रांची/सरायकेला: पिछले साल नवंबर 2021 में शीर्ष माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य सह इस्टर्न रिजनल ब्यूरो प्रभारी प्रशांत दा उर्फ किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा की गिरफ्तारी के बाद नक्सलियों के कनेक्शन को डिकोड करने की कवायद तेजी से चल रही है. सरायकेला के एसपी आनंद प्रकाश ने ईटीवी भारत को बताया कि इसी कड़ी में 17 जुलाई 2022 को रामगढ़ से रूपेश कुमार सिंह की गिरफ्तारी हुई है.
फिलहाल उसके घर से बरामद लैपटॉप को खंगाला जा रहा है. सबसे खास बात यह है कि 12 नवंबर 2021 को माओवादी नेता किशन दा की गिरफ्तारी के वक्त दर्ज एफआईआर में रूपेश कुमार सिंह का भी नाम है. एफआईआर के मुताबिक रूपेश को माओवादी किशन दा के इस्टर्न रिजन ब्यूरो से जुड़ा बताया गया है. इनका काम था सरकार विरोधी काम को बढ़ाने के साथ-साथ फंड की व्यवस्था करना. हालांकि उस एफआईआर में सिर्फ रूपेश लिखा हुआ है. इस केस की जांच सरायकेला पुलिस मुख्यालय के डीएसपी चंदन कुमार वत्स कर रहे हैं.
रूपेश की पत्नी इप्सा शताक्षी से बातचीत: ईटीवी भारत की टीम ने रूपेश की पत्नी इप्सा शताक्षी से फोन पर बात की. उन्होंने बताया कि वह अपने पति के साथ रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड के (गिद्दी थाना, जिला हजारीबाग) बिंझार गांव में साल 2019 से रह रही हैं. उनके साथ उनके सास-ससुर भी रहते हैं. उन्होंने कहा कि 17 जुलाई को पुलिस आई थी. उनके पति को हिरासत में लेने के बाद उनके लॉपटॉप और उनकी छोटी बहन के लैपटॉप को भी जब्त कर लिया. इसके अलावा एक पुराना बेडशीट भी जब्त किया. इप्सा ने बताया कि पुलिस वाले बार-बार कह रहे थे कि रूपेश का पुराना लैपटॉप कहां है. यह समझ से परे है.
उन्होंने बताया कि रूपेश कुमार सिंह मूलरूप से भागलपुर के साहकुंड थाना के सरौनी के रहने वाले हैं. 2019 से बिंझार में रह रहे हैं. यहां पहले से रूपेश के छोटे भाई रह रहे थे. इप्सा मूल रूप से बोकारो स्टील सिटी की रहने वाली हैं. रूपेश से उनकी शादी 25 अप्रैल 2016 में हुई थी. तब रूपेश दिल्ली में रह रहे थे. इप्सा शताक्षी ने बताया कि रूपेश गरीब, शोषित, विस्थापित और आदिवासियों के हक की आवाज उठाते थे. वह कई पत्रिकाओं और पोर्टल से जुड़कर लिखा करते थे. साल 2019 में बिहार की गया पुलिस ने नक्सली कनेक्शन के हवाले से रूपेश कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था. हालाकि कुछ माह बाद रूपेश को बेल मिल गया था क्योंकि उनके खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं हुआ था.
कैसे पकड़ा गया था प्रशांत दा: पुलिस ने बड़ी नक्सली साजिश के इनपुट पर 12 नवंबर 2021 को कई जिलों में वाहन चेकिंग अभियान चलाया था. इसी दौरान कांड्रा थानाक्षेत्र के गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा के पास सफेद रंग के स्कॉर्पियो नंबर JH22E-2866 की जांच के क्रम में प्रशांत दा को हिरासत में लिया गया था. उस वक्त गाड़ी में उनकी पत्नी सह माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य शीला मरांडी के अलावा अजय महतो के दस्ता का सक्रिय सदस्य बिजेंद्र हांसदा उर्फ जितेंद्र और राजू टुडू उर्फ निखिल को पकड़ा गया था. इन चारों के अलावा कृष्णा लोहाडा और गुरूचरण बोदरा की पहचान नक्सलियों के कुरियर के रूप में हुई थी.
बरामद एसडी कार्ड और पेन ड्राइव में कई राज: माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत दा की गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से डेढ लाख रुपए. नकद, दो एसडी कार्ड और एक पेन ड्राइव जब्त किया गया था. इसमें 2005 में गिरिडीह होमगार्ड लूटकांड, झाझा पुलिस पार्टी पर रेड, मुंगेर एसपी के काफिले पर हमला, बोकारो थर्मल प्लांट एंबुश, कुड़ू एंबुश, चिंदगढ़ एंबुश, भंडरिया एंबुश, ऑपरेशन सारंडा, पोखरिया मुठभेड़ समेत पुलिस के खिलाफ कई हमलों का जिक्र था.