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सरायकेला: आदिम जनजाति बहुल गांव के बदलेंगे दिन, पीवीटीजी योजना से तैयार होगा विकास का खाका

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Published : Sep 2, 2020, 12:22 PM IST

सरायकेला के आदिम जनजाति बहुल गांव में समुचित योजना का लाभ अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने की कवायद शुरू की जाएगी. इसको लेकर जिला प्रशासन कई योजनाओं पर काम कर रहा है.

primitive tribe dominated villages in seraikela
सरायकेला में पीवीटीजी योजन का लाभ

सरायकेला: जिले के आदिम जनजाति बहुल क्षेत्र और गांव की तस्वीर अब सरकार के प्रयास से बदलने लगी है. पीवीटीजी ग्रामोत्थान योजना से गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने की योजना पर जिला प्रशासन काम कर रहा है.

primitive tribe dominated villages in seraikela
सरायकेला में पीवीटीजी योजन का लाभ

जिले की कुचाई निमडीह और चांडिल प्रखंड के 2 दर्जन से भी अधिक गांव में आदिम जनजाति के लोग निवास करते हैं. आदिम बहुल क्षेत्र होने के कारण इन गांवों में रोजगार एक बड़ी समस्या है. इधर, वर्ष 2020-21 में आदिम जनजाति बहुल गांव में आवास, पेयजल, रोजगार, सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब का निर्माण, स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्रों के मरम्मत के साथ बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा. इसे लेकर आदिवासी कल्याण आयुक्त ने जिला से आईटीडीए परियोजना अंतर्गत प्रस्ताव मांगा है. इस संबंध में आदिवासी कल्याण आयुक्त ने आईटीडीए परियोजना निदेशक के नाम एक पत्र भी निर्गत किया है.

आदिम जनजाति के वंचित लोगों को मिलेगा लाभ

आदिम जनजाति बहुल गांव में प्रस्ताव के तहत जनजाति बहुल गांव में बैठक कर समुचित योजना का लाभ अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने की कवायद शुरू की जाएगी. इसके तहत आदिम जनजाति परिवार के लोगों को बिरसा आवास, योजना के तहत पक्का मकान बनाकर देने, पेयजल आपूर्ति के लिए डीप बोरिंग, मिनी जलापूर्ति योजना और स्वच्छ पानी विभिन्न गांवों तक पहुंचाने के साथ-साथ सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने और आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र में बेहतर सुविधाओं के साथ वहां मूलभूत सुविधाओं को बहाल किया जाना है. इसके अलावा गांव में पथ निर्माण, नाली, सिंचाई और सड़क पुलिया का भी निर्माण किया जाना है.

ये भी पढ़ें: लड़कर लेंगे अपना अधिकार, बकाए भुगतान की रखी गई है केंद्र के समक्ष मांग: सीएम

रोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिकता

पीवीटीजी ग्राम उत्थान योजना से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास की बयार बहाने की प्रयास की जानी है. इसके तहत आदिम जनजाति लोगों के रोजगार को सुनिश्चित किए जाने पर भी विशेष फोकस किया जाना है. योजना से आदिम जनजाति वर्ग के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है. गौरतलब है कि इन क्षेत्रों के अधिकांश लोग वन और जंगलों पर निर्भर हैं. ऐसे में वन और जंगलों से संबंधित उत्पाद जैसे बांस और घास से निर्मित घरेलू सामग्रियों का निर्माण कर ग्रामीण आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराना है.

सरायकेला: जिले के आदिम जनजाति बहुल क्षेत्र और गांव की तस्वीर अब सरकार के प्रयास से बदलने लगी है. पीवीटीजी ग्रामोत्थान योजना से गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित करने की योजना पर जिला प्रशासन काम कर रहा है.

primitive tribe dominated villages in seraikela
सरायकेला में पीवीटीजी योजन का लाभ

जिले की कुचाई निमडीह और चांडिल प्रखंड के 2 दर्जन से भी अधिक गांव में आदिम जनजाति के लोग निवास करते हैं. आदिम बहुल क्षेत्र होने के कारण इन गांवों में रोजगार एक बड़ी समस्या है. इधर, वर्ष 2020-21 में आदिम जनजाति बहुल गांव में आवास, पेयजल, रोजगार, सोलर स्ट्रीट लाइट, तालाब का निर्माण, स्वीकृत आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्रों के मरम्मत के साथ बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा. इसे लेकर आदिवासी कल्याण आयुक्त ने जिला से आईटीडीए परियोजना अंतर्गत प्रस्ताव मांगा है. इस संबंध में आदिवासी कल्याण आयुक्त ने आईटीडीए परियोजना निदेशक के नाम एक पत्र भी निर्गत किया है.

आदिम जनजाति के वंचित लोगों को मिलेगा लाभ

आदिम जनजाति बहुल गांव में प्रस्ताव के तहत जनजाति बहुल गांव में बैठक कर समुचित योजना का लाभ अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहुंचाने की कवायद शुरू की जाएगी. इसके तहत आदिम जनजाति परिवार के लोगों को बिरसा आवास, योजना के तहत पक्का मकान बनाकर देने, पेयजल आपूर्ति के लिए डीप बोरिंग, मिनी जलापूर्ति योजना और स्वच्छ पानी विभिन्न गांवों तक पहुंचाने के साथ-साथ सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने और आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र में बेहतर सुविधाओं के साथ वहां मूलभूत सुविधाओं को बहाल किया जाना है. इसके अलावा गांव में पथ निर्माण, नाली, सिंचाई और सड़क पुलिया का भी निर्माण किया जाना है.

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रोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिकता

पीवीटीजी ग्राम उत्थान योजना से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास की बयार बहाने की प्रयास की जानी है. इसके तहत आदिम जनजाति लोगों के रोजगार को सुनिश्चित किए जाने पर भी विशेष फोकस किया जाना है. योजना से आदिम जनजाति वर्ग के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है. गौरतलब है कि इन क्षेत्रों के अधिकांश लोग वन और जंगलों पर निर्भर हैं. ऐसे में वन और जंगलों से संबंधित उत्पाद जैसे बांस और घास से निर्मित घरेलू सामग्रियों का निर्माण कर ग्रामीण आदिवासी बहुल क्षेत्र के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराना है.

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