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खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए पूर्वजों को श्रद्धांजलि, जानें क्या था इतिहास - शहीद पूर्वजों को श्रद्धांजलि

1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए पूर्वजों को हर वर्ष याद करने हजारों की संख्या में लोग अहले सुबह से ही खरसावां स्थित शहीद स्थल पहुंचते हैं. आजाद भारत के नाम से इतिहास के पन्नों में प्रसिद्ध इस गोलीकांड की घटना पर कोई रिपोर्ट नहीं है.

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खरसावां शहीद स्थल
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Published : Jan 1, 2020, 2:01 PM IST

सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए पूर्वजों को हर वर्ष याद करने हजारों की संख्या में लोग अहले सुबह से ही खरसावां स्थित शहीद स्थल पहुंचते हैं. आजाद भारत के सबसे बड़े गोलीकांड के नाम से आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज इस गोलीकांड को याद करके लोग सिहर उठते हैं.

शहीद स्थल पर संवाददाता सचिन मिश्र

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
बता दें कि खरसावां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र था जो उस समय एक रियायत हुआ करता था. तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जो सभी प्रांतों को मिलाकर भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे. इसी कड़ी में खरसावां और सरायकेला रियासतों को ओडिशा में विलय कर देना चाह रहे थे.

ये भी पढ़ें- बाबा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, नए साल के पहले दिन खास है व्यवस्था

हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी
स्थानीय आदिवासी ग्रामीण इस विलय के विरोध में थे. नतीजतन एक जनवरी 1948 को खरसावां हाट जो अब शहीद स्थल के नाम से प्रसिद्ध है. वहां आंदोलनकारी जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक सभा आयोजित की गई थी. जहां हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई और उस दिन से लेकर आज तक यह दिन इस गोलीकांड में मारे गए लोगों को समर्पित है.

ये भी पढ़ें- हजारीबाग में भगवान के आशीर्वाद से साल की शुरूआत, मंदिरों में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

इतिहास के पन्नों में गुम
आजाद भारत के नाम से इतिहास के पन्नों में प्रसिद्ध इस गोलीकांड की घटना पर कोई रिपोर्ट नहीं है. जलियांवाला बाग गोलीकांड के असल विलेन जनरल डायर को तो पूरा विश्व जानता है, लेकिन खरसावां गोलीकांड में मारे गए हजारों झारखंडवासियों की हत्या करने वाला असली डायर कौन था, यह आज भी इतिहास के पन्नों में गुम है.

सरायकेला: 1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए पूर्वजों को हर वर्ष याद करने हजारों की संख्या में लोग अहले सुबह से ही खरसावां स्थित शहीद स्थल पहुंचते हैं. आजाद भारत के सबसे बड़े गोलीकांड के नाम से आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज इस गोलीकांड को याद करके लोग सिहर उठते हैं.

शहीद स्थल पर संवाददाता सचिन मिश्र

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
बता दें कि खरसावां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र था जो उस समय एक रियायत हुआ करता था. तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल जो सभी प्रांतों को मिलाकर भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे. इसी कड़ी में खरसावां और सरायकेला रियासतों को ओडिशा में विलय कर देना चाह रहे थे.

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हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी
स्थानीय आदिवासी ग्रामीण इस विलय के विरोध में थे. नतीजतन एक जनवरी 1948 को खरसावां हाट जो अब शहीद स्थल के नाम से प्रसिद्ध है. वहां आंदोलनकारी जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक सभा आयोजित की गई थी. जहां हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई और उस दिन से लेकर आज तक यह दिन इस गोलीकांड में मारे गए लोगों को समर्पित है.

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इतिहास के पन्नों में गुम
आजाद भारत के नाम से इतिहास के पन्नों में प्रसिद्ध इस गोलीकांड की घटना पर कोई रिपोर्ट नहीं है. जलियांवाला बाग गोलीकांड के असल विलेन जनरल डायर को तो पूरा विश्व जानता है, लेकिन खरसावां गोलीकांड में मारे गए हजारों झारखंडवासियों की हत्या करने वाला असली डायर कौन था, यह आज भी इतिहास के पन्नों में गुम है.

Intro:1 जनवरी 1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए पूर्वजों को प्रतिवर्ष याद करने हजारों की संख्या में लोग 1 जनवरी को अहले सुबह से ही खरसावां स्थित शहीद स्थल पहुंचते हैं।


Body:आजाद भारत के सबसे बड़े गोलीकांड के नाम से आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज इस गोलीकांड को याद करके लोग सिहर उठते हैं ।खरसावां आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र था जो उस समय एक रियायत हुआ करता था ,तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल जो सभी प्रांतों को मिलाकर भारत का हिस्सा बनाना चाहते थे इसी कड़ी में खरसावां और सरायकेला रियासतों को उड़ीसा में विलय कर देना चाह रहे थे।

स्थानीय आदिवासी ग्रामीण इस विलय के विरोध में थे ,नतीजतन 1 जनवरी 1948 को खरसावां हॉट जो अब शहीद स्थल के नाम से प्रसिद्ध है ,वहां आंदोलनकारी जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक सभा आयोजित की गई थी जहां हजारों लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की गई और उस दिन से लेकर आज तक यह दिन इस गोलीकांड में मारे गए लोगों को समर्पित है।


Conclusion:आजाद भारत के नाम से इतिहास के पन्नों में प्रसिद्ध इस गोलीकांड की घटना पर कोई रिपोर्ट नहीं है ,जलियांवाला बाग गोलीकांड के असल विलेन जनरल डायर को तो पूरा विश्व जानता है, लेकिन खरसावां गोलीकांड में मारे गए हजारों झारखंड वासियों की हत्या करने वाला असली डायर कौन था यह आज भी इतिहास के पन्नों में गुम है।
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