चाईबासा: कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर देश में लॉकडाउन लगाया गया है. इस लॉकडाउन में सभी अपने घरों में बैठे हुए हैं. कई लोग इस कोरोना महामारी में संसाधनों की कमी के मद्देनजर अपने इनोवेटिव आइडिया से कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे योद्धाओं की सुरक्षा में जुटे हुए हैं. पश्चिम सिंहभूम के डीडीसी आदित्य रंजन ने भी अब तक अपने इनोवेटिव आइडिया से 6 उपकरण तैयार किए हैं, जो काफी सफल साबित हो रहा है.
कोविड-19 को लेकर रोकथाम में संसाधनों की कमी के मद्देनजर पश्चिम सिंहभूम डीडीसी आदित्य रंजन ने अब तक अपने इनोवेटिव आइडिया से 6 उपकरण तैयार किए हैं, जिसे उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को सौंपा है. उनके बनाए हुए उपकरणों की जिला ही नहीं, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार ने भी सराहना की है.
डीडीसी आदित्य रंजन इस कोरोना महामारी से निपटने में जुटे योद्धाओं के लिए अपने इनोवेटिव आइडिया से कोरोना वायरस फोन बूथ सैंपल कलेक्शन सेंटर, फेस शील्ड मास्क, सेनेटाइजेशन रूम, को-बोट एंड आई-बेड, नोट- चेक डिसइनफेक्टिंग उपकरण, टच फ्री हैंड वाशिंग एंड सेनेटाइजिंग यूनिट तैयार किये हैं.
क्या है फोन बूथ सैंपल कलेक्शन सेंटर
इस फोन में बुथ की लागत लगभग 15 से 20 हजार रुपए है. इसे आसानी से सैंपल कलेक्शन के लिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, जिससे स्वास्थ्य कर्मियों को लोगों तक जाकर सैंपल लेने में आसानी होगी. इस बूथ पर सुरक्षा के सभी मानकों का पूरा ध्यान रखा गया है. यह बिल्कुल एक फोन बूथ की तरह है जो क्यूबिकल आकार का है. इस बूथ के जरिए किसी विशेष स्थान पर जाकर भी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखते हुए लोगों के सैंपल लिए जा सकता है. इस तरह का प्रयोग कर समूह के सैंपल का एक्शन के लिए जर्मनी में भी टेस्टिंग किट पर होने वाले खर्च को आधा किया जा चुका है. इसी प्रणाली के माध्यम से कम समय और कम पैसे में अधिक से अधिक परीक्षण किए जा सकेंगे.
क्या है आई बेड
कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए हाईटेक आइसोलेशन बेड या आई बेड अपने-आप में पूरी तरह से ढके हुए हैं, जिससे कि एक मरीज से दूसरे मरीज तक और मरीज से चिकित्सा कर्मियों तक संक्रमण को रोका जा सके. आई बेड का कांसेप्ट यह है कि प्रत्येक बेड में मरीज का दूसरे से संपर्क बिल्कुल नहीं होगा. पीड़ित व्यक्ति को आई बेड में ही रखा जाएगा, जिससे कि संक्रमण के फैलने का खतरा न्यूनतम किया जा सके.
क्या है को-बोट
रोबोटिक्स उपकरण को-बोट रिमोट कंट्रोल से संचालित होता है. पूरी तरह से स्वचालित को-बोट से मरीजों तक भोजन, दवाई, पानी इत्यादि पहुंचाने का कार्य किया जाएगा. इसकी कैरींग कैपेसिटी 30 किलो हर्ट्ज की और रेंज 200 फीट की है. चिकित्सा कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए यह अत्यंत लाभकारी साबित होगा. को-बोट वाईफाई कैमरा से युक्त है और इसमें इंस्ट्रक्शन देने के लिए स्पीकर भी लगाया गया है. यह बोट पूरी तरह से वाटरप्रूफ है, जिससे कि मरीजों के पास सामान पहुंचाने के बाद इसे पूरी तरह से सेनेटाइज भी किया जा सके.
