चाईबासाः झारखंड की भाषा कुड़माली, हो, संथाली और मुंडारी है. इन भाषाओं को केजी से पीजी तक पढ़ाया जाए. अलग राज्य बनाने वाले आंदोलनकारियों की यही मांग थी. लेकिन हेमंत सरकार ने झारखंडी भाषा को दरकिनार कर दिया है और भोजपुरी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. ये बातें पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि झारखंडी भाषा को केजी से पीजी तक के पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया तो हेमंत सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी उग्र आंदोलन किया जाएगा.
चाईबासा सर्किट हाउस में पूर्व मंत्री देवेंद्र नाथ चंपिया, पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी और पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने मुख्य हेमंत सोरेन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि झारखंडी भाषा कुड़माली, हो, संथाली, मुंडारी भाषा है. इस भाषा को केजी से पीजी तक पढ़ाया जाए. झारखंड में भोजपुरी और अन्य भाषा नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि कोल्हान में आग भड़क चुकी है. अब हेमंत सोरेन को होश में आ जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 21 वर्ष का झारखंड फोकट में उन्हें मिला है. अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वाले आज फिर से आंदोलन कर रहे हैं. कोल्हान का क्षेत्र पांचवी अनुसूचित के रुप में दर्जा प्राप्त है. इस पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में दारोगा, सिपाही, स्कूल में शिक्षक सभी झारखंडी भाषा को जानने वाला चाहिए. अगर झारखंडी भाषा नहीं जानता है तो हिंदी और भोजपुरी बोलने और समझने वाला नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कोल्हान की आग पूरी तरह से भड़क चुकी है और आने वाले दिनों में संताली भाषा नहीं जानने वाले शिक्षक सिपाही और दारोगा को तड़ीपार किया जाएगा.