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आदिवासी भूमिज समाज परंपरा संजोने में जुटा, कार्यक्रम के बहाने पारंपरिक रीति-रिवाज से कराया अवगत - विधायक संजीव सरदार

भूमिज मुंडा समाज के द्वारा आयोजित 39 वार्षिक मिलन समारोह में हजारों की संख्या में मुंडा परिवार शामिल हुए, जहां वर्तमान राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए पोटका के वर्तमान विधायक संजीव सरदार और पूर्व विधायक मेनका सरदार भी शामिल हुई. सभी ने समाज को महत्व देते हुए सामाजिक उत्थान का संदेश दिया.

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आदिवासी भूमिज समाज
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Published : Dec 30, 2019, 11:12 AM IST

सरायकेला: आदिवासी भूमिज मुंडा समाज लगातार अपने पारंपरिक सभ्यता संस्कृति को बचाने और उसके प्रचार प्रसार को लेकर प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में सरायकेला जिले में भूमिज मुंडा समाज का 39वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें झारखंड बंगाल समेत पड़ोसी राज्य ओडिशा और त्रिपुरा से भी मुंडा समाज के लोग शामिल हुए.

देखें पूरी खबर

भूमिज मुंडा समाज के द्वारा आयोजित 39 वार्षिक मिलन समारोह में हजारों की संख्या में मुंडा परिवार शामिल हुए, जहां वर्तमान राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए पोटका के वर्तमान विधायक संजीव सरदार और पूर्व विधायक मेनका सरदार भी शामिल हुई. सभी ने समाज को महत्व देते हुए सामाजिक उत्थान का संदेश दिया.

वार्षिक कार्यक्रम में न सिर्फ सभ्यता संस्कृति के प्रसार पर जोर दिया गया बल्कि पूर्वजों को याद करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का भी दृढ़ संकल्प लिया गया. भगवान बिरसा मुंडा और भगवान गंगा नारायण सिंह को आज भी समाज देवता की तरह पूजते हैं. वहीं, भूमिज चुहाड़ विद्रोह आंदोलन के महानायक रहे गंगा नारायण सिंह के कुर्बानी को समाज शत-शत नमन करता है.

ये भी पढे़ं: देखें हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह की वो तस्वीर, जो है राजनीति का 'फोटो ऑफ द ईयर'

गंगा नारायण सिंह ने सबसे पहले विद्रोह आंदोलन किया और अंग्रेजों से लड़ने के लिए भूमिज आदिवासियों को प्रेरित किया. इसमें उन्हें सफलता भी मिली. भूमिज समाज के वार्षिक मिलन समारोह में पारंपरिक आदिवासी परिधान में सुसज्जित महिलाएं पुरुष आकर्षण का केंद्र रहे, जबकि पारंपरिक परिधान को लेकर फैशन प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी, जहां आदिवासी युवती और महिलाओं ने अपने खूबसूरती का भी जलवा बिखेरा.

सरायकेला: आदिवासी भूमिज मुंडा समाज लगातार अपने पारंपरिक सभ्यता संस्कृति को बचाने और उसके प्रचार प्रसार को लेकर प्रयासरत हैं. इसी कड़ी में सरायकेला जिले में भूमिज मुंडा समाज का 39वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें झारखंड बंगाल समेत पड़ोसी राज्य ओडिशा और त्रिपुरा से भी मुंडा समाज के लोग शामिल हुए.

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भूमिज मुंडा समाज के द्वारा आयोजित 39 वार्षिक मिलन समारोह में हजारों की संख्या में मुंडा परिवार शामिल हुए, जहां वर्तमान राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए पोटका के वर्तमान विधायक संजीव सरदार और पूर्व विधायक मेनका सरदार भी शामिल हुई. सभी ने समाज को महत्व देते हुए सामाजिक उत्थान का संदेश दिया.

