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चाईबासा: प्रखंड प्रमुख और जिप सदस्य ने हाइमास्क लाइट का किया निरीक्षण, कई गड़बड़ियां आई सामने - high mask light in chaibasa

पश्चिमी सिंहभूम के मझगांव प्रखंड में 14वें वित्त आयोग फंड से हुए विकास कार्यों में कई गड़बड़ी सामने आई है. इसको लेकर बुधवार को मझगांव प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद सदस्य ने प्रखंड में लगाए गए हाइमास्क लाइट का निरीक्षण किया.

District Council Member inspected high mask light in chaibasa
प्रखंड प्रमुख और जिप सदस्य
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Published : Jun 10, 2020, 4:25 PM IST

चाईबासा: जिले के कई प्रखंडों में 14वें वित्त आयोग फंड से हाइमास्क लाइट लगाया गया है. इसको लेकर मझगांव प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद सदस्य ने बुधवार को हाइमास्क लाइट का निरीक्षण किया.

देखें पूरी खबर

बुधवार को मझगांव प्रखंड प्रमुख पूनम जेराई और जिला परिषद सदस्य राजेश पिंगुवा ने संयुक्त रूप से 14वें वित्त आयोग फंड से मझगांव प्रखंड के कई पंचायतों में लगाए गए हाइमास्क लाइट का निरीक्षण किया. नयागांव पंचायत में 3, धोडाबंधा पंचायत में 5, खडपोस पंचायत में 2, आसनपाठ पंचायत में 3 और बलियापोसी पंचायत में 6 हाइमास्क लाइट लगाई गई है. निरीक्षण के क्रम में स्थानीय लोगों ने प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद सदस्य को बताया कि जहां पर लाइट लगाने की आवश्यकता नहीं थी, वहां भी हाइमास्क लाइट लगाया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कई ऐसे चौराहे पर हाइमास्क लाइट लगाई गई है जहां किसी को आना जाना भी नहीं होता है.

जहां जरूरत नहीं वहां भी लगवा दी लाइट

ग्रामीणों ने निरीक्षण करने गए जनप्रतिनिधियों को बताया कि मझगांव प्रखंड के सुदूर जंगली क्षेत्र में भी हाइमास्क लाइट लगाया गया है. वहीं, मझगांव क्षेत्र में आए दिन बिजली गायब रहती है. इसके बावजूद भी 14वें वित्त आयोग के पैसे से लाइट लगाना उचित नहीं है, क्योंकि जो लाइट लगाई गई है वह सोलर आधारित नहीं है. यह बिजली पर निर्भर है और क्षेत्र में बिजली नहीं रहने के कारण लगाई गई लाइटें का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है. जानकारी के अनुसार एक हाइमास्क लाइट की कीमत 3 लाख 70 हजार रुपये है, अगर इन रुपयों को लाइट पर नहीं करके पानी, सड़क, नाली, और छोटे-छोटे बल्ब पोल पर खर्च की जाती तो गांव का ज्यादा विकास होता. इसको लेकर ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में कई कार्यों के लिए सरकार या जिला प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है, लेकिन पंचायत में कई ऐसे कार्य हैं जिनको आनन-फानन में करके पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है.

और पढ़ें- सेल्स गर्ल का काम करने को मजबूर राष्ट्रीय खिलाड़ी, सरकार से मदद की आस

लाइट लगाने के नाम पर हो रहा कमीशनखोरी

इधर, हाइमास्क लाइट लगाने में कई गड़बड़ी सामने आई है. पंचायत सचिव शिवनाथ कुम्हार तीन पंचायत के प्रभार पर हैं और वे तीनों पंचायतों में कुल 10 हाइमास्क लाइट लगवाएं हैं, लेकिन पंचायत सचिव को इस बारे में जानकारी नहीं है. मझगांव प्रखंड प्रमुख पूनम जेराई ने बताया कि क्षेत्र के ग्रामीणों ने उनसे शिकायत की थी कि पंचायत में विकास के जरूरी कार्यों को छोड़कर हाइमास्क लाइट लगवाई जा रही है और 14वें वित्त आयोग फंड के पैसों का गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसको लेकर प्रखंड प्रमुख ने बताया कि कई ऐसे भी जगह हैं जहां लाइट लगाए बिना संवेदक को चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया गया है. इसको लेकर वे उच्च स्तरीय जांच करवाएंगे. साथ ही राजेश पिंगुवा लाइट के नाम पर कमीशनखोरी कर रहे हैं, इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त और मुख्यमंत्री से करेंगी.

