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रांची: HEC में हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार, इंजीनियरों और कर्मचारियों ने दिया अपने हुनर का परिचय

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Published : Sep 21, 2019, 2:11 PM IST

देश का मातृ उद्योग कहा जाने वाला HEC एक बार फिर अपने आविष्कार से सुर्खियों में आया है. एचईसी में हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार कर इंजीनियरों और कर्मचारियों ने इस नए आविष्कार से अपने हुनर का फिर से परिचय दिया है.

हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर

रांची: जिले के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (HEC) के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचईसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, लेकिन इसके बावजूद भी एचईसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है.

देखें पूरी खबर


जानकारी के अनुसार, कोल माइंस में उपयोगी साबित होने वाला हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार किया. इसके आविष्कार से खनन में आने वाले परेशानियों को कम किया जाएगा. वहीं, एचईसी का यह नया आविष्कार हर तरह से उपयोगी साबित होने वाला है.


बिजली नहीं रहने पर भी काम जारी
इसे लेकर एचईसी के सीएमडी एम के सक्सेना बताते हैं कि जिस प्रकार से कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है, इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में कोयला या अन्य खनिजों का खनन कर सकेंगे.

ये भी देखें- रांची: शहर के बड़े इलाके में 4 घंटे तक होगी बिजली गुल, हटिया ग्रिड में होगा मेंटेनेंस का काम


सीएमडी ने कहा कि जमीन में खनन करने के दौरान जब ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए हाइड्रोलिक एक्सकैवेटर के माध्यम से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन कर सकते हैं जो निश्चित रूप से लाभप्रद है.


मार्केट में किया जाएगा लांच
सीएमडी ने बताया कि जल्द ही वह अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकैवेटर की तुलना में काफी कम होगी. फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकैवेटर दिया गया है ताकि सीसीएल की बेहतर रिपोर्ट साबित होते ही इस नए आविष्कार को मार्केट में लांच कर सकें.


कैपिटल गुड्स स्कीम ने दिए 5 करोड़ रुपए
वहीं, इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचईसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए कि मदद राशि भी दी ताकि खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सके. ताकि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे से काम करता रहे.


एचईसी द्वारा बनाए गए इस एक्सकैवेटर को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर यह बेहतर तरीके से सफल हो गया तो पिछले कुछ वर्षों से पूंजी की मार झेल रहा एचईसी आने वाले भविष्य में आर्थिक मजबूती को फिर से वापस पा सकते है.

रांची: जिले के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (HEC) के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचईसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, लेकिन इसके बावजूद भी एचईसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है.

देखें पूरी खबर


जानकारी के अनुसार, कोल माइंस में उपयोगी साबित होने वाला हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार किया. इसके आविष्कार से खनन में आने वाले परेशानियों को कम किया जाएगा. वहीं, एचईसी का यह नया आविष्कार हर तरह से उपयोगी साबित होने वाला है.


बिजली नहीं रहने पर भी काम जारी
इसे लेकर एचईसी के सीएमडी एम के सक्सेना बताते हैं कि जिस प्रकार से कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है, इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में कोयला या अन्य खनिजों का खनन कर सकेंगे.

ये भी देखें- रांची: शहर के बड़े इलाके में 4 घंटे तक होगी बिजली गुल, हटिया ग्रिड में होगा मेंटेनेंस का काम


सीएमडी ने कहा कि जमीन में खनन करने के दौरान जब ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में असमर्थ हो जाते हैं, लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए हाइड्रोलिक एक्सकैवेटर के माध्यम से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन कर सकते हैं जो निश्चित रूप से लाभप्रद है.


मार्केट में किया जाएगा लांच
सीएमडी ने बताया कि जल्द ही वह अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकैवेटर की तुलना में काफी कम होगी. फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकैवेटर दिया गया है ताकि सीसीएल की बेहतर रिपोर्ट साबित होते ही इस नए आविष्कार को मार्केट में लांच कर सकें.


