सरायकेला: आदिवासी समुदाय के लोग प्रकृति के पुजारी होते हैं, इनका हर पर्व-त्योहार प्रकृति से जुड़ा होता है. वे अपने पर्व के आयोजन के साथ प्रकृति का भी संरक्षण करते हैं. ऐसा ही एक पर्व 'बाहा बोंगा' है. जिसमें आदिवासी समुदाय की गहरी आस्था जुड़ी होती है.
जिले के सुदूर भर्ती गम्हरिया प्रखंड में संथाल आदिवासी समाज द्वारा हर्षोल्लास के साथ बहा बोंगा का आयोजन कर लोगों ने पर्यावरण की रक्षा का संकल्प भी लिया गया. होली से पहले बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए आदिवासी समुदाय द्वारा प्रकृति का पर्व 'बाहा बोंगा' हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान आदिवासी समुदाय के लोग शाल के वृक्ष की पूजा करते हैं और प्रकृति देव से साल भर आरोग्य और सुख समृद्धि की कामना करते हैं.
मान्यता है कि किसान इस दिन से अपने सारे कृषि संबंधित कार्य खत्म कर नए साल की तैयारी में जुट जाते हैं. इस मौके पर आदिवासी समाज के युवक युवतियों द्वारा पारंपारिक नृत्य कर प्रकृति देव की आराधना कर उनसे यह कामना की जाती है. कि आगे आने वाले साल में अच्छी फसल पैदावार के साथ अच्छी बारिश भी हो. वहीं इस बाहा पर्व के दौरान कई स्थानों पर पानी की होली भी खेली जाती है.