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सरायकेला में बेअसर रही बंदी, रोजाना की तरह खुले रहे सभी कल-कारखाने - सरायकेला में आहूत देशव्यापी हड़ताल

सरायकेला में केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच की घोषित बंद पूरी तरह बेअसर नजर आया. मंदी की मार झेल रहे औद्योगिक क्षेत्र में आम दिनों की तरह कल-कारखाने खुले रहे.

no impact of bharat bandh in seraikela
बेअसर रहा बंदी
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Published : Jan 8, 2020, 6:37 PM IST

सरायकेलाः केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच ने श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया. इस देशव्यापी हड़ताल का चाईबासा औद्योगिक क्षेत्र में कोई असर नहीं दिखा.

देखें पूरी खबर

केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच के आहूत इस देशव्यापी हड़ताल को लेकर पूर्व में कई तैयारियां की गई थी, लेकिन आज बंदी के दिन औद्योगिक क्षेत्र में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना की तरह आज भी सभी कल कारखाने खुले रहे और दिन भर पूरे औद्योगिक क्षेत्र में चहल-पहल बनी रही. जबकि मजदूर भी रोजाना की तरह औद्योगिक क्षेत्र में समय से अपने काम पर आए और काम खत्म कर वापस लौटे.

इधर, भारत बंद को लेकर औद्योगिक बंदी की पहले से मार झेल रहे उद्यमियों ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सरकार की गलत नीति के विरोध में देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी, जो कि पूरी तरह फ्लॉप है. स्थानीय उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर विगत 6 माह से मंदी की मार झेल रहा है. ऐसे में बीते 2 महीने से जब ऑटोमोबाइल सेक्टर में उछाल आया है, तो ऐसे में इस बंदी का कोई मतलब नहीं है.

ये भी पढ़ें- रांचीः राजभवन के समक्ष CAA और एनआरसी का विरोध, पलामू और साहिबगंज में भी निकाली गई रैलियां

नदारद रहे ट्रेड यूनियन
औद्योगिक मंदी, ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों को लेकर केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच और सेंट्रल ट्रेड यूनियन की ओर से घोषित बंदी को लेकर औद्योगिक क्षेत्र में सभी ट्रेड यूनियन नदारद रहे. जबकि 3 दिन पूर्व से ही ट्रेड यूनियनों ने बैठक, पैदल मार्च, मशाल जुलूस और नुक्कड़ सभाओं का भी आयोजन किया था.

सरायकेलाः केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच ने श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया. इस देशव्यापी हड़ताल का चाईबासा औद्योगिक क्षेत्र में कोई असर नहीं दिखा.

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केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच के आहूत इस देशव्यापी हड़ताल को लेकर पूर्व में कई तैयारियां की गई थी, लेकिन आज बंदी के दिन औद्योगिक क्षेत्र में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना की तरह आज भी सभी कल कारखाने खुले रहे और दिन भर पूरे औद्योगिक क्षेत्र में चहल-पहल बनी रही. जबकि मजदूर भी रोजाना की तरह औद्योगिक क्षेत्र में समय से अपने काम पर आए और काम खत्म कर वापस लौटे.

इधर, भारत बंद को लेकर औद्योगिक बंदी की पहले से मार झेल रहे उद्यमियों ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने सरकार की गलत नीति के विरोध में देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी, जो कि पूरी तरह फ्लॉप है. स्थानीय उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर विगत 6 माह से मंदी की मार झेल रहा है. ऐसे में बीते 2 महीने से जब ऑटोमोबाइल सेक्टर में उछाल आया है, तो ऐसे में इस बंदी का कोई मतलब नहीं है.

ये भी पढ़ें- रांचीः राजभवन के समक्ष CAA और एनआरसी का विरोध, पलामू और साहिबगंज में भी निकाली गई रैलियां

नदारद रहे ट्रेड यूनियन
औद्योगिक मंदी, ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों को लेकर केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच और सेंट्रल ट्रेड यूनियन की ओर से घोषित बंदी को लेकर औद्योगिक क्षेत्र में सभी ट्रेड यूनियन नदारद रहे. जबकि 3 दिन पूर्व से ही ट्रेड यूनियनों ने बैठक, पैदल मार्च, मशाल जुलूस और नुक्कड़ सभाओं का भी आयोजन किया था.

Intro:केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज 8 जनवरी को आहूत देशव्यापी हड़ताल सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र में पूरी तरह बेअसर रही।


Body:केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच द्वारा आहूत इस देशव्यापी हड़ताल को लेकर पूर्व में कई तैयारियां की गई थी लेकिन आज बंदी के दिन औद्योगिक क्षेत्र में इसका कोई असर नहीं रहा। औद्योगिक क्षेत्र में रोजाना की तरह आज भी सभी कल कारखाने खुले रहे और दिन भर पूरे औद्योगिक क्षेत्र में चहल-पहल बनी रही। जबकि मजदूर भी रोजाना की तरह औद्योगिक क्षेत्र में समय से अपने काम पर आए और काम खत्म कर वापस गए।

इधर आहूत बंदी को लेकर औद्योगिक बंदी की पहले से मार झेल रहे उद्यमियों ने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के गलत नीति के तहत देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की गई है, जो कि पूरी तरह फ्लॉप है। स्थानीय उद्यमियों ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र खासकर के ऑटोमोबाइल सेक्टर विगत 6 माह से मंदी की मार झेल रहा है। ऐसे में बीते 2 महीने से जब ऑटोमोबाइल सेक्टर में उछाल आया है तो ऐसे में इस बंदी का कोई मतलब नहीं है।




Conclusion:नदारद रहे ट्रेड यूनियन

औद्योगिक मंदी ,ऑटोमोबाइल सेक्टर के बंदी और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों को लेकर केंद्रीय श्रम संगठनों के संयुक्त मंच और सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा घोषित बंदी को लेकर औद्योगिक क्षेत्र में सभी ट्रेड यूनियन नदारद रहे, जबकि 3 दिन पूर्व से ही ट्रेड यूनियनों द्वारा बैठक, पैदल मार्च, मशाल जुलूस और नुक्कड़ सभाओं का भी आयोजन किया गया था।

बाइट- गंगा प्रसाद शर्मा, स्थानीय उद्यमी ।
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