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लापता 5 लोगों के परिजन का तीसरी बार अनिश्चितकालीन धरना शुरू, प्रशासन मौन - चाईबासा की अपराध की खबरें

चाईबासा के बाईहातु से 14 जुलाई को एक दंपति और उसके परिवार के तीन सदस्य रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे, लेकिन अभी तक किसी का कोई पता नहीं चला है. इसे लेकर उग्र ग्रामीणों ने पुराने डीसी कार्यालय के समक्ष तीसरी बार अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है.

लापता 5 लोगों के परिजन का तीसरी बार अनिश्चितकालीन धरना शुरू
Family of 5 missing persons started indefinite strike in chaibasa
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Published : Nov 13, 2020, 10:05 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस स्थित टोंटो प्रखंड के बाईहातु से 14 जुलाई से एक दंपत्ति और उसके परिवार के तीन सदस्य रहस्यमय तरीके से लापता हैं, लेकिन अभी तक उसका कोई पता नहीं चला है. इसे लेकर उग्र ग्रामीणों ने पुराने डीसी कार्यालय के समक्ष तीसरी बार अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है. इतना ही नहीं 10 वर्षों से लापता जगन्नाथपुर निवासी मरतम लागुरी के आश्रित भी विगत 3 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. दोनों ही परिवार अपने-अपने परिजनों की खोजबीन की मांग कर रहे हैं.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का बयान

6 अक्टूबर को दिया गया था एक दिवसीय धरना

14 जुलाई 2020 से लापता दंपति और परिवार के तीन सदस्य का अभी तक पता नहीं चल सका है. लापता होने के बाद से परिजनों ने 6 अक्टूबर को एक दिवसीय और 21 अक्टूबर को अनिश्चितकालीन धरना किया था, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर 2 दिनों के बाद धरना से उठवा दिया था. दो बार धरना देने के बाद कोई परिणाम सामने नहीं आने पर चिंतित परिवार के सदस्य और ग्रामीणों ने 11 नवंबर से पुनः अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया.

ये भी पढ़ें-जय-जय: 112 देशों के झंडे और नक्शे पहचानता है तीन साल का जय

तीसरी बार दी जा रही है धरना

धरना पर बैठे पंचायत समिति सदस्य जयंती विरुली ने बताया कि 21 अक्टूबर के अनिश्चितकालीन धरना में पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक संदेही व्यक्तियों को हिरासत में लेकर खोजबीन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई. वहीं, धरने पर बैठे परिजनों ने का कहना है कि उसके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई है, लेकिन शव अब तक उन्हें बरामद नहीं हुआ है. बार-बार पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई जा रही है कि पुलिस पता करें की आखिरकार ये लोग कैसे और कहां गायब हो गए. परिवार वालों का आरोप है कि उनके ही पड़ोस के लोगों ने उनके परिवार के सदस्यों को अगवा कर सभी की हत्या की है.

समर्थन में उतरी राजनीतिक पार्टियां

इधर, पिछले 10 वर्षों से लापता जगन्नाथपुर निवासी मरतम लागुरी के आश्रित भी विगत 3 दिनों से चाईबासा के पुराने डीसी ऑफिस के सामने धरने पर बैठे हुए हैं. बता दें कि मरतम लागुरी बीएसएफ के जवान है और विगत 10 वर्षों से धनबाद से गायब हैं. इसे लेकर परिजनों ने कई बार पुलिस प्रशासन के पास गुहार लगाई है, लेकिन अब तक मरतम लागुरी का पता नहीं चल सका है. इन दोनों आश्रित परिवारों के समर्थन में सिंहभूम के पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ भी मैदान में उतर गए हैं. उन्होंने दोनों परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.

