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धरातल पर फीके सरकार के खोखले वादे, सफेद हाथी साबित हुई बाइक एंबुलेंस

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Published : Dec 4, 2020, 8:08 PM IST

सिमडेगा में साल 2018 में लगभग 28 लाख की लागत से 28 बाइक एंबुलेंस सुदूरवर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से खरीदे गए थे, लेकिन इसका लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

धरातल पर फीके सरकार के खोखले वादे
धरातल पर फीके सरकार के खोखले वादे

सिमडेगा: यूं तो गांव के गरीबों और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है. लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते उसका उद्देश्य और वास्तविकता ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ मामला सिमडेगा में सामने आया है. जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की सुविधा के लिए वर्ष 2018 में 28 बाइक एंबुलेंस की खरीदारी लगभग 28 लाख रूपये की लागत से की गई थी. लेकिन जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर वर्तमान उपायुक्त जटाशंकर चौधरी की ओर से सौंपा गया था, वह आज भी अधूरा है.

देखें पूरी खबर

धरातल पर फीकी योजनाएं

सिमडेगा आज भी काफी पिछड़ा जिला है, जिसमें कई ऐसे गांव है. जहां ना तो पहुंचने को सड़क है और ना ही मोबाइल का टावर और पेयजल के लिए स्वच्छ पानी का भी अभाव है. ऐसे क्षेत्रों में अचानक बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को अस्पताल तक ले जाने की दृष्टि से ये बाइक एंबुलेंस काफी कारगर साबित हो सकते हैं. लेकिन व्यवस्था की मार में बाइक एंबुलेंस अपने से उद्देश्य से भटककर कहीं गुम हो गई, जब इन बाइक एंबुलेंस की खोजबीन की गई, तो पता चला कि अधिकांश एंबुलेंस के ऊपर की छतरी ही गायब है और उन्हें अन्य कार्यों के लिए मोटरसाइकिल बनाकर उपयोग में लिया जा रहा है.

ये भी पढ़े- लालू प्रसाद के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, सरकार को विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश

सुविधा का अभाव

बीते माह ठेठईटांगर अंतर्गत गौरीडूबा गांव में सर्पदंश किसी की शिकार तीन बच्चियों की मृत्यु समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण हो गई थी. इस गांव में चार पहिया वाहनों के पहुंचने के कोई सुविधा नहीं है. यह एकमात्र ऐसा गांव नहीं है, सिमडेगा में अभी भी कई ऐसे सुदूरवर्ती गांव है, जहां सड़क की सुविधा ना के बराबर है. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि इन बाइक एंबुलेंस को इनके वास्तविक कार्यों में लगाया जाए, जिससे जरूरतमंद ग्रामीणों को इलाज के लिए सुविधा मिले और उनकी जान बचाई जा सके.

क्या है सिविल सर्जन का कहना

सिविल सर्जन प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि सभी 28 बाइक एंबुलेंस को स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिमडेगा पुलिस प्रशासन के साथ एमओयू कर संचालन के लिए सौंप दिया गया है. वर्तमान में सभी बाइक एंबुलेंस के संचालन की जिम्मेदारी सिमडेगा पुलिस की है. वे सुदूरवर्ती क्षेत्रों से मरीजों को लाकर अस्पताल पहुंचायेंगे, जिससे उनका इलाज किया जा सके.

सिमडेगा: यूं तो गांव के गरीबों और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लाती है. लेकिन धरातल पर पहुंचते-पहुंचते उसका उद्देश्य और वास्तविकता ही बदल जाती है. ऐसा ही कुछ मामला सिमडेगा में सामने आया है. जिले के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ग्रामीणों की सुविधा के लिए वर्ष 2018 में 28 बाइक एंबुलेंस की खरीदारी लगभग 28 लाख रूपये की लागत से की गई थी. लेकिन जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एंबुलेंस को हरी झंडी दिखाकर वर्तमान उपायुक्त जटाशंकर चौधरी की ओर से सौंपा गया था, वह आज भी अधूरा है.

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धरातल पर फीकी योजनाएं

सिमडेगा आज भी काफी पिछड़ा जिला है, जिसमें कई ऐसे गांव है. जहां ना तो पहुंचने को सड़क है और ना ही मोबाइल का टावर और पेयजल के लिए स्वच्छ पानी का भी अभाव है. ऐसे क्षेत्रों में अचानक बीमार पड़ने पर ग्रामीणों को अस्पताल तक ले जाने की दृष्टि से ये बाइक एंबुलेंस काफी कारगर साबित हो सकते हैं. लेकिन व्यवस्था की मार में बाइक एंबुलेंस अपने से उद्देश्य से भटककर कहीं गुम हो गई, जब इन बाइक एंबुलेंस की खोजबीन की गई, तो पता चला कि अधिकांश एंबुलेंस के ऊपर की छतरी ही गायब है और उन्हें अन्य कार्यों के लिए मोटरसाइकिल बनाकर उपयोग में लिया जा रहा है.

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बीते माह ठेठईटांगर अंतर्गत गौरीडूबा गांव में सर्पदंश किसी की शिकार तीन बच्चियों की मृत्यु समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण हो गई थी. इस गांव में चार पहिया वाहनों के पहुंचने के कोई सुविधा नहीं है. यह एकमात्र ऐसा गांव नहीं है, सिमडेगा में अभी भी कई ऐसे सुदूरवर्ती गांव है, जहां सड़क की सुविधा ना के बराबर है. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए कि इन बाइक एंबुलेंस को इनके वास्तविक कार्यों में लगाया जाए, जिससे जरूरतमंद ग्रामीणों को इलाज के लिए सुविधा मिले और उनकी जान बचाई जा सके.

क्या है सिविल सर्जन का कहना

सिविल सर्जन प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि सभी 28 बाइक एंबुलेंस को स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिमडेगा पुलिस प्रशासन के साथ एमओयू कर संचालन के लिए सौंप दिया गया है. वर्तमान में सभी बाइक एंबुलेंस के संचालन की जिम्मेदारी सिमडेगा पुलिस की है. वे सुदूरवर्ती क्षेत्रों से मरीजों को लाकर अस्पताल पहुंचायेंगे, जिससे उनका इलाज किया जा सके.

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