कैपिटल गुड्स स्कीम ने दिए 5 करोड़ रुपए
वहीं, इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचईसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए कि मदद राशि भी दी ताकि खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सके. ताकि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे से काम करता रहे.


एचईसी द्वारा बनाए गए इस एक्सकैवेटर को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर यह बेहतर तरीके से सफल हो गया तो पिछले कुछ वर्षों से पूंजी की मार झेल रहा एचईसी आने वाले भविष्य में आर्थिक मजबूती को फिर से वापस पा सकते है.

Intro:देश का मातृ उद्योग कहा जाने वाला एचइसी एक बार फिर अपने आविष्कार से सुर्खियों में आया है।

राजधानी रांची के धुर्वा स्थित हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के इंजीनियरों और कर्मचारियों ने अपने नए अविष्कार से यह साबित किया है कि भले ही एचईसी आर्थिक तंगी झेल रहा हो, लेकिन इसके बावजूद भी एचईसी में काबिलियत और हुनर से भरे लोगों की कमी नहीं है।

कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोगी साबित होने वाला हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का आविष्कार करने के बाद खनन में आने वाले परेशानियों को कम करने के लिए एचईसी का यह नया आविष्कार हर तरह से उपयोगी साबित होने वाला है।

Body:इसको लेकर एचईसी के सीएमडी एमके सक्सेना बताते हैं कि जिस प्रकार से कोल माइंस और ओर माइंस में उपयोग आने वाले आधुनिक हाइड्रॉलिक एक्सकेवेटर का निर्माण किया गया है,इससे बिजली की उपलब्धता नहीं रहने की स्थिति में हम कोयले या अन्य उर्वरक का खनन कर सकें।

सीएमडी एम के सक्सेना बताते हैं कि अमूमन खनन के दौरान यह देखा जाता है खनन करने के दरमियान जब हम ज्यादा गहराई में जाते हैं तो बिजली की उपलब्धता कम हो जाती है ऐसी स्थिति में हम खनिजों और अन्य उत्पादों का खनन करने में असमर्थ हो जाते हैं लेकिन एचईसी द्वारा बनाए गए इस नए हाइड्रोलिक एक्सकैवेटर के माध्यम से बिजली की जगह डीजल के माध्यम से ज्यादा गहराई तक खनन कर सकते हैं जो निश्चित रूप से लाभप्रद है।

Conclusion:इस अविष्कार को लेकर भारी उद्योग मंत्रालय ने एचईसी को कैपिटल गुड्स स्कीम के तहत लगभग 5 करोड़ रुपए कि मदद राशि भी दी ताकि खनन के क्षेत्र में बिना बिजली की मदद से ऐसे एक्सकेवेटर का निर्माण किया जा सके ताकि जमीन में खनन करने के दौरान ज्यादा गहराई में जाने के बावजूद बिजली के बिना भी अच्छे तरीके से काम करता रहे।

वहीं सीएमडी ने बताया कि जल्द ही हम अपने इस नए आविष्कार को बाजार में उतारेंगे और इसकी कीमत अन्य एक्सकैवेटर की तुलना में काफी कम होगा फिलहाल सीसीएल को टेस्ट के तौर पर यह एक्सकैवेटर दिया गया है गई है ताकि सीसीएल की बेहतर रिपोर्ट साबित होते ही हम लोग जल्द ही इस नये आविष्कार को मार्केट में लांच कर सके।

आपको बता दें कि एचईसी द्वारा बनाए गए इस एक्सकैवेटर को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर यह एक्सकैवेटर बाजार में बेहतर तरीके से सफल हो गया तो पिछले कुछ वर्षों से पूंजी की मार झेल रहा एचईसी आने वाले भविष्य में आर्थिक मजबूती को फिर से वापस पा सकता है।

बाइट-एम के सेक्सेना,सीएमडी,एचईसी।
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