ETV Bharat / state

सरायकेला में सेवायतों के कंधे पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर से श्री मंदिर लौटे प्रभु जगन्नाथ, लगाया गया छप्पन भोग

author img

By

Published : Jul 1, 2020, 8:39 PM IST

सरायकेला- खरसावां में बुधवार को प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक बाहुडा रथ यात्रा श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हो गई. इसके पश्चात श्रद्धालुओं में भोग का भी वितरण किया गया.

Prabhu Jagannath returned to Shri Mandir from Gundicha temple in Seraikela
प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक श्री गुंडिचा रथ यात्रा संपन्न

सरायकेला: खरसावां और हरिभंजा में बुधवार को प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक बाहुडा रथ यात्रा श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हो गई. बुधवार को देर शाम गुंडिचा से प्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा निकाली गई. इस दौरान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन को विशेष व्यंजन बनाकर भोग लगाया गया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रहों को पुरोहित और सेवायतों ने कंधे में लेकर गुंडिचा मंदिर से राजवाड़ी परिसर स्थित प्रभु जगन्नाथ के मंदिर तक पहुंचाया.

कोविड़-19 को लेकर इस वर्ष रथ यात्रा नहीं निकाली गई. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ के बदले सेवायतों के कंधे पर सवार होकर मंदिर में पहुंचे. सबसे पहले सुदर्शन की प्रतिमा थी. इसके पश्चात बलभद्र, फिर सुभद्रा माता की प्रतिमा थी. सबसे अंतिम में प्रभु जगन्नाथ थे. गुंडिचा मंदिर को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन का जन्म स्थान माना जाता है. गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक चतुर्था मूर्ति को ले जाने के दौरान लोगों ने दूर से ही दर्शन किए. श्रीमंदिर पहुंचाकर चतुर्था मूर्ति को रत्न सिंहासन में बैठा कर पूजा अर्चना की गई.

ये भी पढ़ें: डॉक्टर्स डे: कोरोना काल में मिसाल पेश कर रही चिकित्स्कों की यह टीम, 24 घंटे दे रहे सेवा

बाहुडा यात्रा में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गुंडिचा यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया गया. कोविड-19 के कारण बाहुडा यात्रा में सादगी के साथ सभी रश्मों को निभाया गया. हरिभंजा में श्री मंदिर के मुख्य द्वार में पहुंचने पर जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन की पूजा अर्चना कर आरती उतारी गई. इस दौरान छप्पन भोग और अधरपोणा नीति को निभाया गया. छप्पन भोग में छप्पन तरह के मिष्टान्न व्यंजन का भोग लगाया गया. इसके पश्चात अधरपोणा का भी भोग लगाया गया. इसके पश्चात श्रद्धालुओं में भोग का भी वितरण किया गया.

सरायकेला: खरसावां और हरिभंजा में बुधवार को प्रभु जगन्नाथ की वार्षिक बाहुडा रथ यात्रा श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हो गई. बुधवार को देर शाम गुंडिचा से प्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा निकाली गई. इस दौरान प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन को विशेष व्यंजन बनाकर भोग लगाया गया. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के विग्रहों को पुरोहित और सेवायतों ने कंधे में लेकर गुंडिचा मंदिर से राजवाड़ी परिसर स्थित प्रभु जगन्नाथ के मंदिर तक पहुंचाया.

कोविड़-19 को लेकर इस वर्ष रथ यात्रा नहीं निकाली गई. प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ के बदले सेवायतों के कंधे पर सवार होकर मंदिर में पहुंचे. सबसे पहले सुदर्शन की प्रतिमा थी. इसके पश्चात बलभद्र, फिर सुभद्रा माता की प्रतिमा थी. सबसे अंतिम में प्रभु जगन्नाथ थे. गुंडिचा मंदिर को प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन का जन्म स्थान माना जाता है. गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर तक चतुर्था मूर्ति को ले जाने के दौरान लोगों ने दूर से ही दर्शन किए. श्रीमंदिर पहुंचाकर चतुर्था मूर्ति को रत्न सिंहासन में बैठा कर पूजा अर्चना की गई.

ये भी पढ़ें: डॉक्टर्स डे: कोरोना काल में मिसाल पेश कर रही चिकित्स्कों की यह टीम, 24 घंटे दे रहे सेवा

बाहुडा यात्रा में प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इससे मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. गुंडिचा यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन किया गया. कोविड-19 के कारण बाहुडा यात्रा में सादगी के साथ सभी रश्मों को निभाया गया. हरिभंजा में श्री मंदिर के मुख्य द्वार में पहुंचने पर जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन की पूजा अर्चना कर आरती उतारी गई. इस दौरान छप्पन भोग और अधरपोणा नीति को निभाया गया. छप्पन भोग में छप्पन तरह के मिष्टान्न व्यंजन का भोग लगाया गया. इसके पश्चात अधरपोणा का भी भोग लगाया गया. इसके पश्चात श्रद्धालुओं में भोग का भी वितरण किया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.