फेस मास्क शील्ड
एसएससी मास्क घर-घर जाकर संदिग्ध मरीजों की खोज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों, डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों को मुहैया करवाया गया है. फेस शिल्ड को स्वास्थ्यकर्मी मास के ऊपर हेलमेट की तरफ पहन सकेंगे. विशेष प्रोटेक्शन कवर कोरोना वायरस की जांच के लिए चिकित्साकर्मियों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रहा है. फेशियल मास्क को तैयार करने में लगभग 110 रुपये की लागत आई है. इसे तैयार करने में विशेष प्रकार के पारदर्शी प्लास्टिक का उपयोग किया गया है. इसे सिर में आसानी से फिट किया जा सकता है. वहीं पसीनों को सूखने के लिए इसके आगे सिर की ओर फॉम भी लगाया गया है.
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नोट- चेक डिसइनफेक्टिंग उपकरण क्या है
उप विकास आयुक्त आदित्य रंजन ने बताया कि महाराष्ट्र दूसरे दूसरे अन्य स्थानों में एक वीडियो में देखा गया कि महिलाएं नोट को आयरन के माध्यम से कीटाणु रहित कर रही थी. इसी प्रयोग को देखते हुए 11 वाट के अल्ट्रा वायलेट बल्ब के साथ लेमिनेशन मशीन का प्रयोग इस मशीन के निर्माण में किया गया है, जिससे यू.वी एक्शन के साथ साथ 300 डिग्री फॉरेनहाइट तापमान पर 05 से 07 सेकंड में नोट गुजरता है, जिससे सभी तरह का वायरस निष्क्रिय हो जाता है.
उप विकास आयुक्त ने बताया कि वर्तमान समय में पैसों के लेनदेन में डिजिटल प्रचलन को बढ़ावा दिया गया है, लेकिन कुछ जगहों पर अभी नगद लेन-देन का प्रचलन जारी है. वैसे सभी जगहों पर बृहत रूप से इस मशीन का प्रयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिले के सभी दुकानदार भी इस 3,000 से 3,500 रुपये तक के लागत से तैयार होने वाले मशीन का प्रयोग अपनी सुरक्षा के लिए करें और वायरस के संक्रमण से अपना बचाव करें.
टच फ्री हैंड वाशिंग एंड सेनेटाइजिंग यूनिट क्या है
टच फ्री हैंड वाशिंग एंड सेनेटाइजिंग यूनिट की मदद से स्वास्थ्यकर्मी या कोई भी व्यक्ति अपने पांव का प्रयोग करते हुए अपने हाथ को साबुन से साफ कर सकता है. स्पर्श ना होने की स्थिति में लोग वायरस के संक्रमण से बचे रहेंगे.
डीडीसी आदित्य रंजन ने बताया कि उनके बड़े भाई एक डॉक्टर हैं, जो हमेशा हमेशा उन्हें संक्रमण से बचने के सुझाव देते हैं. डीडीसी इंटरनेट के माध्यम से खुद और स्वास्थ्य कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए हमेशा से खोजबीन करते रहते हैं. जिससे देश दुनिया से उन्हें यह इनोवेटिव आइडियाज मिलते हैं और उन्होंने देसी जुगाड़ के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और सुरक्षा के उपकरण तैयार किया. वे खुद मानते हैं कि उन्होंने जो उपकरण तैयार किए हैं, वो पूरी तरह से इनोवेशन या आविष्कार नहीं कहा जा सकता है, लेकिन समय की मांग को देखते हुए उन्होंने इन उपकरणों को लोकल जुगाड़ से तैयार किया है. उन्होंने बताया कि उनके पास कई देश के विभिन्न जिलों से फोन आ रहे हैं और उपकरणों की मांग कर रहे हैं. उन्होंने सैंपल कलेक्शन फोन बूथ के स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर(SOP) तैयार कर उन्हें भेज दिया है जिसकी मदद से वह जहां है वहीं पर मटेरियल की व्यवस्था कर सभी उपकरण बना कर उपयोग में ला सकते हैं.