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सिमडेगा: सरकारी आदेश का नहीं हो पालन, शिक्षकों ने बच्चों को बुलाया स्कूल - teachers are not following goverment order in simdega

सिमडेगा के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही देखने को मिल रही है. ताजा मामला जिला मुख्यालय के राजकीय मध्य विद्यालय बरपानी का है. जहां शिक्षकों ने को बच्चों को रिजल्ट देने का बहाना कर स्कूल बुलाया और उनसे साफ-सफाई करवाई.

teachers are not following goverment order in simdega
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Published : Aug 11, 2020, 5:00 PM IST

सिमडेगा: जिले में कोविड-19 का संक्रमण बहुत तीव्र होने के बावजूद कुछ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही देखने को मिल रही है. ये सरकारी शिक्षक सरकार के दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करने में लगे हैं. ताजा मामला जिला मुख्यालय के राजकीय मध्य विद्यालय बरपानी का है. जहां शिक्षकों ने सोमवार को बच्चों को रिजल्ट देने का बहाना कर स्कूल बुलाया. इस दौरान बच्चों को रिजल्ट तो नहीं दिया गया, लेकिन स्कूल में साफ-सफाई अवश्य कराई गयी.

साफ-सफाई कराई गयी

विद्यालय से घर लौट रही कक्षा 5 की रीतिका मिंज और नैंसी मिंज ने बताया कि शिक्षकों ने उन लोगों को स्कूल में आने के लिए कहा था. जब वे स्कूल पहुंची, तब प्राचार्य श्यामसुंदर सिंह ने स्कूल परिसर में उन्हें साफ-सफाई करने का निर्देश दिया.

प्राचार्य ने घास छिलवाया

आठवीं कक्षा के सागर जोजो, सुमित केरकेट्टा और सातवीं कक्षा के उज्जवल डांग और अंकित जोजो ने बताया कि रिजल्ट देने की बात कहकर शिक्षकों ने उन लोगों को सुबह में स्कूल बुलाया था. स्कूल जाने पर प्राचार्य श्यामसुंदर सिंह, अविनाश सिंह और अनामिका मिस ने उन लोगों को स्कूल परिसर का घास छीलने के लिए कहा.

ये भी पढ़ें-कोयला उद्योग में कॉमर्शियल माइनिंग के खिलाफ होने वाली हड़ताल स्थगित, संयुक्त मोर्चा ने लिया फैसला

क्या कहते है जिला अभिभावक संघ के अध्यक्ष

मामले में जिला अभिभावक संघ के अध्यक्ष तिलका रमन का कहना है कि कोविड-19 के खतरे से जब पूरा देश परेशान है. ऐसे में सरकारी गाइडलाइन के विरूद्ध अपनी मनमानी से बच्चों को स्कूल बुलाना और घास छीलवाना गलत है. अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति हमेशा चिंता होती है. नियमों के विरुद्ध बच्चों को विद्यालय में बुलाने और भीड़ लगाने वाले शिक्षकों की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य वरीय पदाधिकारी से की जाएगी.

ये भी पढ़ें-10 से 16 अगस्त तक भारतीय रेलवे में विशेष स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन, रांची रेल मंडल में भी शुरू हुई स्वच्छता अभियान

निरूत्तर हुए प्राचार्य

इस घटनाक्रम के संबंध में रामवि बरपानी के प्राचार्य श्याम सुंदर सिंह से दूरभाष पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पता नहीं बच्चे कैसे स्कूल में आ गये थे. कुछ शिक्षक लोग कार्यालय कामकाज के चलते स्कूल आये थे. आये हुए बच्चों को 12 बजे ही घर भेज दिया गया था, लेकिन एक साथ दर्जनों बच्चे स्कूली ड्रेस पहने अपने आप कैसे स्कूल पहुंच गये थे. तो इस सवाल पर वे निरूत्तर हो गए.

सिमडेगा: जिले में कोविड-19 का संक्रमण बहुत तीव्र होने के बावजूद कुछ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही देखने को मिल रही है. ये सरकारी शिक्षक सरकार के दिशा-निर्देशों को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करने में लगे हैं. ताजा मामला जिला मुख्यालय के राजकीय मध्य विद्यालय बरपानी का है. जहां शिक्षकों ने सोमवार को बच्चों को रिजल्ट देने का बहाना कर स्कूल बुलाया. इस दौरान बच्चों को रिजल्ट तो नहीं दिया गया, लेकिन स्कूल में साफ-सफाई अवश्य कराई गयी.

साफ-सफाई कराई गयी

विद्यालय से घर लौट रही कक्षा 5 की रीतिका मिंज और नैंसी मिंज ने बताया कि शिक्षकों ने उन लोगों को स्कूल में आने के लिए कहा था. जब वे स्कूल पहुंची, तब प्राचार्य श्यामसुंदर सिंह ने स्कूल परिसर में उन्हें साफ-सफाई करने का निर्देश दिया.

प्राचार्य ने घास छिलवाया

आठवीं कक्षा के सागर जोजो, सुमित केरकेट्टा और सातवीं कक्षा के उज्जवल डांग और अंकित जोजो ने बताया कि रिजल्ट देने की बात कहकर शिक्षकों ने उन लोगों को सुबह में स्कूल बुलाया था. स्कूल जाने पर प्राचार्य श्यामसुंदर सिंह, अविनाश सिंह और अनामिका मिस ने उन लोगों को स्कूल परिसर का घास छीलने के लिए कहा.

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क्या कहते है जिला अभिभावक संघ के अध्यक्ष

मामले में जिला अभिभावक संघ के अध्यक्ष तिलका रमन का कहना है कि कोविड-19 के खतरे से जब पूरा देश परेशान है. ऐसे में सरकारी गाइडलाइन के विरूद्ध अपनी मनमानी से बच्चों को स्कूल बुलाना और घास छीलवाना गलत है. अभिभावकों को अपने बच्चों के प्रति हमेशा चिंता होती है. नियमों के विरुद्ध बच्चों को विद्यालय में बुलाने और भीड़ लगाने वाले शिक्षकों की शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य वरीय पदाधिकारी से की जाएगी.

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निरूत्तर हुए प्राचार्य

इस घटनाक्रम के संबंध में रामवि बरपानी के प्राचार्य श्याम सुंदर सिंह से दूरभाष पर बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पता नहीं बच्चे कैसे स्कूल में आ गये थे. कुछ शिक्षक लोग कार्यालय कामकाज के चलते स्कूल आये थे. आये हुए बच्चों को 12 बजे ही घर भेज दिया गया था, लेकिन एक साथ दर्जनों बच्चे स्कूली ड्रेस पहने अपने आप कैसे स्कूल पहुंच गये थे. तो इस सवाल पर वे निरूत्तर हो गए.

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