चाईबासा: जिले के कई प्रखंडों में 14वें वित्त आयोग फंड से हाइमास्क लाइट लगाया गया है. इसको लेकर मझगांव प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद सदस्य ने बुधवार को हाइमास्क लाइट का निरीक्षण किया.

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बुधवार को मझगांव प्रखंड प्रमुख पूनम जेराई और जिला परिषद सदस्य राजेश पिंगुवा ने संयुक्त रूप से 14वें वित्त आयोग फंड से मझगांव प्रखंड के कई पंचायतों में लगाए गए हाइमास्क लाइट का निरीक्षण किया. नयागांव पंचायत में 3, धोडाबंधा पंचायत में 5, खडपोस पंचायत में 2, आसनपाठ पंचायत में 3 और बलियापोसी पंचायत में 6 हाइमास्क लाइट लगाई गई है. निरीक्षण के क्रम में स्थानीय लोगों ने प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद सदस्य को बताया कि जहां पर लाइट लगाने की आवश्यकता नहीं थी, वहां भी हाइमास्क लाइट लगाया गया है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कई ऐसे चौराहे पर हाइमास्क लाइट लगाई गई है जहां किसी को आना जाना भी नहीं होता है.

जहां जरूरत नहीं वहां भी लगवा दी लाइट

ग्रामीणों ने निरीक्षण करने गए जनप्रतिनिधियों को बताया कि मझगांव प्रखंड के सुदूर जंगली क्षेत्र में भी हाइमास्क लाइट लगाया गया है. वहीं, मझगांव क्षेत्र में आए दिन बिजली गायब रहती है. इसके बावजूद भी 14वें वित्त आयोग के पैसे से लाइट लगाना उचित नहीं है, क्योंकि जो लाइट लगाई गई है वह सोलर आधारित नहीं है. यह बिजली पर निर्भर है और क्षेत्र में बिजली नहीं रहने के कारण लगाई गई लाइटें का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है. जानकारी के अनुसार एक हाइमास्क लाइट की कीमत 3 लाख 70 हजार रुपये है, अगर इन रुपयों को लाइट पर नहीं करके पानी, सड़क, नाली, और छोटे-छोटे बल्ब पोल पर खर्च की जाती तो गांव का ज्यादा विकास होता. इसको लेकर ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में कई कार्यों के लिए सरकार या जिला प्रशासन से अनुमति नहीं मिली है, लेकिन पंचायत में कई ऐसे कार्य हैं जिनको आनन-फानन में करके पैसों का बंदरबांट किया जा रहा है.

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लाइट लगाने के नाम पर हो रहा कमीशनखोरी

इधर, हाइमास्क लाइट लगाने में कई गड़बड़ी सामने आई है. पंचायत सचिव शिवनाथ कुम्हार तीन पंचायत के प्रभार पर हैं और वे तीनों पंचायतों में कुल 10 हाइमास्क लाइट लगवाएं हैं, लेकिन पंचायत सचिव को इस बारे में जानकारी नहीं है. मझगांव प्रखंड प्रमुख पूनम जेराई ने बताया कि क्षेत्र के ग्रामीणों ने उनसे शिकायत की थी कि पंचायत में विकास के जरूरी कार्यों को छोड़कर हाइमास्क लाइट लगवाई जा रही है और 14वें वित्त आयोग फंड के पैसों का गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसको लेकर प्रखंड प्रमुख ने बताया कि कई ऐसे भी जगह हैं जहां लाइट लगाए बिना संवेदक को चेक के माध्यम से भुगतान कर दिया गया है. इसको लेकर वे उच्च स्तरीय जांच करवाएंगे. साथ ही राजेश पिंगुवा लाइट के नाम पर कमीशनखोरी कर रहे हैं, इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त और मुख्यमंत्री से करेंगी.

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