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खरसावां गोलीकांड की बरसी: केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया शहीदों को नमन, आदिवासी समाज को आगे बढ़ाने का लिया संकल्प - सरायकेला न्यूज

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने खरसावां के शहीदों को श्रद्धांजलि दी(Arjun Munda paid tribute to martyrs of Kharsawan). शहीद वेदी पर माल्यार्पण करने के बाद उन्होंने कहा कि हमें इस बाद का ध्यान रखना चाहिए कि विकास के इस दौड़ में कोई पीछे न रह जाए.

Union Minister Arjun Munda paid tribute to martyrs of Kharsawan firing
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया शहीदों को नमन
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Published : Jan 1, 2023, 12:13 PM IST

Updated : Jan 1, 2023, 5:09 PM IST

शहीदों को नमन करते केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

सरायकेला: खरसावां गोलीकांड के शहीदों की वेदी पर संकल्प लेने की जरूरत है कि आदिवासी समाज पीछे ना छूटे यह बातें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने खरसावां शहीद दिवस के मौके पर शहीद वेदी पर श्रद्धांजलि देते हुए कही(Arjun Munda paid tribute to martyrs of Kharsawan). 1 जनवरी 1948 खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शहीद स्थल पर यात्रा करते पहुंचे.

ये भी पढ़ेंः खरसावां गोलीकांड की बरसीः जलियांवालाबाग जैसी बर्बरता में शहीद हुए थे कई आदिवासी, अब तक नहीं मिला न्याय

केंद्रीय मंत्री ने शहीद वेदी पर माल्यार्पण के बाद पत्रकारों से बातचीत के क्रम में कहा कि प्रतिवर्ष शहीद दिवस के पर लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचते हैं. बलिदान देख दुख तो होता है लेकिन आज शहीदों के प्रति जो सच्ची श्रद्धांजलि देने जनसैलाब उमड़ता है उसे देख तसल्ली मिलती है. अर्जुन मुंडा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार, स्वास्थ्य, संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक होकर आज आदिवासी समाज आगे बढ़े तभी खरसावां की पावन धरती पर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि हम दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में नए क्षितिज का निर्माण हो रहा. जिसमें आदिम जनजाति का भी विकास हो रहा है.



शहीदों के प्रति राज्य सरकार दिखाएं संवेदनशीलताः 74 साल बीतने के बाद भी खरसावां गोलीकांड शहीदों के चिन्हित नहीं होने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए जो कमेटी बनाई उसमें भी घपले- घोटाले की बातें सामने आई. जिससे पता चलता है कि सरकार इन मामलों में गंभीर नहीं है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ पत्नी मीरा मुंडा, जेबी तुबिद, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, मंगल सिंह सोय, गणेश महली, रमेश हांसदा, उदय सिंह देव, राकेश सिंह समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे.

चंपई सोरेन ने भी दी शहीदों को श्रद्धांजलि: शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मंत्री चंपई सोरेन ने कहा की खरसावां गोलीकांड से ही झारखंड आंदोलन का बीजारोपण हुआ था. जिसके बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड अलग राज्य की लड़ाई हमने लड़ी. इसका नतीजा रहा कि आज झारखंड अलग राज्य बना. जल, जंगल, जमीन से जुड़े पूर्वजों ने इस धरती पर बलिदान देकर अस्मिता की रक्षा की थी. आज हम उन्हें नम आंखों से याद करते हैं. मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि एक तरफ 1 जनवरी को जहां पूरा देश और राज्य खुशियां मनाता है. वहीं खरसावां के लोग अपने पूर्वजों की याद में शोक में डूबे रहते हैं. खरसावां के वीर शहीदों की कुर्बानी भुलाई नहीं जा सकती.



आजाद भारत का सबसे बड़ा गोलीकांड था खरसावां गोलीकांडः 1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का विलय ओडिशा राज्य में कर दिया गया था. औपचारिक तौर पर एक जनवरी को कार्यभार हस्तांतरण करने की तिथि मुकर्रर हुई थी. इस दौरान एक जनवरी, 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने खरसावां व सरायकेला को ओडिशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था. विभिन्न क्षेत्रों से जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. एक जनवरी 1948 का दिन गुरुवार और साप्ताहिक बाजार-हाट का दिन था, इस कारण भीड़ काफी अधिक थी. लेकिन, किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह मुंडा नहीं पहुंच सके. रैली के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी तैनात थी. इसी दौरान पुलिस व जनसभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई और पुलिस की गोलियों से सैकड़ों की संख्या में लोग शहीद हो गए.

