साहिबगंज: झारखंड की शान साहिबगंज बंदरगाह पर लॉकडाउन का ग्रहण लग चुका है. झारखंड के सिर्फ एक जिला साहिबगंज से गंगा नदी बहती है. व्यापारिक दृष्टिकोण से इस बंदरगाह का शिलान्यास 06 अप्रैल 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. इस बंदरगाह के निर्माण के पीछे जिला सहित संथाल परगना को व्यापारिक हब बनाने की सोच है.
साहिबगंज में बहुतायत मात्रा में पत्थर व्यावसाय होती है. यहां से पत्थर, चिप्स, डस्ट सहित संथाल परगना के अन्य जिलों से कोयला इस पोर्ट के माध्यम से गंगा के रास्ते अन्य राज्यों में भेजने का रास्ता खोल दिया गया है ताकि दूसरे राज्यों से सस्ती जरूरतों का सामान साहिबगंज लाया जा सके. इस सोच को लेकर साहिबगंज में मल्टी मॉडल टर्मिनल का निर्माण कराया गया.
पहले चरण का निर्माण कार्य
मल्टी मॉडल टर्मिनल का पहले चरण का निर्माण कार्य एलएनटी कंपनी ने अपने तय समय सीमा के अंदर 2019 में पूरा कर दिया था, जिसकी लागत 300 करोड़ रुपये थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में झारखंड विधानसभा भवन के उद्घाटन के समय ही इस बंदरगाह का उद्घाटन किया था. फिलहाल लॉकडाउन में बंदरगाह को सील कर दिया गया है, इस दौरान किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है.
सुरक्षाकर्मियों के सुपरवाइजर ने कहा कि एलएनटी कंपनी हर मजदूर को वेतन दे रही है. 14 अप्रैल तक लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक उम्मीद जगी थी. लेकिन लॉकडाउन बढ़ने से थोड़ी बहुत परेशानी हुई है. 3 मई के बाद काम शुरू होने से स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है.
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मजदूर अपर समाहर्ता अनुज कुमार प्रसाद ने कहा कि इस बंदरगाह के बन जाने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. साहिबगंज एक व्यापारिक हब बनेगा. यहां के लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा साथ ही संथाल परगना का भी विकास होगा. अपर समाहर्ता ने कहा कि इस बंदरगाह से झारखंड को सबसे अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी.
इस बंदरगाह का निर्माण तीन फेज में होगा. पहला बंगाल के हल्दिया, दूसरा झारखंड के साहिबगंज और तिसरा यूपी के बनारस होगा. ऐसे में कोई भी जहाज साहिबगंज पहुंचता है तो सड़क मार्ग होते हुए पटना या अन्य राज्यों में जाएगा. इस नाते साहिबगंज को अंतरराष्ट्रीय फलक पर नई पहचान मिलेगी.
दो चरण का फंडिंग बाकी
इस बंदरगाह के पूर्ण निर्माण में अभी 2 साल और लगने की उम्मीद है. इसके फुल फ्लेज में आने के बाद रोजगार की दिशा में अपार संभावनाएं होंगी. सागरमल के डिप्टी डायरेक्टर प्रशांत कुमार ने बताया कि दो फेज का फंड केंद्र सरकार से अभी नहीं मिला है. लॉकडाउन को लेकर काम रुक गया है.
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प्रशांत कुमार ने बताया कि अगले दो फेज में काम करने के लिए 120 एकड़ अतरिक्त जमीन चाहिए. जिला प्रशासन के पास भूमि अधिग्रहण के लिए राशि और पेपर जमा हो चुका है. लॉकडाउन के बाद भूमि अधिग्रहण का काम शुरू होगा. प्रशांत कुमार ने बताया कि अगले दो फेज में इंडिस्ट्रीयल कलस्टर के तहत आयल डिपो खोलने का प्रस्ताव है. जिसमे ONGC और इंडियन ऑयल कंपनी अपना प्रोजेक्ट लेकर आएगी.
बंदरगाह में फंसे हैं मजदूर
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में बंदरगाह के एक कॉलोनी में 20 से 25 मजदूर फंसे हुए हैं. सभी की तमाम सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है. लोकल मजदूरों की छुट्टी कर दी गयी है. फिलहाल एक महीने में दो से तीन बार पोर्ट के रास्ते पत्थर, चिप्स और बालू साहिबगंज से जाता है. रेलवे जमुनी फाटक पर आरओबी बनाने का प्रस्ताव है. राज्य सरकार से अनुमति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा. क्योंकि फुल फ्लेज में काम शुरू होने पर जाम की समस्या नहीं होगी. फोर लेन सड़क पहले से बनकर तैयार है.
निश्चित रूप से लॉकडाउन का असर इस बंदरगाह पर पड़ा है. कभी चहल-पहल रहने वाली पोर्ट पर अब विरानगी छाई है. सारा कामकाज ठप पड़ गया है सभी मजदूरों की छुट्टी हो चुकी है. आशा है कि 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर से बंदरगाह पर चहल-पहल शुरू हो जाएगी.
क्यों महत्वपूर्ण है यह बंदरगाह
साहिबगंज का बंदरगाह गंगा नदी पर वाराणसी से हल्दियाा तक प्रस्तावित 1390 किमी लंबे राष्ट्रीय जल मार्ग-एक के विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है. राष्ट्रीय जल मार्ग-01 को जल मार्ग विकास प्रोजेक्ट ने तकनीकी रूप से तैयार किया है. इस परियोजना के तहत 150-2000 DWT की क्षमता वाले जहाजों को व्यावसायिक रूप से इस जलमार्ग पर चलाया जा सकेगा. राष्ट्रीय जल मार्ग-01 देश के कई राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के गंगा किनारे बसे हल्दिया, हावड़ा, कोलकाता, भागलपुर, पटना, गाजीपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और आसपास के औद्योगिक इलाकों को जोड़ेगा.