सरायकेला: लॉकडाउन और कोरोना काल में ऑनलाइन वर्क कल्चर में अचानक से इजाफा हुआ है, ऐसे में अब लोग पिछले दिनों दिनों की अपेक्षा, मोबाइल, लैपटॉप और स्क्रीन पर अधिक से अधिक समय बिता रहे हैं. ऑनलाइन वर्क कल्चर के कई फायदे होने के बावजूद डिजिटल उपकरण के अत्यधिक उपयोग से आंखों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता. हाल के दिनों में डिजिटल लर्निंग अब सामान्य प्रक्रिया में शुमार हो चुका है और यह स्थिति अब आने वाले समय में आगे भी बनी रहेगी. मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से आंखों पर रेडियो फ्रिकवेंसी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड का असर सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में इसका असर ना सिर्फ आंख बल्कि मनुष्य के नर्व सिस्टम पर ही पड़ता है, हाल के दिनों में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन के मामले में काफी इजाफा हुआ है और लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं.
क्या कहते हैं आई स्पेश्लिस्ट
आई स्पेशलिस्ट मानते हैं कि कंप्यूटर विजन सिंड्रोम या डिजिटल आई स्ट्रेन कोरोना काल में एक सामान्य बात हो गई है और इसके मामले भी बेतहाशा बढ़ रहे हैं. ऐसे में अब यह परिस्थिति लंबे समय तक बनी रहने वाली है, लिहाजा लोगों को ऑनलाइन स्क्रीन पर समय बिताने के दौरान कई महत्वपूर्ण उपाय करने होंगे. नेत्र चिकित्सक रूबी पांडे ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में ऑनलाइन और अनलॉक में ऑफलाइन मोड जारी है. फिलहाल आने वाले समय में ऑनलाइन और ऑफलाइन मिक्स मोड में लोगों को काम करने होंगे. ऐसे में कई काम जो ऑफलाइन हुआ करते थे वह अब ऑनलाइन हो रहे हैं. नतीजतन आंखों की देखभाल अब लोगों की सर्वोच्च प्राथमिकता में शुमार होनी चाहिए.
आईटी एक्सपर्ट आंख और हेल्थ का इस प्रकार रखते हैं ध्यान
वैसे तो कोरोना कॉल में ऑनलाइन वर्क कल्चर और ऑनस्क्रीन लोग अधिक समय बिता रहे हैं. लेकिन जो लोग पहले से ऑनलाइन मोड में काम करते हैं. उनके लिए यह कोई समस्या नई नहीं है. सरायकेला के औद्योगिक क्षेत्र स्थित निजी आईटी कंपनी में कार्यरत टेक्निकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कंपनी ने ऑनलाइन काम को लेकर कई सारे नियम बनाए हैं, जिससे कर्मचारियों की आंख और स्वास्थ्य पर अनुकूल असर पड़ेगा. टेक्निकल टीम के हेड रोहित कामथ ने बताया कि लॉकडाउन के वक्त वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों में आंखों की समस्या कम आ रही थी क्योंकि लोग अपनी सहुलियत के अनुसार घरों में काम करते थे. अनलॉक होने के बाद अब ऑफिस में काम करने के दौरान कई एहतियात बरतते हैं, जैसे कि हर एक-दो घंटे बाद आईटी कंपनी में कर्मचारियों को ब्रेक दिया जाता है, इस दौरान ये बाहर फ्रेश एयर में घूमते हैं और आंखों को रिलैक्स करते हैं. आईटी कंपनी में कार्यरत निशा गुहा बताती हैं कि काम के साथ-साथ आंख और स्वास्थ्य पर ध्यान देना अति आवश्यक हो जाता है, लिहाजा कंपनी की ओर से बनाए गए गाइडलाइन को कर्मचारी फॉलो करते हैं और आंखों की समस्या से बचते हैं, बावजूद इसके लोगों में आंखों की समस्या अक्सर देखी जाती है.
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आंखों के लिए चश्मा बनाने वालों की बढ़ी संख्या
कोरोना काल में ऑनलाइन अधिक से अधिक काम करने के दौरान लोगों के आंखों में समस्या आम बात हो गई है. लोग आई स्पेशलिस्ट के पास आंख चेक करा कर आंखों के लिए सूटेबल चश्मा बनवा रहे हैं. चश्मा बनाने वाले एम अंसारी ने बताया कि बीते डेढ़ 2 महीने से अचानक लोगों में आंखों की समस्या बढ़ गई है और लोग अधिक से अधिक आंखों की पावर चेक करा रहे हैं और डॉक्टरों की ओर से सुझाए गए पावर के चश्मे आंखों के लिए बनवा रहे हैं. इन्होंने बताया कि पावर चश्मा के अलावा हाल के दिनों में ब्लू-रे ग्लास चश्मा का डिमांड बढ़ा है.
कोरोना के इस संक्रमण काल ने लोगों के जीवन में कई परिवर्तन किए हैं. ऐसे में लोग अब धीरे-धीरे इन परिवर्तन को अपने जीवन का हिस्सा मानकर जी रहे हैं. आंखों में आई समस्या को भी लोग अपने स्तर से दूर कर रहे हैं और आंखों की देखभाल भी कर रहे हैं. क्योंकि अब लोगों को पता है कि ऑनलाइन, ऑन स्क्रीन काम लगातार करना है, ऐसे में अपने आंखों की सुरक्षा और देखभाल भी स्वयं करनी है.