सरायकेला: केंद्र सरकार नदियों को स्वच्छ रखने के लिए पूरे देश में अभियान चला रही है, लेकिन कोल्हान प्रमंडल की लाइफ लाइन माने जाने वाली स्वर्णरेखा और खरकई नदी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर से प्रदूषण विभाग और वैज्ञानिक चिंतित हैं.
कल कारखानों समेत आवासीय कॉलोनी से निकलने वाले सीवरेज के पानी से नदियां पहले ही प्रदूषित हो रही थी. वहीं, हाल के दिनों में पर्व त्योहारों के बाद पूजन सामग्री और मूर्ति विसर्जन ने भी नदियों के अस्तित्व से खिलवाड़ किया है. लिहाजा ताजा रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही प्रमुख नदियां जलीय जीव जंतु के लिए किसी भी मायने में उपयुक्त नहीं हैं और इन नदियों में रह रहे जलीय जीव जंतु के अस्तित्व पर भी लगातार खतरा मंडरा रहा है.
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नदियों के प्रदूषण मापने के दौरान ऑक्सीजन लेवल मिला कम
हाल ही में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से स्वर्णरेखा और खरकई नदी के जल में प्रदूषण की मात्रा की जांच करने के दौरान यह बात सामने आई है कि नदियों में घुलनशील अशुद्धियां भारी मात्रा में हैं. नदी और जल स्रोत में ऑक्सीजन का लेवल 5 होना चाहिए लेकिन इन नदियों में यह मात्रा 5 से भी कम है. लिहाजा पानी में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए यह काफी खतरनाक है.
नदियों के साथ भू-गर्भ जल हो रहे प्रदूषित
नदियों में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने के साथ-साथ भू-गर्भ जल भी प्रदूषित हो रहा है. माना जाता है कि भारत विश्व में सर्वाधिक भू-जल का उपयोग करने वाला देश है. प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरी क्षेत्र की आबादी 50% और ग्रामीण क्षेत्र की जरूरतें 85% भू-जल से पूरी होती है. लेकिन नदियों के साथ-साथ भू-गर्भ का भी जल प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में नदियों के अलावा भू-गर्भ जल भी प्रयोग में सीधे तौर पर नहीं लाया जा सकता है.