चाईबासा: भगवान बिरसा मुंडा, जिन्होंने देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई. महज 20 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों से लड़ते हुए वो शहीद हो गए. उनकी पुण्यतिथि पर 09 जून को खंडित मूर्ति पर ही बड़े बड़े नेताओं ने माल्यार्पण किया. धरती आबा की खंडित मूर्ति पर ही कई सालों से राजनीतिक दलों के नेता माल्यापर्ण करते रहे हैं, जो एक चर्चा विषय बना हुआ है.
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भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन (15 नवंबर 2000) को झारखंड का गठन हुआ. भगवान बिरसा मुंडा का चाईबासा से भी एक अहम रिश्ता जुड़ा हुआ है. उनकी पढ़ाई- लिखाई चाईबासा के लुथेरन स्कूल से ही हुई थी. प्रत्येक साल 15 नवंबर के दिन राज्य गठन के वर्षगांठ के साथ-साथ भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन यह कैसी विडंबना है कि जिले के खनिज निधि यानी डीएमएफटी मद में करोड़ों रुपए रहने के बावजूद धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की खंडित प्रतिमा की मरम्मत तक नहीं करवाई गई.
भगवान बिरसा मुंडा के नाम से झारखंड को मिली पहचान
राजनीतिक दलों के बड़े बड़े नेता धरती आबा की खंडित मूर्ति पर ही कई वर्षों से माल्यापर्ण करते रहे हैं. जिनके नाम से राज्य को एक अलग पहचान मिली, उसकी प्रतिमा की मरम्मत और रंग रोगन को लेकर भी आवाज नहीं उठाई गई, इसे विडंबना ना कहें तो और क्या कहें? चाईबासा बस स्टैंड के पास उनकी प्रतिमा आज खंडित हुई पड़ी है और खंडित मूर्ति पर ही आज तक माल्यापर्ण लगातार होता आया है, लेकिन अब तक खंडित मूर्ति को बेहतर बनाने के लिए कोई पहल नहीं की गई है.