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अब गांवों और खेतों पर हमला नहीं कर पाएंगे हाथी, सारंडा में लगाई जा रही खास मशीन एनाइडर्स

झारखंड का सारंडा वन प्रमंडल हाथियों का कॉरिडोर माना जाता है. यही वजह है कि यहां अक्सर हाथी ग्रामीण इलाकों में घुस जाते हैं और ना सिर्फ खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि आम लोगों पर भी हमला कर देते हैं. हाथियों के हमले में अबतक कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसी को देखते हुए सारंडा वन प्रमंडल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एनाइडर्स मशीन लगाई जा रही है. ये मशीन से हाथी और इंसानों के बीच जारी द्वंद कम करने में काफी सहायक साबित हो सकती है.

Aneiders machine is being installed in Saranda villages
Aneiders machine is being installed in Saranda villages
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Published : Oct 16, 2021, 4:48 PM IST

Updated : Oct 16, 2021, 7:00 PM IST

चाईबासा: सारंडा में हाथियों और इंसानों के बीच द्वंद रोकने के लिए सारंडा वन प्रमंडल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सारंडा के एलिफैंट कॉरिडोर क्षेत्रों में एनाइडर्स लगवा रहा है. इस मशीन के इस्तेमाल से हाथी जो नुकसान पहुंचाते हैं उस पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकती है.

हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर भी गया तो जंबो हूटर बज जाएगा. इससे गांव के लोग अलर्ट हो जाएंगे. इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास इंस्ट्रूमेंट हाथी प्रभावित इलाके में लगाए लगाएंगे यह हाथियों को गांव में जाने से रोकेगा. खास बात यह है कि हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीक के इस्तेमाल में पहले फेज में 47 लाख रुपए खर्च होंगे. वन विभाग की माने तो एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम को चालू करने के लिए कोशिश काफी दिनों से चल रही थी. इससे हाथियों के आने की सूचना मिलेगी और वन विभाग हाथियों पर निगरानी रख पाएगा. पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र में 2 एक्टिव एनाइडर्स मशीन लगाई गई है.

देखें वीडियो



रिसर्च के बाद लग रही है मशीन
एनिडर्स को लेकर वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इन इंडिया ने एक रिसर्च भी किया है. जिसमें नतीजा यह आया कि यह मशीन 86% सफलतापूर्वक काम करता है और अब तक जहां भी लगाया गया है वहां किसानों की उपज में 60% तक वृद्धि भी हुई है.

ये भी पढ़ें: World Elephant Day: ये रोचक फैक्ट्स जानकर हैरान हो जाएंगे आप, हाथियों ने हमारे नहीं हमने हथियों के इलाके में किया घुसपैठ

क्या है एनिडर्स
एनिडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम. यह एक मशीन है जो जानवरों और आदमियों में फर्क बखूबी समझता है. यह मशीन पूरी तरह से सोलर पावर से चलता है. मशीन के रेंज में जानवरों के आते ही मशीन अपने आप एक्टिव हो जाएगा और जानवरों के खेत या फिर ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही अलार्म चालू हो जाता है. इसके अलावा उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते हैं. उसमें लगे एक्टिव और पैसिव सेंसर जानवरों और मानव में फर्क को बखूबी पकड़ लेता है. वहीं, उसमें लगे जीएसएम नेटवर्क तुरंत वन विभाग को भी अलर्ट कर देता है. एनाइडर्स में लगे कैमरे हाथियों की एक्टिविटी में रिकॉर्ड करता है जिससे वन विभाग को हाथियों की गणना में मदद करेगा.

वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा काम
पूरे पायलट प्रोजेक्ट पर सारंडा वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट में आने वाले खर्च का वहन वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड करेगी. इस प्रोजेक्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक रांची, झारखंड सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है. उन्होंने बताया गाजियाबाद की क्यारी नाम की कंपनी एनाइडर्स लगा रही है. अगले 7 वर्षों तक इस मशीन की रख रखाव की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी की होगी. उन्होंने बताया पहले चरण में हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित 18 गांव में एनाइडर्स लगाए जाएंगे. बेहतर परिणाम आने पर और भी जगहों लगाई जाएगी. प्रत्येक गांव में 6 एक्टिव इंफ्रारेड सेंसर और 6 पैसिव इंफ्रारेड सेंसर लगाए जाएंगे 18 गांव में लगने वाले एनाइडर्स पर लगभग 47 लाख रुपए खर्च होंगे.

