सिमडेगा: शहर के गुटबाहर के पास दो मासूम बच्चियां फटे कपड़े पहने हुए रो रहीं थीं. किसी समाजसेवी ने चाइल्ड लाइन को फोन कर इस मामले की जानकारी दी. चाइल्ड लाइन की टीम मौके पर पहुंची और दोनों बच्चियों को सीडब्ल्यूसी के ऑफिस पहुंचाया. दोनों बच्चियों की उम्र महज आठ और चार साल है.
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दोनों बच्चियां काफी देर तक दुबककर कुर्सी पर बैठी रहीं. बच्चियों की स्थिति देख सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष किरण चौधरी ने अपने बैग से दो केले निकालकर उन्हें खाने को दिया जिसे वह अपने थैले में रखने लगीं. ऐसा करते देख उन्होंने पूछा तो बच्चियां बोलीं किसी ने रास्ते में दो बिस्किट दिया था उसी को खाकर पानी पिया है. बाद में भूख लगेगी तो केला खा लेंगी. यह सुनकर लोग स्तब्ध रह गए. जब उनसे कहा गया कि अब किसी तरह की कोई चिंता नहीं है. उन्हें हर दिन खाना मिलेगा तब दोनों बच्चियां केला निकालकर खाने लगीं.
एक हफ्ते से लावारिस भटक रहीं थीं मासूम
थोड़ी देर बाद दोनों बच्चियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बीते बुधवार को उनके चाचा-चाची ने घर से निकाल दिया था. तब से भूखे प्यासे भटक रही हैं. कभी होटल के बाहर तो कभी दुकान के बाहर सोकर रात गुजारती थीं. किसी ने कुछ दिया तो खा लिया नहीं तो भूखे पेट ही सो जाते थे. सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष किरण चौधरी ने बताया दोनों बच्चियों को विलेज होम भेज दिया गया है. कुछ दिनों के बाद जब बच्चियां सामान्य हो जाएंगी तब चाचा-चाची की जानकारी ली जाएगी जिसने दोनों मासूमों को सड़क पर भटकने के लिए छोड़ दिया है.