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चाईबासा: सरकारी अस्पताल से डॉक्टर गायब, बीमार बच्ची की गई जान - चाईबासा में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही

चाईबासा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक बार फिर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. तालाब में डूबने से अचेत हुई बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, लेकिन डॉक्टर के अस्पताल में नहीं रहने से उसकी मौत हो गई.

डॉक्टरों के नहीं आने से बच्ची की गई जान
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Published : Nov 4, 2019, 4:11 PM IST

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा का सरकारी अस्पताल (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का हाल बदहाल होता जा रहा है. रविवार को तालाब में डूबने से पांच साल की बच्ची अचेत हो गई थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों के गायब रहने के कारण उसका इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल सात डॉक्टर हैं, लेकिन रविवार के दिन सभी सातों डॉक्टर में से कोई भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे. इस अस्पताल की लापरवाही कुछ दिनों पहले भी सामने आई थी, जब यहां इलाज कराने आए एक बच्चे को एक्सपायरी दवा दे दी गई थी और उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद जमकर बवाल भी हुआ था, बावजूद इसके अस्पताल में अबतक सुधार नहीं हो सका है.

इसे भी पढ़ें:- महिला के साथ छेड़खानी करने पर राजमिस्त्री की पीट-पीटकर हत्या, रेलवे सुरंग में शव फेंका

इस मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नरेश बास्के ने कहा कि अस्पताल में तीन आयुष चिकित्सक और एक डेंटिस्ट हैं, जिनसे ओपीडी में ड्यूटी लेने का नियम नहीं है. उन्होंने बताया कि डॉ रत्नेश्वर बोदरा और स्नेहा कुमारी पिछले एक महीने से अस्पताल नहीं आ रहे हैं, इसकी जानकारी सिविल सर्जन को दी गई है, डॉक्टरों की कमी के कारण परेशानी हो रही है.

वहीं, बच्ची के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों के नहीं रहने के कारण अस्पताल में एमपीडब्ल्यू लखन जामुदा ने बच्ची की जांच की, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसे मृत घोषित कर दिया गया.

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा का सरकारी अस्पताल (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) का हाल बदहाल होता जा रहा है. रविवार को तालाब में डूबने से पांच साल की बच्ची अचेत हो गई थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों के गायब रहने के कारण उसका इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कुल सात डॉक्टर हैं, लेकिन रविवार के दिन सभी सातों डॉक्टर में से कोई भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे. इस अस्पताल की लापरवाही कुछ दिनों पहले भी सामने आई थी, जब यहां इलाज कराने आए एक बच्चे को एक्सपायरी दवा दे दी गई थी और उसकी मौत हो गई थी, जिसके बाद जमकर बवाल भी हुआ था, बावजूद इसके अस्पताल में अबतक सुधार नहीं हो सका है.

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इस मामले में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नरेश बास्के ने कहा कि अस्पताल में तीन आयुष चिकित्सक और एक डेंटिस्ट हैं, जिनसे ओपीडी में ड्यूटी लेने का नियम नहीं है. उन्होंने बताया कि डॉ रत्नेश्वर बोदरा और स्नेहा कुमारी पिछले एक महीने से अस्पताल नहीं आ रहे हैं, इसकी जानकारी सिविल सर्जन को दी गई है, डॉक्टरों की कमी के कारण परेशानी हो रही है.

वहीं, बच्ची के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों के नहीं रहने के कारण अस्पताल में एमपीडब्ल्यू लखन जामुदा ने बच्ची की जांच की, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसे मृत घोषित कर दिया गया.

Intro:चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा का सरकारी अस्पताल ( सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र) जानलेवा बनता जा रहा है। रविवार को यहां डॉक्टरों के गायब रहने के कारण तालाब में डूबने से अचेत हुई पांच साल की एक मासूम बच्ची स्नेहा सांडिल का इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई। Body:प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नरेश बास्के समेत अस्पताल के सभी सातों डॉक्टर में से कोई भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे। अभी हाल ही में यहां एक बच्चे को एक्सपायरी दवा देने का मामला सामने आया था। इसको लेकर हुए हंगामे के बावजूद अस्पताल के रवैये में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा। इतना ही नहीं बच्ची को रेफर करने की परिजनों की मांग पर उन्हें एम्बुलेंस तक मुहैया नहीं कराई गई।

मामले में डॉ नरेश बास्के ने कहा कि अस्पताल में तीन आयुष चिकित्सक व एक डेंटिस्ट हैं। जिनसे ओपीडी में ड्यूटी लेने का नियम नहीं है। दो डॉ रत्नेश्वर बोदरा व स्नेहा कुमारी पिछले एक महीने से अस्पताल नहीं आ रहे। इसकी जानकारी सिविल सर्जन को दी गई है। डॉक्टरों की कमी के कारण परेशानी हो रही है।

बच्ची के परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों के नहीं रहने के कारण अस्पताल में एमपीडब्ल्यू लखन जामुदा ने बच्ची की जांच की और थोड़ी देर बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
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