ये भी पढ़ें-भारी पड़ रहा कोरोना काल, फल-सब्जियों सहित मांस के व्यापार में गिरावट

आदिवासियों की सरकार में आदिवासियों की हत्या

झारखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलवा ने कहा है कि आदिवासी की सरकार होने के बावजूद आदिवासी परिवार के साथ इतना शोषण हो रहा है. यह उचित नहीं है. सरकार को इस पर कठोर निर्णय लेते हुए इस पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना चाहिए. 3 महीने गुजर जाने के बावजूद भी कैरा लागुरी, उसकी पत्नी को पुलिस अब तक खोज नहीं पाई है. यह खेद जनक है. जिला प्रशासन भी किसी के दबाव में आकर इस पीड़ित परिवार को न्याय नहीं दिला रही है. वरना अब तक दूध का दूध और पानी का पानी हो जाना चाहिए था. आदिवासी मूलवासी की सरकार होने के बाद भी आदिवासियों की हत्या हो रही है. इसमें इस सरकार को डूब मरना चाहिए.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस स्थित टोंटो प्रखंड के बाईहातु से 14 जुलाई से एक दंपत्ति और उसके परिवार के तीन सदस्य रहस्यमय तरीके से लापता हैं, लेकिन अभी तक उसका कोई पता नहीं चला है. इसे लेकर उग्र ग्रामीणों ने पुराने डीसी कार्यालय के समक्ष तीसरी बार अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है. इतना ही नहीं 10 वर्षों से लापता जगन्नाथपुर निवासी मरतम लागुरी के आश्रित भी विगत 3 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं. दोनों ही परिवार अपने-अपने परिजनों की खोजबीन की मांग कर रहे हैं.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का बयान

6 अक्टूबर को दिया गया था एक दिवसीय धरना

14 जुलाई 2020 से लापता दंपति और परिवार के तीन सदस्य का अभी तक पता नहीं चल सका है. लापता होने के बाद से परिजनों ने 6 अक्टूबर को एक दिवसीय और 21 अक्टूबर को अनिश्चितकालीन धरना किया था, जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर 2 दिनों के बाद धरना से उठवा दिया था. दो बार धरना देने के बाद कोई परिणाम सामने नहीं आने पर चिंतित परिवार के सदस्य और ग्रामीणों ने 11 नवंबर से पुनः अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया.

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तीसरी बार दी जा रही है धरना

धरना पर बैठे पंचायत समिति सदस्य जयंती विरुली ने बताया कि 21 अक्टूबर के अनिश्चितकालीन धरना में पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक संदेही व्यक्तियों को हिरासत में लेकर खोजबीन की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई. वहीं, धरने पर बैठे परिजनों ने का कहना है कि उसके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई है, लेकिन शव अब तक उन्हें बरामद नहीं हुआ है. बार-बार पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई जा रही है कि पुलिस पता करें की आखिरकार ये लोग कैसे और कहां गायब हो गए. परिवार वालों का आरोप है कि उनके ही पड़ोस के लोगों ने उनके परिवार के सदस्यों को अगवा कर सभी की हत्या की है.

समर्थन में उतरी राजनीतिक पार्टियां

इधर, पिछले 10 वर्षों से लापता जगन्नाथपुर निवासी मरतम लागुरी के आश्रित भी विगत 3 दिनों से चाईबासा के पुराने डीसी ऑफिस के सामने धरने पर बैठे हुए हैं. बता दें कि मरतम लागुरी बीएसएफ के जवान है और विगत 10 वर्षों से धनबाद से गायब हैं. इसे लेकर परिजनों ने कई बार पुलिस प्रशासन के पास गुहार लगाई है, लेकिन अब तक मरतम लागुरी का पता नहीं चल सका है. इन दोनों आश्रित परिवारों के समर्थन में सिंहभूम के पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ भी मैदान में उतर गए हैं. उन्होंने दोनों परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है.

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आदिवासियों की सरकार में आदिवासियों की हत्या

झारखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सिंहभूम के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलवा ने कहा है कि आदिवासी की सरकार होने के बावजूद आदिवासी परिवार के साथ इतना शोषण हो रहा है. यह उचित नहीं है. सरकार को इस पर कठोर निर्णय लेते हुए इस पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना चाहिए. 3 महीने गुजर जाने के बावजूद भी कैरा लागुरी, उसकी पत्नी को पुलिस अब तक खोज नहीं पाई है. यह खेद जनक है. जिला प्रशासन भी किसी के दबाव में आकर इस पीड़ित परिवार को न्याय नहीं दिला रही है. वरना अब तक दूध का दूध और पानी का पानी हो जाना चाहिए था. आदिवासी मूलवासी की सरकार होने के बाद भी आदिवासियों की हत्या हो रही है. इसमें इस सरकार को डूब मरना चाहिए.

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