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नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण स्तर से वैज्ञानिक चिंतित, जलीय जीव-जंतु के अस्तित्व पर खतरा - स्वर्णरेखा नदी का प्रदूषण स्तर

सरायकेला की लाइफ लाइन कही जानी वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. वहीं, नदियों, जल स्रोत का ऑक्सीजन लेवल भी 5 से कम है. इसकी पुष्टि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने की है. इससे भू-गर्भ का भी जल दूषित हो रहा है.

Pollution level of rivers increasing in seraikela
सरायकेला में नदी
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Published : Nov 23, 2020, 10:07 AM IST

सरायकेला: केंद्र सरकार नदियों को स्वच्छ रखने के लिए पूरे देश में अभियान चला रही है, लेकिन कोल्हान प्रमंडल की लाइफ लाइन माने जाने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर से प्रदूषण विभाग और वैज्ञानिक चिंतित हैं.

कल-कारखानों समेत आवासीय कॉलोनी से निकलने वाले सीवरेज के पानी से नदियां पहले ही प्रदूषित हो रही थी. वहीं, हाल के दिनों में पर्व त्योहारों के बाद पूजन सामग्री और मूर्ति विसर्जन ने भी नदियों के अस्तित्व से खिलवाड़ की है. लिहाजा ताजा रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही प्रमुख नदियां जलीय जीव-जंतु के लिए किसी भी मायने में उपयुक्त नहीं है, और इन नदियों में रह रहे जलीय जीव-जंतु के अस्तित्व पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-मछली पालन से किसान हो रहे मालामाल, उत्पादन में अग्रीण राज्यों में झारखंड

नदियों में ऑक्सीजन लेवल मिला कम

हाल ही में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की स्वर्णरेखा और खरकई नदी के जल में प्रदूषण की मात्रा जांच करने के दौरान यह बात सामने आई कि नदियों में घुलनशील अशुद्धियां भारी मात्रा में है. नदी और जल स्रोत में ऑक्सीजन का लेवल 5 होना चाहिए, लेकिन इन नदियों में यह मात्रा 5 से भी कम है लिहाजा पानी में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए यह काफी खतरनाक है.

नदियों के साथ भू-गर्भ जल हो रहे प्रदूषित

नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ भू-गर्भ जल भी प्रदूषित हो रहा है. माना जाता है कि भारत विश्व में सर्वाधिक भू-जल का उपयोग करने वाला देश है. प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र की आबादी 50% और ग्रामीण क्षेत्र की जरूरतें 85% भू-जल से पूरी होती है. लेकिन नदियों के साथ-साथ भू-गर्भ का भी जल प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में नदियों के अलावा भू-गर्भ जल भी प्रयोग में सीधे तौर पर नहीं लाए जा सकते हैं.

सरायकेला: केंद्र सरकार नदियों को स्वच्छ रखने के लिए पूरे देश में अभियान चला रही है, लेकिन कोल्हान प्रमंडल की लाइफ लाइन माने जाने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर से प्रदूषण विभाग और वैज्ञानिक चिंतित हैं.

कल-कारखानों समेत आवासीय कॉलोनी से निकलने वाले सीवरेज के पानी से नदियां पहले ही प्रदूषित हो रही थी. वहीं, हाल के दिनों में पर्व त्योहारों के बाद पूजन सामग्री और मूर्ति विसर्जन ने भी नदियों के अस्तित्व से खिलवाड़ की है. लिहाजा ताजा रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही प्रमुख नदियां जलीय जीव-जंतु के लिए किसी भी मायने में उपयुक्त नहीं है, और इन नदियों में रह रहे जलीय जीव-जंतु के अस्तित्व पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है.

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नदियों में ऑक्सीजन लेवल मिला कम

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नदियों के साथ भू-गर्भ जल हो रहे प्रदूषित

नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ भू-गर्भ जल भी प्रदूषित हो रहा है. माना जाता है कि भारत विश्व में सर्वाधिक भू-जल का उपयोग करने वाला देश है. प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र की आबादी 50% और ग्रामीण क्षेत्र की जरूरतें 85% भू-जल से पूरी होती है. लेकिन नदियों के साथ-साथ भू-गर्भ का भी जल प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में नदियों के अलावा भू-गर्भ जल भी प्रयोग में सीधे तौर पर नहीं लाए जा सकते हैं.

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