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महापर्व छठ पूजा विधान से जुड़ी है कई गाथाएं, कोसी भराई का है अलग महत्व

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Published : Oct 31, 2022, 4:40 PM IST

छठ पूजा से जुड़े कई विधि विधान हैं, जिनमें से एक है कोसी भराई का विधान. छठ पूजा में कोसी भराई (Kosi Bharai in Chhath Puja) का अपना अगल महत्व होता है. भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रतियां घर आकर कोसी भराई करती हैं. कहते हैं ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

Kosi Bharai in Chhath Puja
Kosi Bharai in Chhath Puja

सरायकेला: लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा भगवान भास्कर और छठी मइया को समर्पित है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में लोगों की गहरी आस्था है. वहीं इस महापर्व के विधि और विधान से जुड़ी कई गाथाएं हैं, जिनमें से एक है कोसी भराई (Kosi Bharai in Chhath Puja). कोसी भराई का महत्व भी अलग ही है (Importance of Kosi Bharai). छठ महापर्व में व्रती अपने-अपने घरों में कोसी भराई करती हैं. मान्यता है कि कोसी भरने से सालों भर घरों में सुख सौभाग्य और धन-धान्य बरकरार रहता है.

ये भी पढ़ें: Chhath Puja 2022: छठ के आखिरी दिन उगते सूर्य को दिया गया अर्घ्य, बिहार में घाटों पर उमड़ी भीड़

ईख की मदद से किया जाता है कोसी का निर्माण: छठ पूजा में भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. मान्यता है कि सूर्य ऊर्जा का पहला स्रोत है, जिसके जरिए पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है. वहीं, छठ ऐसा त्योहार है, जिसमें नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है और इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. छठ महापर्व के दौरान व्रती तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद अपने घरों के आंगन में 5 या 11 ईख की मदद से कोसी का निर्माण करती हैं.

कोसी भराई करती व्रतियां

कोसी के पास बैठकर पारंपरिक गीत और कहानियां कहे जाते हैं: कोसी के बीच कुम्हार द्वारा बनाए गए गणेश भगवान के स्वरूप के रूप में मिट्टी के हाथी को रखकर उसे दीयों से सजाया जाता है. वहीं, मिट्टी के हाथी के अंदर धन-धन्य बरकरार रखने की कामना के साथ छठ के प्रसाद आदि को रखते हैं. वहीं, लाल गमछा या सूती कपड़े में प्रसाद रखकर ईंख के मुंडेर पर लपेट कर टांगा जाता है और इसके बाद महिलाएं कोसी के पास बैठकर पारंपरिक गीत और कहानियां कहती हैं.

मन्नत पूरी होने पर भरा जाता है कोसी: शाम को अर्घ्य अर्पण करने के बाद नियमानुसार घरों में कोसी भराई की जाती है. वहीं, अगले सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से पूर्व या तो छठ घाटों पर या घरों में ही फिर से कोसी सजाकर भरा जाता है. मान्यता है कि कोसी में इस्तेमाल किए जाने वाले 5 ईख पंचतत्व होते हैं, जिनमें भूमि, वायु, जल, अग्नि और आकाश का स्वरूप शामिल होता है. कहा जाता है कि छठ व्रती अगर कोई मन्नत रखती हैं और वह छठ मइया की कृपा से पूरी हो जाती है तो कोसी भरा जाता है.

सरायकेला: लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा भगवान भास्कर और छठी मइया को समर्पित है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में लोगों की गहरी आस्था है. वहीं इस महापर्व के विधि और विधान से जुड़ी कई गाथाएं हैं, जिनमें से एक है कोसी भराई (Kosi Bharai in Chhath Puja). कोसी भराई का महत्व भी अलग ही है (Importance of Kosi Bharai). छठ महापर्व में व्रती अपने-अपने घरों में कोसी भराई करती हैं. मान्यता है कि कोसी भरने से सालों भर घरों में सुख सौभाग्य और धन-धान्य बरकरार रहता है.

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ईख की मदद से किया जाता है कोसी का निर्माण: छठ पूजा में भगवान भास्कर की आराधना की जाती है. मान्यता है कि सूर्य ऊर्जा का पहला स्रोत है, जिसके जरिए पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है. वहीं, छठ ऐसा त्योहार है, जिसमें नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है और इस पर्व में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना होता है. छठ महापर्व के दौरान व्रती तीसरे दिन अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के बाद अपने घरों के आंगन में 5 या 11 ईख की मदद से कोसी का निर्माण करती हैं.

कोसी भराई करती व्रतियां

कोसी के पास बैठकर पारंपरिक गीत और कहानियां कहे जाते हैं: कोसी के बीच कुम्हार द्वारा बनाए गए गणेश भगवान के स्वरूप के रूप में मिट्टी के हाथी को रखकर उसे दीयों से सजाया जाता है. वहीं, मिट्टी के हाथी के अंदर धन-धन्य बरकरार रखने की कामना के साथ छठ के प्रसाद आदि को रखते हैं. वहीं, लाल गमछा या सूती कपड़े में प्रसाद रखकर ईंख के मुंडेर पर लपेट कर टांगा जाता है और इसके बाद महिलाएं कोसी के पास बैठकर पारंपरिक गीत और कहानियां कहती हैं.

मन्नत पूरी होने पर भरा जाता है कोसी: शाम को अर्घ्य अर्पण करने के बाद नियमानुसार घरों में कोसी भराई की जाती है. वहीं, अगले सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से पूर्व या तो छठ घाटों पर या घरों में ही फिर से कोसी सजाकर भरा जाता है. मान्यता है कि कोसी में इस्तेमाल किए जाने वाले 5 ईख पंचतत्व होते हैं, जिनमें भूमि, वायु, जल, अग्नि और आकाश का स्वरूप शामिल होता है. कहा जाता है कि छठ व्रती अगर कोई मन्नत रखती हैं और वह छठ मइया की कृपा से पूरी हो जाती है तो कोसी भरा जाता है.

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