चाईबासा: सारंडा में हाथियों और इंसानों के बीच द्वंद रोकने के लिए सारंडा वन प्रमंडल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सारंडा के एलिफैंट कॉरिडोर क्षेत्रों में एनाइडर्स लगवा रहा है. इस मशीन के इस्तेमाल से हाथी जो नुकसान पहुंचाते हैं उस पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकती है.

हाथियों का झुंड अगर जंगल से गांव की ओर भी गया तो जंबो हूटर बज जाएगा. इससे गांव के लोग अलर्ट हो जाएंगे. इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास इंस्ट्रूमेंट हाथी प्रभावित इलाके में लगाए लगाएंगे यह हाथियों को गांव में जाने से रोकेगा. खास बात यह है कि हाथी प्रभावित इलाका सारंडा वन प्रमंडल के जंगल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस तकनीक के इस्तेमाल में पहले फेज में 47 लाख रुपए खर्च होंगे. वन विभाग की माने तो एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम को चालू करने के लिए कोशिश काफी दिनों से चल रही थी. इससे हाथियों के आने की सूचना मिलेगी और वन विभाग हाथियों पर निगरानी रख पाएगा. पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र में 2 एक्टिव एनाइडर्स मशीन लगाई गई है.

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रिसर्च के बाद लग रही है मशीन
एनिडर्स को लेकर वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर इन इंडिया ने एक रिसर्च भी किया है. जिसमें नतीजा यह आया कि यह मशीन 86% सफलतापूर्वक काम करता है और अब तक जहां भी लगाया गया है वहां किसानों की उपज में 60% तक वृद्धि भी हुई है.

ये भी पढ़ें: World Elephant Day: ये रोचक फैक्ट्स जानकर हैरान हो जाएंगे आप, हाथियों ने हमारे नहीं हमने हथियों के इलाके में किया घुसपैठ

क्या है एनिडर्स
एनिडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम. यह एक मशीन है जो जानवरों और आदमियों में फर्क बखूबी समझता है. यह मशीन पूरी तरह से सोलर पावर से चलता है. मशीन के रेंज में जानवरों के आते ही मशीन अपने आप एक्टिव हो जाएगा और जानवरों के खेत या फिर ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही अलार्म चालू हो जाता है. इसके अलावा उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते हैं. उसमें लगे एक्टिव और पैसिव सेंसर जानवरों और मानव में फर्क को बखूबी पकड़ लेता है. वहीं, उसमें लगे जीएसएम नेटवर्क तुरंत वन विभाग को भी अलर्ट कर देता है. एनाइडर्स में लगे कैमरे हाथियों की एक्टिविटी में रिकॉर्ड करता है जिससे वन विभाग को हाथियों की गणना में मदद करेगा.

वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत होगा काम
पूरे पायलट प्रोजेक्ट पर सारंडा वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि इस पायलट प्रोजेक्ट में आने वाले खर्च का वहन वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड करेगी. इस प्रोजेक्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक रांची, झारखंड सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है. उन्होंने बताया गाजियाबाद की क्यारी नाम की कंपनी एनाइडर्स लगा रही है. अगले 7 वर्षों तक इस मशीन की रख रखाव की जिम्मेदारी भी इसी कंपनी की होगी. उन्होंने बताया पहले चरण में हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित 18 गांव में एनाइडर्स लगाए जाएंगे. बेहतर परिणाम आने पर और भी जगहों लगाई जाएगी. प्रत्येक गांव में 6 एक्टिव इंफ्रारेड सेंसर और 6 पैसिव इंफ्रारेड सेंसर लगाए जाएंगे 18 गांव में लगने वाले एनाइडर्स पर लगभग 47 लाख रुपए खर्च होंगे.

Last Updated : Oct 16, 2021, 7:00 PM IST
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