चाईबासा: उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिला स्तरीय डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान के ड्राफ्ट को स्वीकृत किया गया. डिस्ट्रिक्ट एनवायरमेंट प्लान में दीर्घकालिक रूपरेखा के साथ-साथ अल्पकालिक उपायों को भी शामिल किया गया है.
बैठक के बाद उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट प्लान के ड्राफ्ट को स्वीकृत किया गया है, डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट कमेटी के सभी सदस्यों के साथ विचार विमर्श करने के बाद डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट प्लान तैयार किया गया है. जिले में किसी भी तरह का प्रदूषण यदि फैलता है या भविष्य में भी फैलने की संभावना है, उन सभी को किस प्रकार से नियंत्रित करना है और पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है, इसी उद्देश्य के साथ पूरा एनवायरनमेंट प्लान बनाया गया है.
अल्पकालिक उपायों के साथ दीर्घकालिक योजना बनाई
उपायुक्त ने बताया कि एनवायरमेंट प्लान में विशेषकर शहरी क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, भूमिगत जल से लेकर घरों में प्रयोग में लाया जाने वाला सीवरेज जल तक सभी प्रकार के प्रदूषण और जल की गुणवत्ता के बारे में भी उल्लेख है. उन्होंने बताया कि खनन क्षेत्र में विभाग के मानकों का अनुपालन कराने का उल्लेख किया गया है, ध्वनि प्रदूषण के बारे में भी चर्चा की गई है, सभी प्रकार के प्रदूषणों को किस प्रकार से नियंत्रित करना है, इस संदर्भ में एक दीर्घकालिक रूपरेखा तैयार की गई है साथ ही अल्पकालिक उपायों पर भी तैयारी की गई है.
चाईबासा और चक्रधरपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की आवश्यकता
उपायुक्त ने कहा कि प्रदूषण पर लगातार मॉनिटरिंग रखनी है, पश्चिमी सिंहभूम जिले में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई संयंत्र नहीं है. सॉलिड वेस्ट के प्रबंधन के लिए चाईबासा और चक्रधरपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की आवश्यकता है, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का भी उल्लेख डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट प्लान में किया गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर बायोडिग्रेडेबल वेस्ट अधिक होता है, ऐसे क्षेत्रों में वर्मी कंपोस्ट के बारे में व्यवस्था करने का उल्लेख है. रोरो माइंस जैसे प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष उल्लेख है और डंप हो गए साइट को किस तरह से भराव किया जाना है इस पर भी चर्चाएं की गई हैं.
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एनजीटी के निर्देश पर डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट कमेटी का गठन
अरवा राजकमल ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट एनवायरनमेंट कमेटी राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के आलोक में बनाई गई है और लगातार हर महीने इस कमेटी की बैठक आयोजित की जा रही है, पर्यावरण संदर्भ के विषय में लगातार चर्चा समिति के ओर से की जाती रहेगी.
प्रदूषण सरकार और प्रशासन का मुख्य विषय बना
उपायुक्त ने कहा कि जिला स्तर पर एक ड्राफ्ट प्लान तैयार कर लिया गया है, इसको राज्य सरकार के स्तर पर भेजा जाएगा, जिसके बाद एनजीटी को भी संसूचित किया जाएगा, प्रदूषण के बारे में शायद पूर्व में हम इतना ध्यान नहीं दे रहे थे, वर्तमान में सरकार और प्रशासन का मुख्य विषय बन गया है, जिसका प्रशासन के ओर से लगातार मॉनिटरिंग की जाती रहेगी.
यह भी तैयारी
अरवा राजकमल ने बताया कि इस समिति के सचिव डीएफओ सारंडा हैं और इसके पदेन चेयरमैन उपायुक्त होते हैं, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से लेकर कॉलेज के प्रोफेसर तक कई सारे विशेषज्ञ भी उसके भाग हैं, अगली बैठक में थोड़ा विस्तृत स्तर पर विचार विमर्श किया जाएगा, जिसमें नगर पालिका क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, महिला एसएचजी के प्रतिनिधि को शामिल करते हुए प्रदूषण को कम करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी. साथ ही एसीसी, सेल जैसी कंपनियों के साथ भी पार्टनरशिप की जा सकती है, जिससे वेस्ट कलेक्शन, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट या ऐसा कोई उपाय जिससे कि वे ऊर्जा बना सकते हैं और अपनी कंपनी के लिए कुछ लाभकारी उपागम तैयार कर सकते हैं, वेस्ट मैनेजमेंट से कंपनी को लाभ होने के साथ-साथ वेस्ट उपलब्ध कराने वाले लोगों को भी आमदनी का जरिया प्राप्त हो जाएगा.