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सरायकेला के जुगीडीह जंगल में किया गया पत्थलगड़ी, ग्रामीणों ने लिया जंगलों को बचाने का लिया संकल्प - वनों की रक्षा

सरायकेला में सामुदायिक वन पालन समिति और ग्राम सभा जुगीडीह के संयुक्त तत्वावधान में पारंपरिक पत्थलगड़ी की गई. इस दौरान ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी कर सामूहिक रूप से वनों के संरक्षण का संकल्प लिया. कार्यक्रम के दौरान सभी ने वनों की रक्षा पर बल दिया.

Patthalgadi done in Jugidih forest of Seraikela
पत्थलगड़ी कार्यक्रम
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Published : Nov 17, 2020, 6:30 PM IST

सरायकेला: सामुदायिक वन पालन समिति और ग्राम सभा जुगीडीह के संयुक्त तत्वावधान में कुचाई के जुगीडीह जंगल में मंगलवार को पारंपरिक पत्थलगड़ी की गई. कार्यक्रम की शुरुआत पाहन गुरूचरण भूमिज ने विधिवत पूजा अर्चना कर किया, जिसके बाद ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी कर सामूहिक रूप से वनों के संरक्षण करने का संकल्प लिया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) के कोल्हान प्रभारी सोहल लाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को संतुलित बनाए रखने, जैव विविधता और विरासत में मिली सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के उद्देश्य को लेकर ही पत्थलगड़ी किया जाता है. उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधनों का संरक्षण, प्रबंधन और पुर्नजीवित करना पत्थलगड़ी का मुख्य उद्देश्य है, यह आदिवासियों की परंपरा है. वहीं जुगीडीह गांव के ग्राम मुंडा ने कहा कि वनों को संरक्षित करना हम सब का जिम्मेवारी है.


इसे भी पढे़ं:- सरायकेलाः नक्सल प्रभावित क्षेत्र बनेगा वन स्टॉप सेंटर, जिला पुलिस की सराहनीय पहल

कार्यक्रम के दौरान विधायक प्रतिनिधि भरत सिंह मुंडा ने कहा कि वनाश्रित जंगल के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इन्हीं वनों से ही हमारा अस्तित्व जुडा हुआ है. झामुमो प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह मुंडा ने सामूहिक वन संरक्षण पर बल दिया.

सरायकेला: सामुदायिक वन पालन समिति और ग्राम सभा जुगीडीह के संयुक्त तत्वावधान में कुचाई के जुगीडीह जंगल में मंगलवार को पारंपरिक पत्थलगड़ी की गई. कार्यक्रम की शुरुआत पाहन गुरूचरण भूमिज ने विधिवत पूजा अर्चना कर किया, जिसके बाद ग्रामीणों ने पत्थलगड़ी कर सामूहिक रूप से वनों के संरक्षण करने का संकल्प लिया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) के कोल्हान प्रभारी सोहल लाल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को संतुलित बनाए रखने, जैव विविधता और विरासत में मिली सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के उद्देश्य को लेकर ही पत्थलगड़ी किया जाता है. उन्होंने कहा कि वनाधिकार कानून 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधनों का संरक्षण, प्रबंधन और पुर्नजीवित करना पत्थलगड़ी का मुख्य उद्देश्य है, यह आदिवासियों की परंपरा है. वहीं जुगीडीह गांव के ग्राम मुंडा ने कहा कि वनों को संरक्षित करना हम सब का जिम्मेवारी है.


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कार्यक्रम के दौरान विधायक प्रतिनिधि भरत सिंह मुंडा ने कहा कि वनाश्रित जंगल के संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इन्हीं वनों से ही हमारा अस्तित्व जुडा हुआ है. झामुमो प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह मुंडा ने सामूहिक वन संरक्षण पर बल दिया.

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