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चाईबासा: वर्षा जल के संरक्षण की कवायद, कृषि पदाधिकारी की किसानों से अपील

चाईबासा में जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर ने किसानों से अपील की है. उन्होंने कहा कि सभी किसान अपने गांव में वर्षा जल को बचाएं और उन्हें संरक्षित करें. उन्होंने कहा कि सभी किसान गांव में ही निर्माण कराए गए तालाब, पोखर, आहर में पानी इकट्ठा करें तो निश्चित रूप से साल भर तक विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं.

Agricultural officer's appeal to conserve rainwater in Chaibasa
चाईबासा में कृषि पदाधिकारी की बारिश के पानी को संरक्षित करने की अपील
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Published : Jul 20, 2020, 8:09 PM IST

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वर्तमान समय में खरीफ मौसम प्रारंभ हो चुका है. ऐसे में उन सभी का दायित्व है कि वह अपने गांव में वर्षा जल को बचाएं और संरक्षित करें. उन्होंने कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि बदलते वातावरण में पानी के अभाव के कारण किसान पूरे साल खेती नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अगर सभी किसान जनसहभागिता से वर्षा जल को गांव में ही निर्माण कराए गए तालाब, पोखर, आहर आदि में इकट्ठा करें तो निश्चित रूप से सालों भर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं. इससे पेयजल की समस्या भी दूर हो सकती है और यह समय वृक्षारोपण के लिए भी उचित है और झारखंड सरकार की ओर से जिले के सभी प्रखंडों में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत वृक्षारोपण का कार्य भी संचालित किया जा रहा है.

Agricultural officer's appeal to conserve rainwater in Chaibasa
चाईबासा में कृषि पदाधिकारी की बारिश के पानी को संरक्षित करने की अपील

ये भी पढ़ें: बाबूलाल मरांडी ने CM हेमंत सोरेन को लिखा पत्र, कहा- धमकी मामले में इंटरपोल की लें मदद

जिला कृषि पदाधिकारी ने आवश्यक सूचना में कहा है कि वृक्षारोपण को लेकर कम से कम 25 फीट की दूरी पर 3x3x3 फीट के आकार का गड्ढा खोदते हुए उसमें गोबर, कंपोस्ट खाद और उर्वरक डालकर पौधे को लगाएं. इससे पौधे की अच्छी वृद्धि हो सके और पौधे के बीच में खाली स्थान में दलहन, तिलहन, सब्जी आदि की खेती अवश्य करें, जिससे उस जमीन से त्वरित लाभ पाया जा सके. इसके साथ ही किसानी तकनीक में गुणवत्ता पूर्ण सुधार लाने के लिए ट्रेंच-सह-बंड, फील्ड बंडिग और नाला पुनर्जीवन आदि का कार्य भी जिले में कराया जा रहा है और उक्त सभी योजनाएं मिट्टी के कटाव और जल संरक्षण के लिए अत्याधिक उपयोगी है.

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया गया कि वर्तमान समय में किसानों को वैज्ञानिक खेती और समेकित कृषि प्रणाली अपनाने के लिए पीएम किसान से लाभान्वित किसानों को केसीसी प्रदान किया जा रहा है. जो किसान अभी तक केसीसी नहीं ले पाए हैं वे अपने प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी/प्रखंड तकनीकी प्रबंधक से संपर्क स्थापित कर शीघ्र अपना आवेदन पत्र बैंकों को उपलब्ध करवाएं. इस योजना का लाभ संपूर्ण तालाबंदी के दौरान जिले में वापस लौटे प्रवासी श्रमिक भाई भी प्राप्त कर सकते हैं. कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसान भाई खेती के अलावा गाय पालन, मछली पालन, सुकर पालन, मुर्गी पालन आदि के लिए भी बैंकों के माध्यम से केसीसी प्राप्त कर समेकित कृषि प्रणाली अपना सकते हैं.

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला कृषि पदाधिकारी राजेंद्र किशोर ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वर्तमान समय में खरीफ मौसम प्रारंभ हो चुका है. ऐसे में उन सभी का दायित्व है कि वह अपने गांव में वर्षा जल को बचाएं और संरक्षित करें. उन्होंने कहा कि ऐसा देखा जा रहा है कि बदलते वातावरण में पानी के अभाव के कारण किसान पूरे साल खेती नहीं कर पाते हैं. ऐसे में अगर सभी किसान जनसहभागिता से वर्षा जल को गांव में ही निर्माण कराए गए तालाब, पोखर, आहर आदि में इकट्ठा करें तो निश्चित रूप से सालों भर विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा सकती हैं. इससे पेयजल की समस्या भी दूर हो सकती है और यह समय वृक्षारोपण के लिए भी उचित है और झारखंड सरकार की ओर से जिले के सभी प्रखंडों में बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत वृक्षारोपण का कार्य भी संचालित किया जा रहा है.

Agricultural officer's appeal to conserve rainwater in Chaibasa
चाईबासा में कृषि पदाधिकारी की बारिश के पानी को संरक्षित करने की अपील

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जिला कृषि पदाधिकारी ने आवश्यक सूचना में कहा है कि वृक्षारोपण को लेकर कम से कम 25 फीट की दूरी पर 3x3x3 फीट के आकार का गड्ढा खोदते हुए उसमें गोबर, कंपोस्ट खाद और उर्वरक डालकर पौधे को लगाएं. इससे पौधे की अच्छी वृद्धि हो सके और पौधे के बीच में खाली स्थान में दलहन, तिलहन, सब्जी आदि की खेती अवश्य करें, जिससे उस जमीन से त्वरित लाभ पाया जा सके. इसके साथ ही किसानी तकनीक में गुणवत्ता पूर्ण सुधार लाने के लिए ट्रेंच-सह-बंड, फील्ड बंडिग और नाला पुनर्जीवन आदि का कार्य भी जिले में कराया जा रहा है और उक्त सभी योजनाएं मिट्टी के कटाव और जल संरक्षण के लिए अत्याधिक उपयोगी है.

जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया गया कि वर्तमान समय में किसानों को वैज्ञानिक खेती और समेकित कृषि प्रणाली अपनाने के लिए पीएम किसान से लाभान्वित किसानों को केसीसी प्रदान किया जा रहा है. जो किसान अभी तक केसीसी नहीं ले पाए हैं वे अपने प्रखंड के प्रखंड कृषि पदाधिकारी/प्रखंड तकनीकी प्रबंधक से संपर्क स्थापित कर शीघ्र अपना आवेदन पत्र बैंकों को उपलब्ध करवाएं. इस योजना का लाभ संपूर्ण तालाबंदी के दौरान जिले में वापस लौटे प्रवासी श्रमिक भाई भी प्राप्त कर सकते हैं. कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसान भाई खेती के अलावा गाय पालन, मछली पालन, सुकर पालन, मुर्गी पालन आदि के लिए भी बैंकों के माध्यम से केसीसी प्राप्त कर समेकित कृषि प्रणाली अपना सकते हैं.

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