सरायकेला: झारखंड के अति लोकप्रिय पर्व टुसू की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. वहीं विद्या की आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा को लेकर तैयारी अंतिम चरण में है. इधर मूर्तिकार भी टुसू के साथ मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हैं. सरायकेला के आदित्यपुर क्षेत्र में बनतानगर के प्रसिद्ध मूर्तिकार देवराज चटर्जी उर्फ झोंटू चटर्जी प्रतिमा निर्माण कार्य पूरा करने जोर शोर से लगे हुए हैं.
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मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने के साथ साथ टुसू की तैयारियां पूरी की जा रही हैं. मूर्तिकार देवराज चटर्जी बताते हैं कि वो अपने यहां प्रतिमा तैयार करने में व्यस्त हैं. युवाओं में सरस्वती पूजा को लेकर प्रसन्नता है, युवा वर्ग विशेष प्रकार की मूर्ति निर्माण कराने के लिए इनके पास दौड़ लगा रहे हैं. वहीं महंगाई को लेकर भी थोड़ी हिचकिचाहट है लेकिन लोग आकर्षक मूर्ति को लेकर महंगाई की परवाह नहीं करते हैं. वो कलाकारों को नयी डिजाइन के साथ आधुनिक तकनीक से लैस मूर्ति बनाने को लेकर अपनी सोच कारीगरों को बता रहे है. वहीं कलाकार भी उनकी चाहत की मूर्ति तैयार करने में काफी जोश खरोश के साथ लगे हुए हैं.
ग्रामीण इलाकों में तैयारी जोरों परः पर्व को लेकर ग्रामीण इलाकों में खासा उत्साह है. सरस्वती पूजा को लेकर चारों ओर काफी चहलपहल है. इस समय मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा का निर्माण कार्य में लगे हुये हैं. जिला के विभिन्न प्रखंडों के अलग अलग जगहों पर मां सरस्वती की प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. सरस्वती पूजा 26 जनवरी को है. मर्तिकारों के द्वारा पुआल, मिटी, बांस की खरीददारी पहले से ही शुरू की जाती है. मूर्ति निर्माण में इस्तेमाल सामग्रियों की कीमत बढ़ने से मूर्तिकारों को कीमतों में भी इजाफा करना पड़ रहा है. सांचे में छोटी मूर्ति 300 रुपये से शुरू है, इसके अलावा बड़ी प्रतिमा 15 हजार रुपये तक बेची जा रही है.
महंगाई का असरः साल दर साल विभिन्न सामग्रियों की कीमतों में लगातार इजाफा होने से पर्व त्योहार पर भी महंगाई अपना असर डालता है. मूर्तिकार देवराज बताते है कि हमलोग जब युवा थे तो उस समय महंगाई बहुत कम थी. फिर भी वो लोग अपने हाथों से मूर्ति का निर्माण करते थे. जबकि उस समय भी मूर्तिकार थे लेकिन फिर भी उन लोगों को अपने हाथों से प्रतिमा तैयार करने में ज्यादा आनंद आता था. देवराज कहते हैं कि बचपन का शौक आज रोजी-रोटी में तब्दील हो गया है. हर साल टुसु और सरस्वती पूजा के लिए जनवरी महीना से ही उत्सुकता के साथ पूजा की तैयार प्रारंभ कर देते हैं. अब तो महंगाई बढ़ी है तो पहले जैसा उत्साह नहीं है लेकिन आज नयी तकनीक और आधुनिकता के साथ इस पूजा को युवा वर्ग द्वारा किया जा रहा है.