प्रावधान राज्य सरकार ने किया है और यह षड्यंत्र करने का और संरक्षण देने का कार्य राज्य सरकार ने किया है, इसलिए उसी प्रकार से हम कह सकते हैं कि अन्य लीज पट्टा धारियों को अनुमति क्यों नहीं दी गई.