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सरायकेला में अंतरजातीय विवाह पर हाई वोल्‍टेज ड्रामा, आदिवासियों की नौकरी को लेकर हाई कोर्ट में दायर होगी याचिका

सरायकेला में आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने कहा कि एक आदिवासी युवती अंतरजातीय के साथ शादी कर रही है. ऐसे में आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली है वो भी चली जाएगी. इसका उपभोग उच्च प्रतिष्ठित समुदाय के घर वाले करेंगे.

High voltage drama on interracial marriage in Seraikela
सरायकेला में अंतरजातीय विवाह पर हाई वोल्‍टेज ड्रामा
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Published : Aug 20, 2020, 3:54 PM IST

सरायकेला: जिले में आज आदिवासियों के लिए दुखद खबर है. जिले में एक आदिवासी युवती सुजाता मुर्मू चेन्नई मे एक अंतरजातीय युवा के साथ समारोह पूर्वक शादी कर रही है. एक मासूम आदिवासी लड़की लव जिहाद की भेट चढ़ रही है. शादी किसी के लिए व्यक्तिगत मामला है, आदिवासी सुरक्षा परिषद को आपत्ति नहीं है, हमें आपत्ति इस बात की है कि आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली है वो भी चली जाएगी. जिसका उपभोग उच्च प्रतिष्ठित समुदाय के घर वाले करेंगे और आदिवासी समाज आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाएगा. उक्त बातें आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

High voltage drama on interracial marriage in Seraikela
सरायकेला में अंतरजातीय विवाह पर हाई वोल्‍टेज ड्रामा

सरायकेला के आदित्यपुर आशियाना के समीप कालीमंदिर स्थित कार्यालय में आदिवासी नेता रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासी महिलाओं के अंतरजातीय विवाह से आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. गैर आदिवासी केवल और केवल आदिवासी का आरक्षण का लाभ लेने के लिए किसी आदिवासी लड़की से शादी करता है. आरक्षण का लाभ आदिवासियों को जीवन स्तर उठाने के लिए भारतीय संविधान ने दिया है, यदि आरक्षित पदों पर नौकारी लेकर यदि गैर आदिवासी के साथ शादी करेंगे तो स्वाभाविक रूप से जिस प्रतिष्ठित घर में जाएंगे वहां के लोग उपभोग करेंगे. इस भौतिक वादी युग में अंतरजातीय विवाह मे काफी बढ़ोतरी हुई है, अगर ऐसे ही चलता रहा तो आदिवासियों को आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं रह जाता है.

ये भी पढ़ें: झारखंड में कोरोना का कहर, एक दिन में 967 नए मामले आए सामने, 278 लोगों की मौत

गैर आदिवासी से शादी करने के बाद वो महिला अपनी परंपरा का निर्वाह नहीं कर पाएंगी तो उसे आरक्षण के दम पर नौकरी करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. पेसा कानून के तहत देश में पंचायत चुनाव में शत प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. लेकिन पिछले पंचायत चुनाव में सैकड़ों ऐसे उदाहरण मिलेंगे जो मुखिया जीते हैं वो किसी गैर आदिवासी की पत्नी हैं. आदिवासी सुरक्षा परिषद सुजाता मुर्मू और जहीर हुसैन की शादी को आधार बना कर रांची हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे और मांग करेंगे कि अंतरजातीय विवाह के चलते सुजाता मुर्मू अब आदिवासी नहीं रहीं, इसलिए उसे नौकारी से बर्खास्त कर दिया जाए. आदिवासी सुरक्षा परिषद की ऐसी महिलाओं को किसी भी चुनाव में योग्य प्रत्याशी ना माना जाए. केंद्र और राज्य सरकारों को कानून बनाने के आदिवासी सुरक्षा परिषद दबाव बनाएगी. इस संवाददाता सम्मेलन में बिना नंद सिरका, गुलशन टुडू और सावना मरांडी उपस्थित थे.

सरायकेला: जिले में आज आदिवासियों के लिए दुखद खबर है. जिले में एक आदिवासी युवती सुजाता मुर्मू चेन्नई मे एक अंतरजातीय युवा के साथ समारोह पूर्वक शादी कर रही है. एक मासूम आदिवासी लड़की लव जिहाद की भेट चढ़ रही है. शादी किसी के लिए व्यक्तिगत मामला है, आदिवासी सुरक्षा परिषद को आपत्ति नहीं है, हमें आपत्ति इस बात की है कि आरक्षण के आधार पर नौकरी मिली है वो भी चली जाएगी. जिसका उपभोग उच्च प्रतिष्ठित समुदाय के घर वाले करेंगे और आदिवासी समाज आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाएगा. उक्त बातें आदिवासी सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष रमेश हांसदा ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

High voltage drama on interracial marriage in Seraikela
सरायकेला में अंतरजातीय विवाह पर हाई वोल्‍टेज ड्रामा

सरायकेला के आदित्यपुर आशियाना के समीप कालीमंदिर स्थित कार्यालय में आदिवासी नेता रमेश हांसदा ने कहा कि आदिवासी महिलाओं के अंतरजातीय विवाह से आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. गैर आदिवासी केवल और केवल आदिवासी का आरक्षण का लाभ लेने के लिए किसी आदिवासी लड़की से शादी करता है. आरक्षण का लाभ आदिवासियों को जीवन स्तर उठाने के लिए भारतीय संविधान ने दिया है, यदि आरक्षित पदों पर नौकारी लेकर यदि गैर आदिवासी के साथ शादी करेंगे तो स्वाभाविक रूप से जिस प्रतिष्ठित घर में जाएंगे वहां के लोग उपभोग करेंगे. इस भौतिक वादी युग में अंतरजातीय विवाह मे काफी बढ़ोतरी हुई है, अगर ऐसे ही चलता रहा तो आदिवासियों को आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं रह जाता है.

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गैर आदिवासी से शादी करने के बाद वो महिला अपनी परंपरा का निर्वाह नहीं कर पाएंगी तो उसे आरक्षण के दम पर नौकरी करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. पेसा कानून के तहत देश में पंचायत चुनाव में शत प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. लेकिन पिछले पंचायत चुनाव में सैकड़ों ऐसे उदाहरण मिलेंगे जो मुखिया जीते हैं वो किसी गैर आदिवासी की पत्नी हैं. आदिवासी सुरक्षा परिषद सुजाता मुर्मू और जहीर हुसैन की शादी को आधार बना कर रांची हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे और मांग करेंगे कि अंतरजातीय विवाह के चलते सुजाता मुर्मू अब आदिवासी नहीं रहीं, इसलिए उसे नौकारी से बर्खास्त कर दिया जाए. आदिवासी सुरक्षा परिषद की ऐसी महिलाओं को किसी भी चुनाव में योग्य प्रत्याशी ना माना जाए. केंद्र और राज्य सरकारों को कानून बनाने के आदिवासी सुरक्षा परिषद दबाव बनाएगी. इस संवाददाता सम्मेलन में बिना नंद सिरका, गुलशन टुडू और सावना मरांडी उपस्थित थे.

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