चाईबासा: जिले में मानसून के सक्रिय होने के बाद रुक-रुक कर हुई बारिश के बाद मानसून की बेरुखी से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई है. इस साल सावन बीत चुके हैं, लेकिन जिस तरह से सावन महीने में औसतन वर्षा होती थी, उस अनुपात में इस साल वर्षा नहीं हुई, जिसे लेकर किसान काफी चिंतित हैं. पूरे जिले में 1 लाख 86 हजार हेक्टेयर खेतों में धान की खेती की जाती है, लेकिन वर्षा पर आश्रित किसानों को अब चिंता सताने लगी है.
टूट रहा किसानों का सब्र
हल्की बारिश के कारण पानी खेतों में बहुत जल्द सूख जा रहा है. इससे किसानों का सब्र टूटता नजर आ रहा है. क्षेत्र में वर्षा नहीं होने के कारण कुछ सक्षम किसान अपने खेतों में नदी, नाला और तालाबों से सिंचाई कर रहे हैं. अगर तेज बारिश नहीं हुई तो जिले में अकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई महीने में भी सामान्य वर्षा अनुपात 271.7 मिलीमीटर के विरुद्ध 157.8 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य वर्षा अनुपात से 113.9 मिलीमीटर कम है. अगस्त महीने का सामान्य वर्षा अनुपात 336.4 एमएम है, लेकिन इस महीने में महज 87.0 एमएम बारिश ही हुई है.
सिंचाई की नहीं हैं वैकल्पिक व्यवस्था
इससे बेहतर स्थिति पिछले साल थी. पिछले साल जुलाई महीने में 227.0 एमएम बारिश हुई थी. पिछले 5 महीने में आवश्यकता से काफी कम बारिश होने के कारण खेतों में नमी की कमी हो गई है. धान की फसलों की पत्तियों में पीलापन आ रहा है. इसे देखते हुए सक्षम किसान किसी प्रकार सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं, लेकिन उनका भी प्रयास नाकाम साबित हो रहा है. यही वजह है कि जिले के किसान काफी चिंतित हैं. अब वो जिले को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की मांग भी करने लगे हैं. इस साल चाईबासा के जगन्नाथपुर में 313.4 एमएम, खूंटपानी में 41 मिलीमीटर, सोनुवा में 191.3 एमएम, गुदरी में 191.4 एमएम और हाटगम्हरिया में 36 एमएम बारिश हुई है.
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भुखमरी के कगार पर किसान
तांतनगर प्रखंड के किसानों की मानें तो क्षेत्र में वर्षा नहीं होने के कारण किसान खेतों में कढ़ान नहीं कर पा रहे हैं. वे खुद भी नदी से पंप सेट के जरिए अपने खेतों में पानी की व्यवस्था कर कढ़ान की शुरुआत की है. उनका कहना है कि आसपास क्षेत्र के कई किसानों के खेतों में अब तक कढ़ान नहीं हो सका है. अगर इसी तरह मानसून की बेरुखी रही तो अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएंगे. उन्हें अब तक सरकार की ओर से धान के बीज की प्राप्त भी नहीं हुई है, जिस कारण वो खुद बीजों की व्यवस्था कर अपने खेतों में रोपाई का कार्य किए हैं.
2 सालों से वर्षा अनुपात से कम
किसानों का कहना है कि पिछले 2 सालों से जिस अनुपात में वर्षा होनी चाहिए, वैसी बारिश नहीं हो रही है. पिछले साल की अपेक्षा इस साल बारिश की स्थिति और भी खराब है. पहले वो श्रीविधि के अनुसार खेती किया करते थे, लेकिन इस साल पानी का अभाव है. अगर मशीन से खेती करते हैं तो काफी खर्च आता है, जिसे देखते हुए इस साल श्रीविधि के अनुसार खेती न करके खुद पुरानी विधि से ही धान की रोपनी की है. वर्षा बिल्कुल भी नहीं हो रही है. खेतों में पानी नहीं जम रहा है. यही कारण है कि अब तक कढ़ान नहीं किया जा सका है. इससे पहले जिस तरह धान की पैदावार होती थी, इस बार ऐसी पैदावार नहीं हो पाएगी. ऐसा लग रहा है कि अकाल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
सूखे की आशंका बनी
किसानों का कहना है कि प्रखंड कार्यालय से किसानों को धान का बीज रोपनी का समय बीत जाने के बाद उपलब्ध करवाया जाता है. कभी भी प्रखंड कार्यालय की ओर से समय पर बीज उपलब्ध नहीं कराया जाता है. आसपास के क्षेत्रों में अब तक सही ढंग से वर्षा नहीं हो पाई है, जिस कारण खेतों में कढ़ान नहीं हो पा रही हैं. सूखे की आशंका बनी हुई है. किसी भी किसान के खेतों में पानी नहीं है. कुछ किसान तालाब के माध्यम से पानी लेकर अपने खेतों में कढ़ान शुरू कीए हैं, लेकिन अधिकतर किसानों के समक्ष भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
किसानों की खेती भगवान भरोसे
किसान को कहना है कि सरकार भी इस क्षेत्र में ध्यान नहीं दे रही है. अगर सरकार की ओर से किसानों के खेतों में पानी की सुविधा मुहैया करवा दी जाए, तो किसान बहुत हद तक राहत की सांस लेंगे. उनका कहना है कि कृषि क्षेत्र में किसानों को भगवान के भरोसे ही छोड़ दिया गया है. किसानों को किसी भी प्रकार की सुविधा मुहैया नहीं करवाई जा रही है, जो काफी दुखद बात है. कोई भी उच्च नस्ल का खेती बिना पानी के बीना नहीं हो सकता है. ऐसी स्थिति में किसान अब खेती भी नहीं कर सकेंगे. अगर खेतों में फसल नहीं होंगे तो पशु-पक्षियों पर भी संकट आ सकते हैं.
बीडीओ ने बीज वितरण में देरी की बात को नकारा
जब तांतनगर प्रखंड विकास पदाधिकारी अनंत कुमार से इस मामले में पुछा गया तो उन्होंने धान के बीज वितरण में देरी की बातों को नकार दिया है. उन्होंने बताया कि प्रखंड में धान का बीज मई महीने के अंत तक उपलब्ध हुए थे, जिसके बाद ग्रामीणों के बीच इसका वितरण कर दिया गया. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में औसतन जितनी बारिश होनी थी उतनी नहीं हो सकी है. उसके बावजूद नरेगा के तहत नाला निर्माण करवाने और नीलांबर पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत 71 नाले बनवाये गए हैं जो काफी लंबा है. दूसरे विभागों की ओर से भी यहां कैनाल का निर्माण करवाया जा रहा है, जिससे पानी को रिजर्व रखा जाए.
इसके अलावा प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा कि छोटी स्कीमों के तहत नालों का जाल बिछाया जा रहा है, ताकि यहां के किसानों को पानी की समस्याओं से निजात मिल सके और उनके खेतों में पानी उपलब्ध करवाया जा सके.