सरायकेला: जिले में छऊ नृत्य कलाकार भी कोरोना संक्रमण काल से अछूते नहीं रहे. नौ महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद अब धीरे-धीरे छऊ कलाकारों की जीवन पटरी पर लौट रही है. हालांकि अब भी इस संक्रमण काल के पड़ाव में कलाकार अपनी कला संस्कृति को संजोने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं, कोरोना काल के बाद भले ही जनजीवन सामान्य हो रहा है लेकिन अब भी नृत्य कला संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में इसका व्यापक असर है. सरायकेला के विश्व प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में अभी विदेशी पर्यटक छऊ नृत्य सीखने नहीं पहुंच रहे हैं.
विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष पहुंचते थे छऊ नृत्य सीखने
कोरोना काल से पहले सरायकेला के प्रसिद्ध राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र में प्रतिवर्ष कई विदेशी पर्यटक छऊ नृत्य कला की बारीकियों को जानने और सीखने पहुंचते थे. इनमें से कई विदेशी पर्यटक छऊ पर रिसर्च भी किया करते थे, लेकिन महामारी के चलते फिलहाल विदेशी पर्यटक का आनी पूरी तरह बंद है. इधर, कलाकार लंबे समय से रंगमंच से दूर रहे हैं लिहाजा रंगमंच से कला की दुनिया में रंग भरने वाले कलाकारों का जीवन बेरंग सा प्रतीत हो रहा है.
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हॉस्टल निर्माण की प्रक्रिया नहीं हुई शुरू
राजकीय नृत्य कला केंद्र के माध्यम से राज्य सरकार के युवा संस्कृति और खेलकूद मंत्रालय की ओर से वर्षों पूर्व छऊ नृत्य कला के प्रचार- प्रसार के उद्देश्य से कला केंद्र में छऊ सीखने आने वाले कलाकारों के लिए हॉस्टल निर्माण के लिए योजना बनाई गई थी. सालों बीतने के बाद भी अब तक कलाकारों के हॉस्टल निर्माण की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी है. ऐसे में विदेश समेत बाहर से आने वाले पर्यटक और छऊ सीखने वाले कलाकारों के रहने की कोई व्यवस्था मुकम्मल नहीं हो सकी है.
'संकल्प एक नए सृजन की ओर' अभियान की शुरुआत
संक्रमण के इस काल में छऊ कलाकारों में आत्मविश्वास जगाने और कलाकारों का हौसला बढ़ाने के उद्देश्य से राजकीय छाऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक सह छऊ गुरु तपन कुमार पटनायक ने 'संकल्प एक नई सृजन की ओर' मुहिम की शुरुआत की है. इसके तहत विश्वभर में छऊ कला को एक नए स्वरूप में ले जाने की तैयारी की गई है, ताकि छऊ कला संस्कृति विरासत को संजोए हुए कलाकारों का भी हौसला बढ़ाया जाए.