शहीदों को नमन करते केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा

सरायकेला: खरसावां गोलीकांड के शहीदों की वेदी पर संकल्प लेने की जरूरत है कि आदिवासी समाज पीछे ना छूटे यह बातें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने खरसावां शहीद दिवस के मौके पर शहीद वेदी पर श्रद्धांजलि देते हुए कही(Arjun Munda paid tribute to martyrs of Kharsawan). 1 जनवरी 1948 खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत शहीद स्थल पर यात्रा करते पहुंचे.

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केंद्रीय मंत्री ने शहीद वेदी पर माल्यार्पण के बाद पत्रकारों से बातचीत के क्रम में कहा कि प्रतिवर्ष शहीद दिवस के पर लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने यहां पहुंचते हैं. बलिदान देख दुख तो होता है लेकिन आज शहीदों के प्रति जो सच्ची श्रद्धांजलि देने जनसैलाब उमड़ता है उसे देख तसल्ली मिलती है. अर्जुन मुंडा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार, स्वास्थ्य, संवैधानिक अधिकार के प्रति जागरूक होकर आज आदिवासी समाज आगे बढ़े तभी खरसावां की पावन धरती पर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि हम दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में नए क्षितिज का निर्माण हो रहा. जिसमें आदिम जनजाति का भी विकास हो रहा है.



शहीदों के प्रति राज्य सरकार दिखाएं संवेदनशीलताः 74 साल बीतने के बाद भी खरसावां गोलीकांड शहीदों के चिन्हित नहीं होने के मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार में रहते हुए जो कमेटी बनाई उसमें भी घपले- घोटाले की बातें सामने आई. जिससे पता चलता है कि सरकार इन मामलों में गंभीर नहीं है. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ पत्नी मीरा मुंडा, जेबी तुबिद, पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, मंगल सिंह सोय, गणेश महली, रमेश हांसदा, उदय सिंह देव, राकेश सिंह समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे.

चंपई सोरेन ने भी दी शहीदों को श्रद्धांजलि: शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मंत्री चंपई सोरेन ने कहा की खरसावां गोलीकांड से ही झारखंड आंदोलन का बीजारोपण हुआ था. जिसके बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में झारखंड अलग राज्य की लड़ाई हमने लड़ी. इसका नतीजा रहा कि आज झारखंड अलग राज्य बना. जल, जंगल, जमीन से जुड़े पूर्वजों ने इस धरती पर बलिदान देकर अस्मिता की रक्षा की थी. आज हम उन्हें नम आंखों से याद करते हैं. मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि एक तरफ 1 जनवरी को जहां पूरा देश और राज्य खुशियां मनाता है. वहीं खरसावां के लोग अपने पूर्वजों की याद में शोक में डूबे रहते हैं. खरसावां के वीर शहीदों की कुर्बानी भुलाई नहीं जा सकती.



आजाद भारत का सबसे बड़ा गोलीकांड था खरसावां गोलीकांडः 1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का विलय ओडिशा राज्य में कर दिया गया था. औपचारिक तौर पर एक जनवरी को कार्यभार हस्तांतरण करने की तिथि मुकर्रर हुई थी. इस दौरान एक जनवरी, 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने खरसावां व सरायकेला को ओडिशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था. विभिन्न क्षेत्रों से जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. एक जनवरी 1948 का दिन गुरुवार और साप्ताहिक बाजार-हाट का दिन था, इस कारण भीड़ काफी अधिक थी. लेकिन, किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह मुंडा नहीं पहुंच सके. रैली के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी तैनात थी. इसी दौरान पुलिस व जनसभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई और पुलिस की गोलियों से सैकड़ों की संख्या में लोग शहीद हो गए.

Last Updated : Jan 1, 2023, 5:09 PM IST
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