वार्षिक कार्यक्रम में न सिर्फ सभ्यता संस्कृति के प्रसार पर जोर दिया गया बल्कि पूर्वजों को याद करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का भी दृढ़ संकल्प लिया गया. भगवान बिरसा मुंडा और भगवान गंगा नारायण सिंह को आज भी समाज देवता की तरह पूजते हैं. वहीं, भूमिज चुहाड़ विद्रोह आंदोलन के महानायक रहे गंगा नारायण सिंह के कुर्बानी को समाज शत-शत नमन करता है.

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गंगा नारायण सिंह ने सबसे पहले विद्रोह आंदोलन किया और अंग्रेजों से लड़ने के लिए भूमिज आदिवासियों को प्रेरित किया. इसमें उन्हें सफलता भी मिली. भूमिज समाज के वार्षिक मिलन समारोह में पारंपरिक आदिवासी परिधान में सुसज्जित महिलाएं पुरुष आकर्षण का केंद्र रहे, जबकि पारंपरिक परिधान को लेकर फैशन प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी, जहां आदिवासी युवती और महिलाओं ने अपने खूबसूरती का भी जलवा बिखेरा.

Intro:आदिवासी भूमिज मुंडा समाज लगातार अपने पारंपरिक सभ्यता संस्कृति को बचाने और उसके प्रचार प्रसार को लेकर प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में सरायकेला जिले में भूमिज मुंडा समाज का 39 वा वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें झारखंड बंगाल समेत पड़ोसी राज्य उड़ीसा और त्रिपुरा से भी मुंडा समाज के लोग शामिल हुए।


Body:भूमिज मुंडा समाज के द्वारा आयोजित 39 वार्षिक मिलन समारोह में हजारों की संख्या में मुंडा परिवार शामिल हुए, जहां वर्तमान राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए पोटका के वर्तमान विधायक संजीव सरदार और पूर्व विधायक मेनका सरदार भी शामिल हुई जहां सभी ने समाज को महत्व देते हुए सामाजिक उत्थान का संदेश दिया।

वार्षिक कार्यक्रम में ना सिर्फ सभ्यता संस्कृति के प्रसार पर जोर दिया गया बल्कि पूर्वजों को याद करते हुए उनके बताए रास्ते पर चलने का भी दृढ़ संकल्प लिया गया। भगवान बिरसा मुंडा और भगवान गंगा नारायण सिंह को आज भी समाज देवता की तरह पूजते हैं। वही भूमिज चुहाड़ विद्रोह आंदोलन के महानायक रहे गंगा नारायण सिंह के कुर्बानी को समाज शत-शत नमन करता है। गंगा नारायण सिंह ने सबसे पहले विद्रोह आंदोलन किया और अंग्रेजों से लड़ने के लिए भूमिज आदिवासियों को प्रेरित किया और सफलता भी पायी।

पारंपरिक आदिवासी परिधान और प्रतियोगिताएं रहे मुख्य आकर्षण

भूमिज समाज के वार्षिक मिलन समारोह में पारंपरिक आदिवासी परिधान में सुसज्जित महिलाएं पुरुष आकर्षण का केंद्र रहे। जबकि पारंपरिक परिधान को लेकर फैशन प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी, जहां आदिवासी युवती और महिलाओं ने अपने खूबसूरती का भी जलवा बिखेरा तो पौराणिक सामाजिक रिसियो से जुड़े प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता नेवी मौजूद लोगों के ज्ञान को बढ़ाया।


Conclusion:मॉडर्न युग में आधुनिकता की छाप आज पारंपरिक रीति-रिवाजों पर खूब पड़ रही है, जबकि इस आधुनिक युग में पौराणिक रीति-रिवाजों को बुलाए बिना वर्तमान युग में जीने की कला इस सम्मेलन के माध्यम से लोगों को प्रदान की गयी।

बाइट- जयसिंह भूमिज , आयोजक।

बाइट - मेनका सरदार , पूर्व विधायक ।
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