सरायकेला: जनसेवा ही लक्ष्य के संस्थापक और आजसू नेता हरेलाल महतो ने 21 अक्टूबर 1982 को तिरुलडीह गोलीकांड में शहीद हुए अजीत महतो और धनजंय महतो को श्रद्धांजलि दी. ईचागढ़ के शहीद अजीत महतो के गांव कुरली चौका मोड़, शहीद धनंजय महतो के गांव अदारडीह में शहीद स्थल तिरुलडीह, सिरुम मोड़ आदि स्थानों में स्थापित प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई.
इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित
तिरुलडीह शहीद स्थल पर शहीद वेदी पर आजसू नेता हरेलाल महतो ने कहा कि ईचागढ़ की पवित्र माटी में वीर पुरूष देशभक्तों को जन्म देने की असीम क्षमता है. यहां जन्म लेने वाले देशभक्तों के स्वाधीनता संग्राम और अमर बलिदान (शहादत) की घटना इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. उन्होंने कहा कि अफसोस है कि अनेक क्रांतिकारियों को आज तक शहीद का दर्जा नहीं मिला. जिसमें तिरुलडीह गोलीकांड में शहीद हुए दो छात्र अजीत महतो और धनंजय महतो भी है. शहादत के 39 वर्ष बाद भी आज तक उन्हें शहीदों का दर्जा नहीं दिया जाना, शहीद और उनके परिजनों के प्रति अपमान है. उन्होंने कहा कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री ने भी शहीद धनंजय महतो के पुत्र को सरकारी नौकरी देने का घोषणा की थी, लेकिन वह घोषणा कोरा कागज साबित हुई.
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जेएमएम सरकार ने शहीदों का किया अपमान
शहीद धनजंय महतो के पुत्र उपेन चंद्र महतो ने कहा कि चुनाव के समय सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी बड़े-बड़े आश्वासन देते हैं. चुनाव खत्म होने के बाद उन लोगों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि एकमात्र जनसेवा ही लक्ष्य के संस्थापक हरेलाल महतो ने तिरुलडीह के शहीद स्थल में शहीद वेदी निर्माण कर शहीदों को सम्मान देने का काम किया और निजी खर्च से अदारडीह गांव में मेरे परिवार के लिए पक्का मकान का निर्माण करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक बार शहादत दिवस के दिन उन्हें और शहीद अजीत महतो के भतीजा जगदीश महतो को नियुक्ति पत्र देने की बात कहते हुए जेएमएम सरकार के मुख्यमंत्री ने तिरुलडीह बुलाया था, लेकिन कुछ नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि जेएमएम सरकार ने शहीदों को अपमानित करने का काम किया है.
दूसरे के घरों में मजदूरी करना मजबूरी
शहीद धनंजय महतो के वीरवधु बारी महतो ने कहा कि नेताओं ने उन लोगों का सहयोग करने के नाम पर बड़े-बड़े भाषण दिए, लेकिन किसी ने कुछ नहीं दिया. उन्होंने कहा कि आज वे दूसरे के घरों में मजदूरी करने के लिए विवश हैं.