सिमडेगा: पाकरटांड प्रखंड क्षेत्र में नहर निर्माण कार्य कर रही निजी कंपनी बाल मजदूरों से काम करवा रही है. सिमडेगा के सबसे बड़े कांसजोर जलाशय से निकलने वाली नहर में इन दिनों पक्कीकरण का काम किया जा रहा है.
बाल मजदूर कर रहे काम
कांसजोर जलाशय के जीरो पॉईंट से बीरू तक 17.5 किलोमीटर नहर पक्कीकरण का कार्य किया जाना है. वहीं, दूसरे छोर पर कांसजोर जलाशय से पाकरटांड प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जाने वाले नहर में 7 किलोमीटर तक पक्कीकरण का कार्य होना है. करोड़ों की लागत से बनने वाले नहर में दूसरे राज्यों से आए मजदूरों के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर भी काम कर रहे हैं, जिसमें कई नाबालिग बच्चे भी शामिल हैं. इस निर्माण कार्य में 12-13 साल के बच्चे भी मजदूरी कर रहे हैं.
सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं
बता दें कि लॉकडाउन के कारण निर्माण काम काफी दिनों से बंद पड़ा था. लॉक डाउन के तीसरे फेज में शर्तों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य की अनुमति दी गई है, लेकिन निजी कंपनी द्वारा कार्य के दौरान न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है और न ही सभी मजदूरों को मास्क आदि जरूरत के सामान दिए गए हैं.
अधिकारियों को नहीं है फिक्र
पाकरटांड प्रखंड कार्यालय से कार्यस्थल महज 100-150 मीटर की दूरी पर है. इसके बावजूद कंस्ट्रक्शन कंपनी खुलेआम बाल मजदूरों से काम करवा रही है, जबकि प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी की जिम्मेवारी बाल मजदूरी जैसे कार्यों के लिए तय की गयी है. इतनी कम दूरी होने के बावजूद छोटे-छोटे बच्चों से खुलेआम काम लिया जा रहा है.
जांच के बाद होगी कार्रवाई: श्रम अधीक्षक
इस मामले पर प्रखंड विकास पदाधिकारी कीकू महतो अपना पल्ला झाड़ते नजर आएं. उन्होंने बाल मजदूरी पर रोकथाम के लिए श्रम अधीक्षक को जिम्मेवार बताया, जबकि प्रखंड स्तर पर बीडीओ और सीओ की जिम्मेवारी बाल मजदूरी पर तय की हुई है. इधर, श्रम अधीक्षक पुनीत मिंज ने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से उन्हें बाल मजदूरी की सूचना मिली है. कार्यस्थल का निरीक्षण कर जांच के वाद वे उचित कार्रवाई करेंगे.