सरायकेला: झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत 10 लाख का इनामी नक्सली जोनल कमांडर नक्सली महाराज प्रमाणिक ने शुक्रवार को आत्मसमर्पण किया था, जिसे आज सरायकेला जेल भेज दिया गया है.
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मेडिकल जांच के दौरान नक्सली महाराज प्रमाणिक ने कहा कि भविष्य में वे जनता की सेवा करेंगे. हालांकि महाराज प्रमाणिक के इस बयान से भविष्य में राजनीतिक संगठन से जुड़ने की संभावना जताई जा रही है. पूर्व में भी नक्सली संगठनों ने महाराज प्रमाणिक का राजनीति के बड़े दिग्गजों से संबंध होने की बात कई बार सामने आई है. बरहाल, अभी नक्सली महाराज प्रमाणिक को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है. जिसे पुलिस की बड़ी सफलता मानी जा रही है.
साल में देता था चार से पांच करोड़ की लेवीः सरेंडर के बाद महाराज प्रमाणिक ने बताया कि एक साल में वह पांच करोड़ तक की लेवी वसूलता था. लेवी के पैसों का बंटवारा जोनल कमिटी, रीजनल कमिटी, सैक और सेंट्रल कमिटी तक होता था. पेट्रोल पंप, पुल पुलिया निर्माण, कंस्ट्रक्शन साइट से सर्वाधिक लेवी वसूली की जाती थी. महाराज ने बताया कि संगठन में लेवी की पूरी राशि का हिसाब होता है. संगठन ने 40 लाख रुपये लेकर भागने का गलत आरोप उसपर लगाया था. हांलाकि महाराज से इससे इनकार किया.
संगठन छोड़ चुका था महाराज प्रमाणिकः भाकपा माओवादी संगठन में पतिराम मांझी को सेंट्रल कमिटी बनाकर सारंडा इलाके का प्रभार दिए जाने के बाद से ही माओवादी संगठन में आदिवासी नेताओं के बीच नाराजगी उत्पन हुई थी. जिसके बाद महाराज ने संगठन का साथ छोड़ दिया था. नक्सली महाराज प्रमाणिक की तलाश सरायकेला के कुकुरूहाट, लांजी समेत कई वारदातों में थी. 14 जून 2019 को महाराज प्रमाणिक के नेतृत्व में माओवादियों ने सरायकेला के कुकुरूहाट में पुलिस बलों पर हमला कर पांच पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. इस हमले के अलावा मार्च 2021 में लांजी में आईईडी धमाके में भी तीन पुलिसकर्मियों को मारने का आरोप महाराज प्रमाणिक के दस्ते पर लगा था. महाराज प्रमाणिक की तलाश राज्य पुलिस के साथ साथ एनआइए को भी थी. राज्य पुलिस ने महाराज पर दस लाख का ईनाम रखा था.