सरायकेला: केंद्र श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा द्वारा आहूत केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नितियों के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन औद्योगिक क्षेत्र में यूथ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पांडे के नेतृत्व में किया गया. सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने आरआईटी मोड़ से फेज -7 तक पदयात्रा की. जिसके पश्चात आमसभा का आयोजन किया गया. इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जी संजीवा रेड्डी और केंद्र श्रमिक संगठनों के आह्वान पर केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी नितियों के खिलाफ और 12 सूत्री मांगों को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
यूथ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश पांडे ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में देश के 12 करोड़ श्रमिकों का रोजगार खोया. हजारों प्रवासी मजदूरों की भूख और रेल पटरी से कटकर मौत हुई. प्रतिदिन डीजल- पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि ने मजदूरों की कमर तोड़ने का काम किया है. मजदूर वर्ग जो कि इस कठिन समय में सरकार से मदद की आशा लगाए बैठा था, सरकार ने अपनी श्रम विरोधी नितियों से उनके विश्वास को तोड़ने का काम किया है. इसके फलस्वरूप आज प्रतिदिन देश के हजारों श्रमिक जिन्दगी से हार मान कर आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं. अब मजदूर वर्ग मोदी सरकार को होश में लाने का काम कर रहा है.
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विरोध प्रदर्शन में केंद्र सरकार से 12 सूत्री मांग की गई है. इसमें श्रम कानूनों को निलंबित करने का निर्णय वापस ले सरकार. पेट्रोल- डीजल की कीमतों कम करें सरकार. प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन करके छंटनी, वेतन भुगतान में कटौती करने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए. सभी प्रवासी मजदूरों को भोजन और रोजगार की गारंटी दी जाए. आयकर के दायरे में आने वाले सभी परिवारों के बैंक अकाउंट में अगले 6 माह तक 7500 रू प्रति माह ट्रांसफर किया जाए. सभी जरूरतमंद व्यक्तियों को निशुल्क 10 किलो अनाज प्रति माह उपलब्ध कराया जाए. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए. कोरोना योद्धाओं के लिए व्यापक सुरक्षा मुहैया करवाया जाए. कमर्शियल माइनिंग का फैसला वापस लिया जाए. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय और एलआईसी का विनिवेश करने की नीति पर अविलंब रोक लगाई जाए समेत मांगें हैं.