ETV Bharat / state

अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष पूजन का है विशेष महत्व, महिलाएं 108 बार परिक्रमा लगाकर की पूजा - सरायकेला अक्षय नवमी समाचार

सरायकेला में अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष का पूजन किया गया. इस अवसर पर महिलाओं ने अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए अक्षय नवमी का व्रत रखा और आंवला वृक्ष की 108 बार परिक्रमा कर पूजा की.

women worship amla tree on akshaya navami in seraikela
आंवला वृक्ष पूजन
author img

By

Published : Nov 23, 2020, 5:48 PM IST

सरायकेला: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. सरायकेला खरसावां जिले में भी सोमवार को महिलाओं ने पूरे विधि विधान के साथ अक्षय नवमी का व्रत और पूजन किया.

देखें पूरी खबर

महिलाएं करती है आंवला वृक्ष की परिक्रमा
अक्षय नवमी पर परिवार की सुख समृद्धि के लिए महिलाएं आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगा कर पूजा-अर्चना करती हैं. आंवला वृक्ष के नीचे भगवान का भोग लगाया जाता है और उन्हीं पकवानों से महिलाएं अपना व्रत खोलती है. अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है. माना जाता है इस दिन विष्णु का वास दिनभर आंवला वृक्ष पर रहता है. अक्षय नवमी पर महिलाओं ने सामूहिक पूजन, आंवला वृक्ष परिक्रमा, सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक संपन्न किए जाते हैं. महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती है.

क्या है धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु और शिव की पूजा आंवले के रूप में की थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया था. यह भी कहा जाता है कि आंवला पेड़ के नीचे विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है.

ये भी पढ़े- आंवला पूजा आज, पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा व्रत, सुनी ब्राह्मण कथा

दान पुण्य का है महत्व
अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष पूजन के साथ-साथ दान पुण्य का भी काफी महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने और दान पुण्य करने से सभी पापों का विनाश होता है. जबकि इस दिन पूजन के बाद लोग अपने-अपने सामर्थ्य के अनुरूप पुरोहितों को दान करते हैं. इस दिन कुष्मांड यानी भतुआ दान भी काफी महत्वपूर्ण होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जो लोग सोना चांदी या अन्य बहुमूल्य चीजें दान नहीं कर सकते वे कुष्मांड यानी भतुवा को लाल कपड़े में लपेटकर पुरोहितों को दान करते हैं.

सरायकेला: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. सरायकेला खरसावां जिले में भी सोमवार को महिलाओं ने पूरे विधि विधान के साथ अक्षय नवमी का व्रत और पूजन किया.

देखें पूरी खबर

महिलाएं करती है आंवला वृक्ष की परिक्रमा
अक्षय नवमी पर परिवार की सुख समृद्धि के लिए महिलाएं आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगा कर पूजा-अर्चना करती हैं. आंवला वृक्ष के नीचे भगवान का भोग लगाया जाता है और उन्हीं पकवानों से महिलाएं अपना व्रत खोलती है. अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है. माना जाता है इस दिन विष्णु का वास दिनभर आंवला वृक्ष पर रहता है. अक्षय नवमी पर महिलाओं ने सामूहिक पूजन, आंवला वृक्ष परिक्रमा, सहित अन्य धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा पूर्वक संपन्न किए जाते हैं. महिलाएं आंवला वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती है.

क्या है धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि अक्षय नवमी पर मां लक्ष्मी ने पृथ्वी लोक में भगवान विष्णु और शिव की पूजा आंवले के रूप में की थी और इसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया था. यह भी कहा जाता है कि आंवला पेड़ के नीचे विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा की जाती है.

ये भी पढ़े- आंवला पूजा आज, पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा व्रत, सुनी ब्राह्मण कथा

दान पुण्य का है महत्व
अक्षय नवमी को आंवला वृक्ष पूजन के साथ-साथ दान पुण्य का भी काफी महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने और दान पुण्य करने से सभी पापों का विनाश होता है. जबकि इस दिन पूजन के बाद लोग अपने-अपने सामर्थ्य के अनुरूप पुरोहितों को दान करते हैं. इस दिन कुष्मांड यानी भतुआ दान भी काफी महत्वपूर्ण होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जो लोग सोना चांदी या अन्य बहुमूल्य चीजें दान नहीं कर सकते वे कुष्मांड यानी भतुवा को लाल कपड़े में लपेटकर पुरोहितों को दान करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.