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यहां है धरती का नागलोक!, सड़कों पर दिखते हैं विषैले सांप

सिमडेगा जिले में बारिश शुरू होते ही है सर्पदंश की घटनाओं में वृद्धि हो जाती है, सिर्फ जून माह में अब तक 6 लोगों की मौत सांप काटने से हुई है. जिला प्रशासन ने लोगों से सर्पदंश के बाद झाड़फूंक को छोड़ अस्पतालों में आने की अपील की है. ताकि सर्पदंश के पीड़ित को समय पर इलाज मुहैया कराकर जान बचाई जा सके.

snake nest is simdega
सिमडेगा में सांपों का बसेरा
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Published : Jun 23, 2021, 6:39 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 9:45 PM IST

सिमडेगा: कहानी, किस्सों और फिल्मों में नागलोक के बारे में तो काफी देखा सुना और पढ़ा होगा, लेकिन क्या असल में धरती पर कहीं नागलोक है. सुनने में अजीब जरूर लग रहा है. लेकिन झारखंड में एक ऐसी जगह है जहां नागों और विषैले सांपों का बसेरा है. हम बात कर रहे हैं सिमडेगा जिले की. जहां आए दिन घरों, स्कूलों और गलियों में सापों के मिलने और सर्पदंश से मौत की खबरें मिलती रहती हैं.

यहां है धरती का नागलोक, देखिए पूरी खबर

ये भी पढे़ं- इन सांपों से रहें अलर्ट...मानसून शुरू होते ही बढ़ीं सर्पदंश की घटनाएं

नागलोक के पड़ोस में है सिमडेगा

कहानियों और किवदंतियों के मुताबिक जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर गुमला के पालकोट में एक प्रखंड है, जो नागवंशी राजाओं का गढ़ रह चुका है. सिमडेगा पालकोट से सटा हुआ इसी कारण यहां नागों का इतना प्रभाव देखने को मिलता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कभी इस क्षेत्र को नागलोक के नाम से जाना जाता था.

बारिश में बढ़ जाती है सर्पदंश की घटना

अब कहानी जो भी हो. सच्चाई ये है कि ये जिला सांपों के खौफ में जी रहा है. बारिश के दिनों में तो ये डर और भी बढ़ जाता है. मौसम में बदलाव होने से ये सांप अपने बिलों से निकलकर इधर-उधर घूमते हुए देखे जाते हैं. यही कारण है कि यहां सर्पदंश से कई लोगों की मौत हो जाती है.

अंधविश्वास भी है कायम

ऐसा नहीं है कि सर्पदंश से मौत में केवल सांप ही जिम्मेवार हैं. लोगों का अंधविश्वास भी उनकी जान ले रहा है. सांप काटने के बाद लोग इलाज कराने के बजाय झाड़फूंक में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है. अगर केवल जून महीने की बात करें तो करीब 6 से ज्यादा लोगों की मौत सांप काटने और अंधविश्वास के कारण हुई है.

जिला प्रशासन की अपील

सिविल सर्जन डॉक्टर प्रमोद कुमार सिन्हा बताते हैं कि जिले के सभी अस्पतालों में सांप काटने का इंजेक्शन उपलब्ध है. उनके मुताबिक जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में करीब 50 से ज्यादा डोज रखे गए हैं. प्रखंड स्तर के अस्पतालों में भी 5-7 इंजेक्शन स्टॉक में हमेशा रहते हैं. उन्होंने आम लोगों से सांप काटने पर पीड़ित को अस्पताल लाने की अपील की है. ताकी समय पर इलाज कर मरीज की जान बचाई जा सके.

सिमडेगा: कहानी, किस्सों और फिल्मों में नागलोक के बारे में तो काफी देखा सुना और पढ़ा होगा, लेकिन क्या असल में धरती पर कहीं नागलोक है. सुनने में अजीब जरूर लग रहा है. लेकिन झारखंड में एक ऐसी जगह है जहां नागों और विषैले सांपों का बसेरा है. हम बात कर रहे हैं सिमडेगा जिले की. जहां आए दिन घरों, स्कूलों और गलियों में सापों के मिलने और सर्पदंश से मौत की खबरें मिलती रहती हैं.

यहां है धरती का नागलोक, देखिए पूरी खबर

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नागलोक के पड़ोस में है सिमडेगा

कहानियों और किवदंतियों के मुताबिक जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर गुमला के पालकोट में एक प्रखंड है, जो नागवंशी राजाओं का गढ़ रह चुका है. सिमडेगा पालकोट से सटा हुआ इसी कारण यहां नागों का इतना प्रभाव देखने को मिलता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक कभी इस क्षेत्र को नागलोक के नाम से जाना जाता था.

बारिश में बढ़ जाती है सर्पदंश की घटना

अब कहानी जो भी हो. सच्चाई ये है कि ये जिला सांपों के खौफ में जी रहा है. बारिश के दिनों में तो ये डर और भी बढ़ जाता है. मौसम में बदलाव होने से ये सांप अपने बिलों से निकलकर इधर-उधर घूमते हुए देखे जाते हैं. यही कारण है कि यहां सर्पदंश से कई लोगों की मौत हो जाती है.

अंधविश्वास भी है कायम

ऐसा नहीं है कि सर्पदंश से मौत में केवल सांप ही जिम्मेवार हैं. लोगों का अंधविश्वास भी उनकी जान ले रहा है. सांप काटने के बाद लोग इलाज कराने के बजाय झाड़फूंक में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं, जिससे पीड़ित की मौत हो जाती है. अगर केवल जून महीने की बात करें तो करीब 6 से ज्यादा लोगों की मौत सांप काटने और अंधविश्वास के कारण हुई है.

जिला प्रशासन की अपील

सिविल सर्जन डॉक्टर प्रमोद कुमार सिन्हा बताते हैं कि जिले के सभी अस्पतालों में सांप काटने का इंजेक्शन उपलब्ध है. उनके मुताबिक जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में करीब 50 से ज्यादा डोज रखे गए हैं. प्रखंड स्तर के अस्पतालों में भी 5-7 इंजेक्शन स्टॉक में हमेशा रहते हैं. उन्होंने आम लोगों से सांप काटने पर पीड़ित को अस्पताल लाने की अपील की है. ताकी समय पर इलाज कर मरीज की जान बचाई जा सके.

Last Updated : Jun 23, 2021, 9:45 PM IST
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