सरायकेला: हस्तकरघा, रेशम और हस्तशील्प निदेशालय के निदेशक उदय प्रताप ने खरसावां के अग्र परियोजना केंद्र में कोल्हान प्रक्षेत्र के अधिकारियों के साथ बैठक कर रेशम उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया. उदय प्रताप ने बताया कि पिछले वर्ष राज्य में 2694 मेट्रिक टन रेशम का उत्पादन हुआ था. इस वर्ष तीन हजार मेट्रिक टन उत्पादन लक्ष्य है.
रोजगार बढ़ेगा
इसमें कोल्हान और संथाल परगना में समान रूप से 1200-1200 मेट्रिक टन तसर का उत्पादन करने का लक्ष्य है. रेशम से संबंधित योजनाओं के क्रियांवयन के लिये निर्देशालय से तैयार कर विभाग को भेजा गया है. विभाग में योजनाओं के स्वीकृति पर विचार चल रहा है. योजनाओं को स्वीकृति मिलते ही उनका क्रियांवयन भी शुरू हो जाएगा. रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार कार्य योजना बना कर क्रियांवित करेगी. आने वाले एक-दो वर्षों में सात हजार मेट्रिक टन रेशम उत्पादन किया जायेगा. भारतीय प्रसाशनिक सेवा के अधिकारी उदय प्रताप ने कहा कि ने बताया कि सिल्क के जरिए राज्य को 700 करोड़ से अधिक की आमदानी हुई है. आने वाले समय में सिल्क उद्योग को और अधिक बढ़ावा दिया जाएगा. प्री कोकून के साथ-साथ पोष्ट कोकून पर भी कार्य होगा. कोल्हान क्षेत्र भी तसर कोसा के उत्पादन के साथ-साथ सूत कताई और कपड़ों की बुनाई का कार्य किया जाएगा. इससे स्थानीय स्तर पर लोगों का रोजगार बढ़ेगा.
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किसानों को रोजगार मिला
कोरोना संकट काल में भी रेशम के जरीये बड़ी संख्या में किसानों को रोजगार मिला. तसर डाबा का उदगम स्थल कोल्हान है. तसर डाबा के उदगम स्थल पर इसे ओर अधिक बढ़ावा दिया जायेगा. डाबा रेशम को विश्व पटल पर ख्याति दिलाने के लिये जीआई टैग की पहल की गयी है. राज्य में कुल डेढ़ लाख से अधिक रेशम कृषक रेशम के जरीए रोजगार कर रहे हैं. बैठक में मुख्य रुप से हस्तकरघा, रेशम और हस्तशील्प निदेशालय के निदेशक उदय प्रताप, डिप्टी डायरेक्टर निरंजन तिर्की, सहायक उद्योग निदेशक (मुख्यालय) अनील कुमार, सहायक उद्योग निदेशक (कोल्हान) डॉ प्रियदर्शी अशोक, उद्योग विभाग के अवर सचिव मनोज कुमार, अग्र परियोजना पदाधिकारी खरसावां-कुचाई सुनील कुमार शर्मा, पीपीओ चाईबासा कृष्णकांत यादव, पीपीओ हाटगम्हरिया अनुपम कुमार सिन्हा, पीपीओ घाटशिला कृष्णानंद यादव, पीपीओ चक्रधरपुर विनोद कुमार सिन्हा आदि उपस्थित थे.